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सकट चौथ पर शुभ योगों का संयोग, नोट कर लें पूजा मुहूर्त और विधि

हिंदू धर्म में जितने भी व्रत और उपवास किए जाते हैं उन सब का कुछ ना कुछ खास और विशेष महत्व अवश्य होता है। जल्द ही ऐसा ही एक और खास और बेहद शुभ फलदाई व्रत सकट चौथ का व्रत किया जाएगा। मान्यता है कि, यह व्रत संतान के लिए किया जाता है और इस दिन प्रथम पूजनीय विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

आज अपने इस विशेष आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं इस वर्ष सकट चौथ किस दिन मनाई जाएगी? इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या है? इस दिन कौन से शुभ योग बन रहे हैं? इस दिन क्या कुछ काम भूल से भी नहीं करना चाहिए? इत्यादि महत्वपूर्ण बातें।

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सकट चौथ या संकष्टि चतुर्थी का व्रत

सकट चौथ का यह व्रत बेहद ही शुभ फलदाई माना जाता है। इसे कई जगहों पर संकष्टी चतुर्थी, लंबोदर संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट चतुर्थी, तिलकुट चौथ, संकटा चौथ, माघी चौथ, तिल चौथ, इत्यादि नामों से जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का व्रत किया जाता है।

सकट चौथ 2022: तिथि और शुभ मुहूर्त

2022 में सकट चौथ 21 जनवरी, यानी शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।

सकट चौथ शुभ पूजा मुहूर्त

सकट चौथ शुक्रवार, जनवरी 21, 2022 को

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 21, 2022 को सुबह 08:51 बजे

चतुर्थी तिथि समाप्त – जनवरी 22, 2022 को सुबह 09:14 बजे

सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय – रात्रि 09:00 बजे 

वर्ष 2022 सभी संकष्टी चतुर्थी व्रत की संपूर्ण लिस्ट

शुक्रवार, 21 जनवरी संकष्टी चतुर्थी

रविवार, 20 फरवरी: संकष्टी चतुर्थी

सोमवार, 21 मार्च: संकष्टी चतुर्थी

मंगलवार, 19 अप्रैल: अंगारकी चतुर्थी

गुरुवार, 19 मई: संकष्टी चतुर्थी

शुक्रवार, 17 जून: संकष्टी चतुर्थी

शनिवार, 16 जुलाई: संकष्टी चतुर्थी

सोमवार, 15 अगस्त: संकष्टी चतुर्थी

मंगलवार, 13 सितंबर: अंगारकी चतुर्थी

गुरुवार, 13 अक्टूबर: संकष्टी चतुर्थी

शनिवार, 12 नवंबर: संकष्टी चतुर्थी

रविवार, 11 दिसंबर: संकष्टी चतुर्थी

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संकष्टी चतुर्थी- सकट चौथ महत्व (Sakat Chauth Significance)

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता का दर्जा दिया गया है। यानी कि वो अपने भक्तों की जीवन से तमाम दुःख हर कर उन्हें खुशियों का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ऐसे में भगवान गणेश के लिए तमाम व्रत और त्योहार भी किए जाते हैं लेकिन इनमें से संकष्टी चतुर्थी का व्रत सबसे ज्यादा ख़ास और शुभ माना जाता है।

संकष्टी शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है कठिन समय से मुक्ति पाना। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। इस व्रत को अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए और संतान के लिए किए जाने का विधान बताया गया है। संकष्टी चतुर्थी के दिन लोग सूर्योदय से लेकर चंद्रमा उदय तक उपवास रखते हैं और पूरे विधि विधान से गणपति की पूजा करते हैं।

मान्यता है कि इस दिन भगवान गणपति की पूजा करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर और जीवन में सुख शांति बनी रहती है। इसके अलावा भगवान गणेश इस दिन की पूजा से प्रसन्न होकर व्यक्ति के जीवन से सारी बाधाओं को दूर करते हैं और मनोकामना की पूर्ति करते हैं। एक साल में 13 संकष्टी चतुर्थी के व्रत किए जाते हैं और इन सभी के लिए अलग-अलग व्रत कथा होती है।

सकट चौथ: सही पूजन विधि

इस दिन जल्दी उठकर स्नान करें और फिर व्रत का संकल्प लें। पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा से शुरुआत करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान गणेश की पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। पूजा में तिल, गुड़, फूल, तांबे के लोटे में पानी, चंदन, भोग, प्रसाद, केला, नारियल, इत्यादि शामिल करें। पूजा में मां दुर्गा की प्रतिमा पर रखें। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है। इसके बाद फूल और भोग अर्पित करें और इस मंत्र का जाप करें, 

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।

इस दिन के व्रत में केवल फलाहार भोजन करें। बहुत से लोग इस दिन सेंधा नमक का सेवन करते हैं। हालांकि मुमकिन हो तो इस दिन नमक का सेवन बिल्कुल भी ना करें। इसके बाद शाम के समय चांद निकलने से पहले भगवान गणेश की पूजा करें और सकट चौथ की कथा पढ़ें, सुने, और दूसरों को सुनाएं।पूजा पूरी होने के बाद सबको प्रसाद वितरित करें। इस दिन का व्रत रात में चांद को देखने के बाद ही पूरा किया जाता है।

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इस वर्ष सकट चौथ पर बन रहा है बेहद शुभ योग

यूं तो सकट चौथ का दिन अपने आप में बेहद ही शुभ माना जाता है। हालांकि इस वर्ष इस शुभ दिन को और भी ज्यादा शुभ और विशेष बनाने के लिए इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। बता दें साल के पहले सकट चौथ पर सौभाग्य योग बन रहा है। सौभाग्य योग इस दिन सुबह से लेकर दोपहर 3 बजकर 06 मिनट तक रहने वाला है। कहा जाता है इस शुभ योग में जो कुछ भी काम किया जाए वह हमेशा फलदाई होता है और पूजा सफल होती है।

इसके अलावा सकट चौथ पर शोभन योग भी बन रहा है। शोभन योग इस दिन से शुरू होकर 22 जनवरी की दोपहर तक रहने वाला है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि यह दोनों ही शुभ योग मांगलिक कार्यों के लिए बेहद ही उत्तम होते हैं।

इसके अलावा आपको हम इस बात की जानकारी भी दे दें कि, 21 जनवरी को सुबह 9 बजकर 43 मिनट से मघा नक्षत्र लग जाएगा। मघा नक्षत्र में मांगलिक कार्य हमेशा किया जाना शुभ नहीं होता है। ऐसे में इस नक्षत्र के समय के बाद ही सकट चौथ की पूजा करने की सलाह दी जाती है। 9 बजकर 43 मिनट के बाद पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र शुरू हो जाएगा। ऐसे में आप इस दौरान कोई भी शुभ काम या पूजा कर सकते हैं।

सकट चौथ व्रत के दौरान भूल से भी ना करें ये काम

सकट चौथ के दिन भूल से भी काले रंग के कपड़े ना पहने। यूं तो हिंदू धर्म में किसी भी व्रत और पूजा या धार्मिक अनुष्ठान के समय काले रंग के कपड़े ना पहनने की सलाह दी जाती है लेकिन विशेष तौर पर सकट चौथ के दिन इस रंग को पहनने से बचें। आप चाहे तो इस दिन की पूजा में पीले रंग के वस्त्र या लाल रंग के कपड़े पहन सकते हैं। ऐसा करना आपके लिए शुभ रहेगा।सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष विधान बताया गया है। चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जल में चावल और दूध मिलाकर ही चंद्रमा को अर्घ्य दें। साथ ही इस बात का भी ध्यान दें कि जब आप चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर रहे हैं तो उसके छींटे आपके पांव पर ना पड़े।इसके अलावा सकट चौथ का व्रत तभी पूरा होता है जब भगवान गणेश की पूजा करने के बाद चंद्रमा का दर्शन करें और उन्हें अर्घ्य दें। ऐसे में बिना चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य के व्रत ना खोलें।हिंदू धर्म में अक्सर पूजा में तुलसी का उपयोग किया जाता है। हालांकि सकट चौथ की पूजा में भगवान गणेश को कभी भी तुलसी के पत्ते ना अर्पित करें। बल्कि भगवान गणेश को दूर्वा घास बेहद प्रिय होती है। ऐसे में आप सकट चौथ की पूजा में उन्हें दूर्वा घास अवश्य अर्पित कर सकते हैं। (भगवान गणेश को दूर्वा घास इतनी प्रिय क्यों होती है? यह जाने के लिए पढ़ें हमारा यह विशेष लेख)

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सकट चौथ से जुड़े रीति रिवाज

इस दिन भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा का विधान बताया गया है। अपने संतान की लंबी आयु और उत्तम जीवन के लिए महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं। सकट चौथ के दिन तिल के लड्डू बनाए जाते हैं। इसके अलावा बहुत से लोग इस दिन तिल का पहाड़ बनाते हैं और उसे काटते हैं। बहुत सी जगहों पर इस दिन का व्रत तारों को देखकर खोला जाता है। इस दिन की पूजा शाम के समय चांद या तारों को अर्घ देकर ही पूरी मानी जाती है और इस विधि के बाद ही व्रत पूरा किया जाता है।

सकट चौथ पर राशि अनुसार ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा

मेष राशि: मेष राशि के जातक सकट चौथ के दिन भगवान गणेश के वक्रतुंड रूप की पूजा करें और उन्हें गुड़ का भोग लगाएं। वृषभ राशि: वृषभ राशि के लोग सकट चौथ के दिन भगवान गणेश के शक्ति विनायक रूप की पूजा करें और घी में मिश्री मिलाकर भगवान को भोग अर्पित करें। मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक सकट चौथ पर भगवान गणेश के लक्ष्मी गणेश स्वरूप की पूजा करें और प्रसाद के तौर पर मूंग के लड्डू में अर्पित करें। कर्क राशि: कर्क राशि के जातक भगवान गणेश के वक्रतुंड रूप की पूजा करें। पूजा में भगवान को सफेद चंदन लगाकर सफेद फूल अर्पित करें। सिंह राशि: सकट चौथ के दिन सिंह राशि के जातक भगवान गणेश के लक्ष्मी गणेश स्वरूप की पूजा करें और उन्हें लाल फूल और मोतीचूर के लड्डुओं का भोग लगाएं। कन्या राशि: कन्या राशि के जातक सकट चौथ के दिन भगवान गणेश के लक्ष्मी गणेश रूप की पूजा करें। पूजा में उन्हें दूर्वा अर्पित करें। तुला राशि: सकट चौथ के दिन तुला राशि के जातक भगवान गणेश के वक्रतुण्ड रूप की पूजा करें। भगवान गणेश को इस दिन नारियल का भोग अवश्य लगाएं। वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक सकट चौथ के दिन श्वेतार्क गणेश की पूजा करें। पूजा में सिंदूर और लाल फूल भगवान गणेश को अर्पित करें। धनु राशि: धनु राशि के जातक सकट चौथ के दिन भगवान गणेश के लक्ष्मी गणेश रूप की पूजा करें और उन्हें बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। मकर राशि: मकर राशि के जातक भगवान गणेश के शक्ति विनायक स्वरूप की पूजा करें। पूजा में पान, सुपारी, इलायची, और लॉन्ग भगवान को अर्पित करें। कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातक इस दिन भगवान गणेश के शक्ति विनायक रूप की पूजा करें। मीन राशि: मीन राशि के जातक सकट चौथ के दिन हरिद्रा गणेश की पूजा करें और पूजा में केसर और शहद का भोग लगाएं।

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