महाशिवरात्रि से 6 मार्च तक बना रहेगा ‘अग्नि पंचक’ का योग, भूल से भी न करें ये कुछ कार्य।
ज्योतिष शास्त्र में पंचक दोष का महत्व अधिक होता है। हम अक्सर अपने जीवन में पंचक के बारे में सुनते हैं। वैदिक ज्योतिष अनुसार पंचक वो अशुभ समय होता है जब कुछ महत्वपूर्ण कार्य करने की विशेष रूप से मनाही बताई गई है। प्राचीन मुहूर्त चिंतामणि में भी पंचक का उल्लेख करते हुए ये बताया गया है कि जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि में होता है, तब उस अवधि को अशुभ अर्थात पंचक कहते हैं।
नक्षत्रों की दृष्टि से देखें तो धनिष्ठा नक्षत्र से रेवती तक (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती) जो पांच नक्षत्र होते हैं। पांच नक्षत्र होने के कारण ही इस अवधि को पंचक माना गया है। पंचक को कई जगह पर ‘भदवा’ के नाम से भी जाना जाता है और यह स्थिति हर माह कम से कम एक बार ज़रूर बनती है। अब मार्च में महीने की शुरुआत ही पंचक से हो रही है। ऐसे में जानें आखिर कब से कब तक लगने जा रहा है मार्च का पहला पंचक। आज हम आपको इसी बात को अपने इस लेख में विस्तार पूर्वक बताने जा रहे हैं।
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महाशिवरात्रि से पंचक होगा आरंभ
इस बार का पंचक बेहद ख़ास रहने वाला है। क्योंकि पंचांग के अनुसार मार्च में पंचक की अवधि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी 1 मार्च 2022, मंगलवार को दोपहर 4 बजकर 32 मिनट से आरंभ होगी। इस वर्ष इस दिन दुनियाभर में महाशिवरात्रि का महापर्व भी मनाया जाएगा। मंगलवार के दिन चंद्रमा का गोचर धनिष्ठा नक्षत्र और शनि देव की मकर राशि में होगा।
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कब होगी पंचक की समाप्ति?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार 1 मार्च से शुरू हुए पंचक का समापन रविवार, 6 मार्च 2022 को प्रातः 2 बजकर 30 मिनट पर होगा। इस दिन फाल्गुन मास के शुक्ल कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि रहेगी और नक्षत्र अश्विनी होगा। साथ ही इस समय चंद्रमा मीन से निकलकर मेष राशि में विराजमान होंगे।
मार्च में लगने वाला पंचक कहलाएगा “अग्नि पंचक”
ज्योतिष शास्त्र में कुल पांच प्रकार के पंचक बताए गए है:-
रोग पंचक: रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। राज पंचक: सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक होता है। अग्नि पंचक: मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। मृत्यु पंचक: शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है।चोर पंचक: शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है।
ऐसे में 1 मार्च 2022 को पंचक की शुरुआत मंगलवार के दिन से होगी। इस कारण इस पंचक को अग्नि पंचक माना जाएगा।
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अग्नि पंचक पर भूलकर भी न करें ये काम
एस्ट्रोसेज के विशेषज्ञों के अनुसार इन पांच दिनों में हमे कोर्ट-कचहरी, कानूनी मुद्दे, विवाद आदि से जुड़े फैसले लेना व अपना हक प्राप्त करने वाले कार्यों को करना शुभ माना गया है। परंतु अग्नि पंचक में अग्नि व मंगल ग्रह से जुड़ी वस्तुओं का प्रयोग विशेष सावधानी पूर्वक करने की सलाह दी जाती है, अन्यथा इससे आग लगने का भय रहता है। इसके अलावा मनुष्य को इस समय क्रोध-अहंकार, आदि का त्याग करते हुए केवल और केवल मधुर वाणी का प्रयोग करना चाहिए। अग्नि पंचक में किसी भी तरह का निर्माण या मरम्मत से जुड़ा कार्य, औजार व मशीनरी कामों की शुरुआत करना भी वर्जित माना गया है।
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