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इस दिन घरों में विराजेंगे बप्पा – नोट कर लें स्थापना का शुभ मुहूर्त, इससे चूक गए तो नहीं मिलेगा शुभ फल

प्रत्येक वर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव का शुरुआत होती है और यह अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता है। इस दौरान गणेश भगवान की मूर्तियां लोग अपने घरों पंडालों आदि में स्थापित करते हैं, धूमधाम से भगवान गणेश की पूजा करते हैं और आखिरी दिन स-सम्मान भगवान गणेश की प्रतिमा को विसर्जित कर दिया जाता है और गणेश विसर्जन के साथ इस भव्य और खूबसूरत पर्व का समापन हो जाता है। 

मान्यता है कि 10 दिनों तक चलने वाले इस भव्य त्योहार के दौरान भगवान गणेश कैलाश से धरती पर अपने भक्तों के साथ रहने के लिए आते हैं। इस दौरान वह हमारी समस्याओं का समाधान करते हैं हमारे जीवन से विघ्न दूर करते हैं, हमारे जीवन में खुशियां लेकर आते हैं, इत्यादि। पूरे भारतवर्ष में गणेश चतुर्थी का यह त्यौहार बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। 

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अपने इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम गणेश चतुर्थी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां आपको प्रदान करेंगे, साथ ही जानेंगे इस वर्ष गणेश चतुर्थी किस दिन से कब तक मनाई जाएगी। 

वर्ष 2023 में गणेश चतुर्थी कब से कब तक? 

बात करें वर्ष 2023 में गणेश उत्सव की तो यह 19 सितंबर 2023 से प्रारंभ हो जाएगा और 28 सितंबर 2023 को अनंत चतुर्थी के साथ इसका समापन होगा। 

गणेश चतुर्थी स्थापना मुहूर्त

गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त : 11:01:23 से 13:28:15 तक

अवधि : 2 घंटे 26 मिनट

समय जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है : 12:41:35 से 20:10:00 तक 18, सितंबर को

समय जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है : 09:45:00 से 20:42:59 तक 19, सितंबर को

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गणेश चतुर्थी पूजन विधि 

सबसे पहले बात करें गणेश चतुर्थी की सही पूजन विधि की तो, 

गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ कर लें। अब यहां पूजा की चौकी रखें और इस पर पीला या फिर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछा दें।शुभ मुहूर्त का ध्यान रखते हुए भगवान गणपति की मूर्ति स्थापित करें। अब भगवान गणेश की मूर्ति पर दूर्वा से गंगाजल छिड़कें, उन्हें हल्दी, चावल, चंदन, गुलाब, सिंदूर, मौली, जनेऊ, मिठाई, मोदक, फल, मेवे, केले और फूल आदि अर्पित करें। भगवान गणेश के साथ-साथ भगवान शिव, माँ पार्वती की पूजा करें। पूजा में उन्हें लड्डू मोदक का भोग लगाएं। अंत में उनकी आरती करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपको यह पूजन विधि 10 दिन सुबह और शाम के समय करनी है। पूजा का समापन आरती से करें और पूजा में शामिल सभी लोगों को भोग अवश्य दें।

गणेश चतुर्थी पर 300 वर्षों बाद ऐसा शुभ योग 

इस वर्ष गणेश चतुर्थी के मौके पर 300 वर्षों के बाद ऐसा शुभ योग बन रहा है जो इस त्योहार के महत्व को कई गुना बढ़ाने वाला साबित होगा। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर ब्रह्मा, शुभ और शुक्ल योग का संयोग बनेगा। यह योग 300 वर्षों के बाद बनने जा रहा है और इससे मुख्य रूप से मेष राशि, मिथुन राशि और मकर राशि के जातकों को शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। 

गणेश चतुर्थी का महत्व और उद्देश्य 

गणेश चतुर्थी के त्यौहार को लेकर अलग-अलग लोगों के बीच अलग-अलग मान्यता देखने और सुनने को मिलती है। इसी तरह एक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि यह भगवान शंकर और मां पार्वती के पुत्र भगवान गणेश का जन्मोत्सव होता है। 

वहीं दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि, जब महर्षि वेदव्यास महाभारत की रचना कर रहे थे तो उन्होंने इसके लिए पहले भगवान गणेश का आवाहन किया था। व्यास जी श्लोक बोले जा रहे थे और भगवान गणेश 10 दिनों तक बिना रुके महाभारत को लिखे जा रहे थे। इन 10 दिनों में भगवान गणेश की तबीयत खराब हो गई और उनका शरीर आग की तरह तपने लगा। दसवें दिन यानी अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को सरस्वती नदी में उनके शरीर के बढ़े हुए तापमान को कम करने के इरादे से लिटाया गया। कहा जाता है कि तभी से 10 दिनों तक मनाए जाने वाले इस गणेश उत्सव की शुरुआत हुई।

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गणेश चतुर्थी के ये उपाय कर देंगे मालामाल 

गणेश चतुर्थी का यह त्यौहार बेहद ही शुभ पावन और फलदाई माना जाता है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में तो इस त्यौहार की अलग ही धूम देखने को मिलती है। शास्त्रों के मुताबिक कहा जाता है कि, इस दौरान अगर कोई भी भक्त भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और कुछ बेहद ही सरल उपाय करें तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसे में हम आपको नीचे कुछ सरल उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें करके आप भी अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं। 

अथर्वशीर्ष का पाठ करें। गणेश चतुर्थी के दौरान अगर आप अथर्वशीर्ष का पाठ करते हैं तो इससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है। अगर आपको धन लाभ करना है नौकरी में अपना वेतन बढ़वाना है तो इसके लिए गणेश चतुर्थी के दौरान भगवान गणेश को गुड़ का भोग लगाएं और इसके बाद इसे गाय को खिला दें।  इसके अलावा आप धन प्राप्ति के लिए चाहें तो गुड़ की 21 गोलियां बना लें और यह गोलियां और दूर्वा घास गणेश भगवान की प्रतिमा को चढ़ा दें। अगर आपके वैवाहिक जीवन में या प्रेम जीवन में किसी तरह की बाधा आ रही है तो गणेश चतुर्थी के दौरान व्रत करें और बप्पा को मालपुए का भोग लगाएं। अगर आपके जीवन से सुख कहीं खो गया है या आपको ऐसा लगने लगा है कि आपके सुख पर किसी की नजर लग गई है तो आप गणेश चतुर्थी के दौरान भगवान गणेश को पीले रंग के भोग और फल अर्पित करें। 

हम आशा करते हैं कि यह उपाय आप अपनाएँगे और आपको इनके चमत्कारी लाभ अपने जीवन में अवश्य ही देखने को मिलेंगे।

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गणेश चतुर्थी का इतिहास 

विघ्नहर्ता भगवान गणेश को मां पार्वती और भगवान शिव का पुत्र माना गया है। उन्हें हिरम्बा,  एकदंत, विघ्नहर्ता, गणपति, विनायक, बप्पा, लंबोदर आदि नामों से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के इतिहास की बात करें तो माना जाता है कि मराठा साम्राज्य के सम्राट छत्रपति शिवाजी अपनी बाल्यावस्था में अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर चतुर्थी मनाने की शुरुआत की थी। इसके बाद ही गणेश चतुर्थी या गणेश पूजा का यह पावन पर्व पूरे देश में व्यापक रूप से मनाया जाने लगा।

महत्वपूर्ण जानकारी: गणेश चतुर्थी सार्वजनिक अवकाश नहीं है बल्कि एक क्षेत्रीय अवकाश है। ऐसे में भारत के कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, और आंध्र प्रदेश में यह अवकाश माना जाता है। इस वर्ष जो की गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को पड़ रही है ऐसे में गणेश पूजा के दिन कई जगह अवकाश रहेगा।

गणेश चतुर्थी अनुष्ठान 

बात करें इस दिन किए जाने वाले अनुष्ठानों की तो, 

गणपति प्रतिमा की स्थापना। गणेश चतुर्थी का आगाज होता है गणेश प्रतिमा के साथ। इस दौरान लोग गणपति प्रतिमा को अपने घरों या पंडालों में स्थापित करते हैं। चांद को ना देखना। गणेश चतुर्थी के पहले दिन चांद को देखना वर्जित माना गया है। लोग ऐसा करने से बचते हैं क्योंकि कहा जाता है इस दिन चांद देखना अपशकुन होता है। प्रार्थनाएं। मूर्ति की धुलाई, मंत्र उच्चारण, फल, मिठाई का भोग, आरती, दीपक, कुमकुम, फूलों से भरी थाली, आदि के साथ मूर्ति की परिक्रमा की जाती है। गणेश चतुर्थी और शाम दोनों ही समय पूजा का विधान बताया गया है।विशेष आयोजन। गणेश चतुर्थी का यह त्यौहार बेहद भव्य रूप से मनाया जाता है। ऐसे में कई जगहों पर सार्वजनिक नृत्य-संगीत और नाटकों का भी प्रदर्शन देखने को मिलता है। मोदक। इस त्यौहार में मिठास डालता है इस दिन भगवान गणेश का प्रिय भोग जो की होता है मोदक। यह भगवान गणपति की सबसे पसंदीदा मिठाई है। ऐसे में गणेश चतुर्थी के दौरान बहुत से लोग खुद मोदक बनाते हैं, भगवान को भोग लगाते हैं और खुद भी खाते हैं। अगर आप मोदक खुद नहीं बना सकते हैं तो आप इसे ऑर्डर भी कर सकते हैं। विसर्जन: गणेश चतुर्थी के इस भव्य त्योहार का समापन मूर्ति को विसर्जित करके किया जाता है। जिसे विसर्जन कहते हैं। इस दौरान अपने स्थान से मूर्ति को हटाकर किसी पवित्र नदी में मूर्ति को स-सम्मान विसर्जित कर दिया जाता है। इस दौरान लोग पूजा में हुई अनजाने में भी किसी भी गलती की क्षमा मांगते हैं और भगवान गणेश को दोबारा अपने घर में आने का न्योता देते हैं।

गणेश चतुर्थी के राशि अनुसार मंत्रों से होगी हर मनोकामना पूरी 

इस गणेश चतुर्थी को और भी खास बनाने के लिए नीचे हम आपको राशि अनुसार मंत्रों की जानकारी प्रदान कर रहे हैं। साथ ही हम आपको यहां पर इस बात की जानकारी भी प्रदान कर रहे हैं कि अगर आप अपनी राशि के अनुसार इन रंगों की मूर्ति अपने घर में लेकर के आते हैं तो आपको विशेष फल प्राप्त हो सकते हैं।

राशि गणेश चतुर्थी पर इस रंग की लाएँ प्रतिमा गणेश चतुर्थी पर यह मंत्र दिलाएँगे सफलतामेष राशि गुलाबी या लाल मूर्ति ॐ नमो भगवते गजाननायद्यवृषभ राशि हल्के पीले रंग की मूर्त ॐ वक्रतुण्डाय नम:मिथुन राशि हल्के हरे रंग की मूर्ति ॐ गं गणपतये नम:कर्क राशि सफ़ेद रंग की प्रतिमा ॐ वक्रतुण्डाय हूं सिद्धमसिंह राशि सिंदूरी रंग की मूर्ति ॐ सुमंगलाये नम:कन्या राशि गाढ़े हरे रंग की मूर्ति ॐ गं गणपतये नम:तुला राशि हल्के नीले रंग की मूर्ति ॐ वक्रतुण्डाय नम:वृश्चिक राशि गहरे लाल रंग की मूर्ति ॐ नमो भगवते गजाननायद्यधनु राशि पीले रंग की मूर्ति ॐ अंतरिक्षाय नमः मकर राशि हल्के नीले रंग की मूर्ति ॐ गं नम:कुम्भ राशि गहरे नीले रंग  की मूर्ति ॐ गं नम:मीन राशि पीले रंग की प्रतिमा ॐ अंतरिक्षाय नमः 

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

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