शादी - विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश, काल सर्प दोष , मार्कण्डेय पूजा , गुरु चांडाल पूजा, पितृ दोष निवारण - पूजा , महाम्रत्युन्जय , गृह शांति , वास्तु दोष

महाशिवरात्रि पर 120 साल बाद बन रहा है पंचग्रही योग

महाशिवरात्रि, सनातन धर्म में मनाया जाने वाला एक बहुत बड़ा और महान पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव अजन्में है, अर्थात जन्म लेने से पहले भी शिव है और मृत्यु के बाद भी शिव हैं। यह सृष्टि रहे ना रहे किन्तु शिव सदैव थे, हैं और रहेंगे। इसलिए मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि शिवरात्रि के इस पावन दिन पर भगवान शिव का प्राकट्य एक प्रकाश के लिंग स्वरुप में हुआ था। इसलिए विश्व भर में शिव भक्तों द्वारा शिवरात्रि का त्योहार पूरी श्रद्धा के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। 

इसके अतिरिक्त मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि शिवरात्रि के शुभ अवसर पर ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन की गई महादेव की उपासना से जातकों को जीवन में सम्पूर्ण सुख प्राप्त होता है। कहते हैं शिव ही वह शक्ति है जो किसी के भविष्य को बदल सकते हैं, जो दुखों का नाश कर जीवन में सुख का संचार कर सकते हैं। शिवरात्रि की पूजा रात्रि की पूजा है इसलिए इस दिन रात्रि में व्रत, मन्त्र जाप और रात्रि जागरण करने का विशेष महत्त्व होता है, ऐसा करना जातकों के लिए सदैव शुभ फलदायी होता है। 

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च, 2022 को विश्वभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व हर साल कृष्णपक्ष फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को भक्तों द्वारा श्रद्धा-भक्ति और हर्षौल्लास से  मनाया जाता है।   

वैसे तो महाशिवरात्रि का यह पर्व सनातन धर्म में विशेष महत्त्व रखता है, लेकिन साल 2022 में इस महान पर्व पर 120 साल बाद बन रहे ग्रहों के यह दुर्लभ संयोग इस पर्व की महत्वता का कई गुना बढ़ा रहे हैं। महाशिवरात्रि पर बन रहे इन विशेष योगों में की गयी भगवान शिव की विधिवत पूजा शत्रुओं का नाश कर, भक्तों को चारो ओर प्रसिद्धि दिलाने वाली है।

पंचग्रही योग

इस साल महाशिवरात्रि का पर्व सैकड़ों वर्षों बाद पंचग्रही योग के साथ आ रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब पांच ग्रह किसी एक ही राशि में एक साथ होते हैं तो इसे पंचग्रही योग कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आमतौर पर पंचग्रही योग शुभ फल देने वाले ही होते है परन्तु कभी-कभी ये योग नकारात्मक प्रभाव भी प्रदान करते हैं। हालाँकि इस बार मकर राशि में मंगल, शनि, बुध, शुक्र और चंद्रमा की उपस्थिति में बनने वाला यह योग सभी के लिए सुख-समृद्धि, मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा बढ़ने वाला सिद्ध होगा। 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

केदार योग 

पञ्च ग्रहों के एक साथ एक राशि में होने से केदार योग का भी निर्माण हो रहा है, जिसे शिव पूजा के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। केदार योग में की गई पूजा जातकों के जीवन में भौतिक सुख-सुविधा का बढ़ाती है।

परिघ योग

महाशिवरात्रि के दिन दोपहर 11 बजकर 18 मिनट तक परिघ योग रहने वाला है। मान्यताओं के अनुसार इस योग में पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। इस योग में महादेव की पूजा करके जातक अपने रुके हुए कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं। 

शिव योग

महाशिवरात्रि पर इस बार कन्या और वृषभ राशि में शिव योग बन रहा है जो 1 मार्च, 2022 को 11 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 02 मार्च, 2022 को सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। शिव योग किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। महाशिवरात्रि पर कन्या और वृषभ राशि के जातकों के लिए इस योग का बनना बहुत शुभ फलदायी रहेगा।

नये साल में करियर की कोई भी दुविधा कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट से करें दूर

सर्वार्थ सिद्धि योग

इसके अतिरिक्त महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो ज्योतिषशास्त्र में विशेष फलदायी और मनवांछित इच्छाओं की पूर्ति करने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस योग में किसी भी नए कार्य को शुरू करने से पूर्व जातकों को शुक्र अस्त, पंचक या भद्रा आदि को देखने की जरुरत नहीं पड़ती हैI 

कैसे करें भगवान शिव की विशेष पूजा

सर्वप्रथम स्नान करके शिव पूजा का संकल्प लें। यदि आप प्रातःकाल में पूजा कर रहें हैं तो प्रातःकाल स्नान करके और यदि संध्याकाल में पूजा कर रहे हैं तो संध्याकाल में स्नान करके महादेव की पूजा का संकल्प लें।
इसके पश्चात् एक लोटा जल अपने घर से भरकर मंदिर लेकर जाएँ और शिवलिंग पर जल अर्पित करें। इसके बाद पंचोपचार पूजन अर्थात दूध, दही, शहद, शक्कर और घी शिवलिंग पर लगाकर भगवान शिव के मन्त्रों का जाप करें। 
महाशिवरात्रि के दिन रात्रि के समय शिव मन्त्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। रात्रि के समय भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी दयादृष्टि पाने के लिए जातक रुद्राष्टक, शिवाष्टक और शिव स्तुति का पाठ भी कर सकते हैं।
शिवरात्रि के दिन बहुत से लोग चार पहर में पूजा करते हैं। यदि आप भी भगवान शिव की चार पहर पूजा करना चाहते हैं तो रात्रि के पहले पहर में दूध, दूसरे पहर में दही, तीसरे पहर में घी और चौथे पहर में शहद से पूजन किया जाना चाहिए। हर पहर में जल का प्रयोग अवश्य करना चाहिए, ऐसा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो भी जातक शिव रात्रि के दिन चार पहर में भगवान शिव की पूजा करते हैं वह अपने जीवन के बड़े से बड़े संकट से मुक्ति प्राप्त करते हैं। 

क्यों है चार पहर की पूजा विशेष

महाशिवरात्रि का पर्व एक ऐसा दिन होता है जब आप भगवान शिव की कृपा से अपनी समस्त इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं और जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। वैसे तो शिवरात्रि के दिन में किसी भी समय में लिया भगवान शिव का नाम अपने आप में सिद्ध और कष्टों का निवारण करने वाला होता है, लेकिन फिर भी शिवपुराण के अनुसार शिवरात्रि में रात्रि पूजन का विशेष महत्व माना गया है। यही कारण है कि महाशिवरात्रि पर भक्तों द्वारा भगवान शिव की चार पहर में पूजा की जाती है अर्थात संध्याकाल से लेकर अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त तक। मान्यताओं के अनुसार ये चार पहर की पूजा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष साधने वाली होती है।

पहले पहर की पूजा आमतौर पर संध्याकाल से शुरू की जाती है। इसके लिए सबसे उत्तम समय शाम 6 बजे से लेकर रात्रि 9 बजे तक माना गया है। पहले पहर में भगवान शिव को प्रतीकात्मक रूप से दूध अर्पित किया जाता है। इस समय में शिव मन्त्र “ॐ नमः शिवाय” या शिव स्तुति का पाठ किया जाता है। पहले पहर की पूजा करने से धर्म मज़बूत होता है।
दूसरे पहर की पूजा रात्रि 9 बजे से 12 बजे के बीच में की जाती है। दूसरे पहर की पूजा में भगवान शिव को दही अर्पित किया जाता है एवं जल से शिवजी का अभिषेक किया जाता है। इस समय में शिव मन्त्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना अनिवार्य माना गया है। इस समय में की गयी पूजा अर्थ अर्थात आर्थिक मज़बूती प्रदान करती है।
तीसरे पहर की पूजा रात्रि 12 से 3 बजे के बीच में की जाती है। इस समय में भगवान शिव का गाय के घी से तिलक कर जल से अभिषेक किया जाता है। तीसरे पहर में शिव स्तुति का पाठ करना चाहिए। इस समय में किया गया ध्यान आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता है। तीसरे पहर में शिव पूजन कामेच्छा से मुक्ति प्रदान करता है।
चौथे पहर की पूजा ब्रह्ममुहूर्त में अर्थात 3 बजे से 6 बजे के बीच की जाती है। ब्रह्ममुहूर्त में किया शिव का ध्यान उज्जवल भविष्य और भवसागर से तारने वाला है। इस पहर में शिवलिंग पर शहद लगा कर, जल से अभिषेक करना चाहिए। इस समय में शिव मन्त्र “ॐ नमः शिवाय” या शिव स्तुति का पाठ मोक्ष प्रदान करता है।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

The post महाशिवरात्रि पर 120 साल बाद बन रहा है पंचग्रही योग appeared first on AstroSage Blog.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *