जानिए कौन सा ग्रह किन बीमारियों के लिए होता है ज़िम्मेदार?
हम सभी जानते हैं कि आधुनिक दौर चल रहा है और इस आधुनिक दौर में सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाली कोई चीज़ है तो वह है हमारी जीवन शैली। हमारी जीवनशैली इतनी बेतरतीब और बेढंगी हो चुकी है कि हम आए दिन किसी न किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त हो रहे होते हैं। यहां यह बात भी हमें ध्यान में रखनी चाहिए कि इस समय हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं, जो पिछले कुछ वर्षों में 3 बार वैश्विक महामारी की चपेट में आ चुकी है और हम अभी तक उससे उबर नहीं पाए हैं।
हम लगातार ख़ुद को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए प्रयासरत हैं। कई तरह के नुस्खे अपना रहे हैं, कई तरह के अभ्यास कर रहे हैं तथा कई तरह से ख़ुद को एक सांत्वना देने की कोशिश कर रहे हैं कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। इन सब के बीच कई लोगों ने मदद के लिए ज्योतिष की ओर भी रुख किया है। बहुत से लोग ज्योतिषियों के पास जाते हैं, उनसे बात करते हैं कि कौन सी स्वास्थ्य समस्या होने की संभावना है या जिस भी स्वास्थ्य समस्या से वे गुज़र रहे हैं, उससे उन्हें कब निजात मिलेगी या उसे कैसे हल किया जा सकता है।
भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके
एक पंक्ति जो हम सबने सुनी होगी हेल्थ इज़ वेल्थ यानी कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूंजी है इसलिए स्वास्थ्य हमारी चिंता का प्रमुख कारण भी है। आपको बता दें कि ज्योतिष की मदद से जन्म कुंडली का पूर्ण अवलोकन एवं विश्लेषण कर कई स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए आप विद्वान ज्योतिषियों से बात करके अतीत की बीमारी, मौजूदा बीमारी तथा भविष्य में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा उनसे आयुर्वेदिक एवं ज्योतिषीय उपचारों का उचित मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार विभिन्न ग्रह हमारे ख़राब स्वास्थ्य का कारण बनते हैं यानी कि जब वे हमारी कुंडली में दुर्बल होते हैं या कमज़ोर होते हैं तो वे कई बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।
आपकी कुंडली के अनुसार कौन-कौन से रोग हो सकते हैं, जानने के लिए हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी आचार्य मृणाल राका जी से फोन पर बात करें।
नोट: यहां पर हम आपको ज्योतिषीय नज़रिए से सभी जानकारियां दे रहे हैं। आपको सुझाव दिया जाता है कि कोई भी स्वास्थ्य समस्या होने पर चिकित्सक एवं विशेषज्ञ की सलाह लें तथा स्वास्थ्य और सुरक्षित रहें।
विभिन्न बीमारियों के लिए ज़िम्मेदार ग्रह
जैसा कि हम जानते हैं कि सभी ग्रह हमारे दैनिक जीवन में बहुत बड़ी भूमिका अदा करते हैं। चाहे वह शिक्षा हो, करियर, परिवार, व्यापार, नौकरी कुछ भी हो, ग्रह हमेशा यह तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं कि हमें किस प्रकार के परिणाम प्राप्त होंगे। इसी प्रकार जब स्वास्थ्य की बात आती है तो सभी नवग्रह हमारे स्वास्थ्य पर भी अपने सकारात्मक तथा नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। आइए ज्योतिष के अनुसार जानते हैं कि हमारी जन्म कुंडली में कौन सा ग्रह किन स्वास्थ्य समस्याओं के लिए ज़िम्मेदार होता है।
सूर्य: यह पेट, हृदय, सिर, पीठ, पुरुष की दाहिनी आंख, स्त्री की बायीं आंख, वाईटेलिटी, जोड़, साइनस, माइग्रेन, तेज़ बुखार आदि से संबंधित रोगों के लिए ज़िम्मेदार होता है।चंद्रमा: यह फेफड़े, रक्त, बॉडी फ्लूइड्स, पुरुष की बायीं आंख, स्त्री की दाहिनी आंख, अनिद्रा और अस्थमा आदि से संबंधित रोगों के लिए ज़िम्मेदार होता है। शनि के साथ इसकी युति होने पर यह सूखी खांसी, मधुमेह, उल्टी आदि का कारण बनता है।मंगल: यह रक्त, थैलेसीमिया, छाती, नाक, पित्ताशय की थैली, पित्त, अस्थि मज्जा, लाल रक्त कोशिकाओं आदि से संबंधित रोगों के लिए ज़िम्मेदार होता है। जब मंगल दोष में होता है तो इससे मस्तिष्क विकार, खुजली, रक्त का थक्का जमना, स्त्री जननांग के रोग, घुटने की समस्या आदि होने का ख़तरा रहता है।बुध: यह तंत्रिका तंत्र, त्वचा, चेहरे, थायराइड आदि से संबंधित रोगों के लिए ज़िम्मेदार होता है। साथ ही मानसिक विकारों, कान की समस्याओं आदि के लिए भी ज़िम्मेदार होता है।बृहस्पति: लीवर, किडनी, अग्नाशय, मोटापा, फैटी लीवर, हृदय, ट्यूमर, मेमोरी लॉस आदि से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं कमज़ोर बृहस्पति के प्रभाव हैं।शुक्र: इसके नकारात्मक प्रभाव में गले, गले की ग्रंथियों, चेहरे, गालों, मूत्र संबंधी समस्याओं, ओवेरियन सिस्ट आदि से संबंधित रोग होने की संभावना रहती है। साथ ही यह नपुंसकता का भी कारण बन सकता है।शनि: इसके कारण पैर, हड्डी, मांसपेशी, दांत, बाल, शारीरिक कमज़ोरी, जोड़ों में दर्द, गठिया, गैस्ट्रिक आदि से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।राहु: राहु के कारण कैंसर, सांस लेने में तकलीफ़, अल्सर, मोतियाबिंद और हकलाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।केतु: वैदिक ज्योतिष के अनुसार केतु उदर (एब्डॉमिन) का कारक ग्रह होता है। यह किसी कीड़े के काटने से घाव होने तथा मांस सड़ने के लिए ज़िम्मेदार होता है। केतु कुछ ऐसे रहस्मयी रोग भी पैदा कर सकता है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर देते हैं। शारीरिक कमज़ोरी तथा पेट दर्द भी संभव हो सकता है। केतु के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए कुंडली के रोग भाव एवं ग्रहों के गोचर के साथ इसका संबंध देखा जाता है और फिर समाधान निकाला जा सकता है।
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अभी तक हमने आपको बताया कि किस ग्रह के कारण कौन-कौन सी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अब बात करते हैं कि विभिन्न ग्रहों से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए क्या ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं, ताकि उनकी मदद से आप उन ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकें और स्वास्थ्य समस्याओं से राहत पा सकें।
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वैदिक ज्योतिष में जिस प्रकार ग्रहों के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताया गया है, उसी प्रकार ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के उपाय भी बताए गए हैं। आइए जानते हैं कि विभिन्न ग्रहों को किन उपायों के द्वारा शांत किया जा सकता है।
नवग्रह को शांत करने के ज्योतिषीय उपाय
सूर्य
ज़रूरतमंद लोगों को दवा दें। सूर्य बीज मंत्र का जाप करें। सूर्य को अर्घ्य दें।
चंद्रमा
प्रतिदिन या प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं। हमेशा नारी का सम्मान करें।प्रतिदिन कम से कम 10 मिनट ध्यान करें।
मंगल
मंदिरों में मिठाई दान करें। अपने घर में नीम के पेड़ लगाएं।नियमित रूप से गायों को भोजन खिलाएं।लाल रंग का रुमाल इस्तेमाल करें।जब आप स्वस्थ हों तो रक्तदान करें।
बुध
सभी तरह के हरे रंग के वस्त्र धारण करें।नए वस्त्र धारण करने से पहले उन्हें धो लें।अपनी बहनों और चाची/मौसी लोगों का सम्मान करें तथा अपनी बेटी या अन्य छोटी कन्याओं का पालन-पोषण करें।बुध के मुख्य देवता भगवान विष्णु की सच्चे दिल से पूजा करें।
बृहस्पति
पीले रंग के आभूषण पहनें। सोने से बना आभूषण अधिक उचित है।पीले रंग के वस्त्र धारण करें। गुरुवार के दिन व्रत करें।प्रतिदिन 28 बार या 108 बार गुरु बीज मंत्र “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नमः” का जाप करें।
शुक्र
ऐसे वस्त्र धारण करें, जो चमकीले सफेद हों।अपने प्रिय या जीवनसाथी का सम्मान करें।कन्याओं या विधवा महिलाओं को मिठाई खिलाएं।शुक्र के अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए अपना चरित्र अच्छा रखें।देवी लक्ष्मी की पूजा करके शुक्र की कृपा प्राप्त करें।
शनि
प्रतिदिन शनि बीज मंत्र का जाप करें।मांसाहार और शराब के सेवन से परहेज करें। अपने घर के दक्षिण पूर्व कोने में एक दीपक/दीया जलाएं।दूसरों के साथ कुछ भी ग़लत काम करने से बचें।
राहु
गेहूं, गुड़ और तांबे का दान करें। रविवार के दिन इन तीनों वस्तुओं या इनमें से किसी एक वस्तु को तांबे के बर्तन में रख कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।नीले रंग के वस्त्र धारण करने से बचें।गले में चांदी की चेन धारण करें।बहते हुए जल में नारियल प्रवाहित करें।
केतु
भूरे और ग्रे रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें।छोटे बच्चों के साथ हमेशा मधुर संबंध रखें। प्रतिदिन स्नान करें।केतु पूजा करते समय भगवान गणेश की पूजा करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
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