शादी - विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश, काल सर्प दोष , मार्कण्डेय पूजा , गुरु चांडाल पूजा, पितृ दोष निवारण - पूजा , महाम्रत्युन्जय , गृह शांति , वास्तु दोष

बसंत पंचमी 2022: जानें इस दिन क्या करें क्या न करें की संपूर्ण जानकारी

हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन को भारत में वसंत ऋतु की शुरुआत माना जाता है। इसके अलावा इस विशेष दिन पर माँ सरस्वती की पूजा का विधान भी निर्धारित किया गया है। बसंत पंचमी का यह उत्सव तब मनाया जाता है जब पंचमी तिथि दिन के पहले भाग यानी सूर्योदय और दोपहर के बीच के समय के दौरान प्रबल होती है।

2022 में कब मनाई जाएगी बसंत पंचमी?

बसंत पंचमी 5 फरवरी, 2022 यानि शनिवार को है।

पूजा मुहूर्त: 07:07:23 से 12:35:21

अवधि: 5 घंटे 27 मिनट

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

बसंत पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा 

वेदों और पुराणों के अनुसार इस दिन को लेकर ऐसी मान्यता है कि, इस दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति की सोलह (16) तरह से पूजा की जाती है और इसे अत्यधिक शुभ कहा जाता है। मान्यता है कि अगर भगवान कामदेव की यह पूजा 16 दिनों तक लगातार की जाए तो विवाहित जोड़ों का जीवन खुशियों से भर जाता है और उनका रिश्ता और भी ज्यादा मजबूत बनने लगता है। बसंत पंचमी का यह पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, ब्रह्मांड के निर्माता ब्रह्मा जी ने इसी दिन देवी सरस्वती की रचना की थी। पुराणों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि, ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती की रचना की थी। पुराणों में इस बात का संकेत मिलता है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की इच्छा से मनुष्य की रचना की क्योंकि मनुष्य आदि अवस्था में मौन था। ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती को रूप दिया।

इस दिन, देवी रति और भगवान कामदेव की पूजा इस दिन के पहले भाग यानी सूर्योदय से दोपहर के बीच के समय के दौरान 16 तरह (षोडशोपचार पूजन विधि) से की जाती है।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

सरस्वती पूजा 

लोग बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की श्रद्धा भाव और भक्ति से पूजा करते हैं और यह साहित्य, शिक्षा और कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बेहद शुभ माना गया है। इस दिन जो कोई भी व्यक्ति सरस्वती स्तोत्र का पाठ करता है और देवी सरस्वती की पूजा करता है, उसे अवश्य ही सकारात्मक परिणाम की प्राप्ति होती है। 

2022 के लिए सरस्वती पूजा मुहूर्त नीचे दिया गया है:

सरस्वती पूजा 2021 दिनांक: 16 फरवरी 2021, मंगलवार

पूजा मुहूर्त: 07:07:23 से 12:35:21

अवधि: 5 घंटा 27 मिनट

श्री पंचमी 

इस दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती और जगत के पालनहार भगवान विष्णु के साथ-साथ धन की देवी देवी माँ लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा का पालन भी किया जाता है। खासकर जो लोग व्यावसायिक गतिविधियों से जुड़े हैं, वे अपने जीवन में माँ लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इस दिन उनकी पूजा अवश्य करते हैं। देवी लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ इस दिन श्री सूक्तम पाठ का पाठ करना अत्यधिक लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

नये साल में करियर की कोई भी दुविधा कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट से करें दूर

बसंत पंचमी का त्यौहार 

भारत में बसंत पंचमी का यह खूबसूरत त्योहार बसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है। इसे ज्ञान की देवी सरस्वती के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। इस त्योहार की झलक बांग्लादेश और नेपाल में भी देखी जाती है और देश और दुनिया में भारतीय जहाँ-जहाँ भी बसते हैं वहां देवी सरस्वती की पूजा करते हैं और इस त्योहार को उचित रीति-रिवाजों के साथ मनाते हैं।

भागवत पुराण में उल्लेख मिलता है कि संगीत, काव्य, कला, शिल्प, ज्ञान आदि की देवी सरस्वती का जन्म माघ मास की पंचमी तिथि को शुक्ल पक्ष में हुआ था। इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं जो की इस त्यौहार का मुख्य आकर्षण होता है।

बसंत पंचमी पूजन विधि 

इस दिन जो लोग शिक्षा से जुड़े होते हैं, वे अधिक ज्ञान प्राप्त करने, शिक्षा में सफलता पाने, अपने हर सपने को पूरा करने के लिए देवी शारदा से प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा इस दिन स्कूल-कॉलेजों में भी माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। इसी दिन उनकी मूर्ति स्थापित की जाती है और फिर अगले दिन विसर्जित कर दी जाती है। इस दिन स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करने और मां सरस्वती पर हल्दी का तिलक लगाने का विशेष महत्व बताया गया है। इस संबंध में, यह माना जाता है कि, इस विधि का पालन करने से व्यक्ति को जल्द से जल्द देवी सरस्वती की कृपा अपने जीवन में प्राप्त होती है।

बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का महत्व 

पीला रंग समृद्धि का प्रतीक माना गया है। बसंत पंचमी के त्योहार से शुरू होने वाले वसंत ऋतु के दौरान खेत में फूल खिलते हैं, सरसों के पौधे और गेहूं की फसल लहलहाने लगती हैं। इसके अलावा खेतों में रंग-बिरंगी तितलियां दिखाई देने लगती हैं और इससे वातावरण की सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं। यही सब वजहें है कि इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व बताया गया है। इस पर्व को कई स्थानों पर ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।

बसंत पंचमी मनाने के अलग-अलग ढंग और तरीके 

भक्त इस दिन पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं और देवी सरस्वती की पूजा करते हैं।भारत के विभिन्न राज्यों के लोग गंगा में स्नान करने और तीन प्रमुख नदियों (सरस्वती, यमुना और गंगा) के मिलन के लिए हरिद्वार और इलाहाबाद आते हैं।इसके साथ ही इस दिन उत्तर भारत के कई हिस्सों में पीले व्यंजन बनाने की परंपरा का पालन किया गया है और लोग पीले रंग के वस्त्र भी पहनते हैं।पश्चिम बंगाल में देवी सरस्वती को इस दिन वाद्ययंत्रों के साथ स्थापित किया जाता है और इस दिन को भव्य रूप से मनाया जाता है।

ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें

बसंत पंचमी का विशेष महत्व 

ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति बसंत पंचमी से कोई भी नया काम या नया व्यवसाय शुरू करता है, उसे अपने जीवन में सफलता अवश्य मिलती है। इसके अलावा, किसी भी नए घर के उद्घाटन जैसी शुभ गतिविधि के लिए यह दिन बहुत महत्व रखता है। कुल मिलाकर किसी भी नए कार्य या व्यवसाय की शुरुआत के लिए बसंत पंचमी का यह दिन अत्यधिक शुभ और फलदायी माना जाता है।

बसंत पंचमी के दिन क्या करें

पवित्र नदी में स्नान करने के बाद देवी सरस्वती की पूजा करें। हालाँकि अगर पवित्र नदियों में स्नान करना मुमकिन न हो तो स्नान के पानी में ही गंगाजल मिलाकर उससे नहा लें।मां सरस्वती को हल्दी अवश्य अर्पित करें।इस दिन पुखराज और मोती धारण करना अत्यंत पवित्र माना जाता है। हालाँकि हम सलाह देते हैं कि कोई भी रत्न हमेशा किसी जानकार व्यक्ति से परामर्श लेने के बाद ही धारण करें।खीर को भोग के रूप में देवी सरस्वती को अर्पित करें और पूजा के बाद खीर को परिवार के सभी सदस्यों के बीच वितरित करें।पूजा के समय देवी सरस्वती की मूर्ति के सामने एक कलम रखें और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अधिक प्रगति और सफलता प्राप्त करने के लिए पूरे वर्ष इसका उपयोग करें।पीले और सफेद रंग के कपड़े पहनें।पंचमी के दिन रात्रि में व्रत करना शुभ माना  गया है।

बसंत पंचमी के दिन क्या न करें

परिवार में किसी से झगड़ा न करें।फसल न काटें और पेड़ न काटें।मांसाहारी भोजन न करें और शराब का सेवन भूल से भी न करें।बड़ों का अनादर न करें, उनकी कही बातों की अवहेलना न करें और हमेशा उनके मूल्यवान शब्दों को सुनें और उनका आशीर्वाद लें।धूम्रपान जैसी बुरी गतिविधियों में लिप्त न हों।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

The post बसंत पंचमी 2022: जानें इस दिन क्या करें क्या न करें की संपूर्ण जानकारी appeared first on AstroSage Blog.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *