Admin+9759399575 ; Call आचार्य
शादी - विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश, काल सर्प दोष , मार्कण्डेय पूजा , गुरु चांडाल पूजा, पितृ दोष निवारण - पूजा , महाम्रत्युन्जय , गृह शांति , वास्तु दोष

होलाष्टक के बाद भी मांगलिक कार्य नहीं!

रंग हमारे जीवन को जीवंत होने का एहसास करवाते हैं और ऐसे में रंगों के त्योहार होली का महत्व समस्त देशवासियों में धर्म के बंधन से परे देखा जाता है। इस बार होली 18 मार्च को है। होली से 8 दिन पहले से होलाष्टक का प्रारंभ हो जाता है जो होलिका दहन यानी 17 मार्च को समाप्त होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान किए गए शुभ कार्यों का फल जातकों को नहीं मिलता है क्योंकि होलाष्टक के दौरान ग्रहों का स्वभाव उग्र प्रवृत्ति का हो जाता है। इसलिए ही इस समय में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।

लेकिन इस बार होलाष्टक के बाद भी जातक खरमास शुरू होने के कारण मांगलिक कार्य नहीं कर सकते हैं। 15 मार्च को ग्रहों के राजा सूर्य कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर करते हुए 13 अप्रैल तक इसी राशि में रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य के मीन में इस गोचर काल को खरमास कहा गया है। खरमास की इस एक महीने की अवधि को किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सगाई एवं मुंडन आदि के लिए वर्जित माना गया है। हालांकि व्यक्तिगत रूप से इस समय में पूजा, भजन, सत्संग और कीर्तन आदि किए जा सकते हैं। 

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

खरमास में श्रीहरि विष्णु की आराधना करेगी मनोकामना पूरी

सनातन धर्म में इस दौरान भगवान श्रीहरि विष्णु एवं सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। कहते हैं यदि खरमास में प्रातःकाल उठकर स्नान करना और दान-पुण्य करना जातकों के लिए शुभ फलों को फलीभूत करने वाला होता है। वैदिक ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन महीने के खरमास में श्री कृष्ण का अभिषेक करने से समस्त पापों का नाश होता है।

सूर्य की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए उन्हें इस समय में अर्घ्य अवश्य देना चाहिए। ऐसा करने से जातकों में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है और साथ ही स्वास्थ्य के लिहाज से बीमारियों से भी बचाव होता है।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

कब लगता है खरमास?

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जब भी सूर्य अपने मित्र ग्रह बृहस्पति की राशि में होते है तो ऐसे समय में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते और इस अवधि को ही खरमास कहा जाता है। इस बार सूर्य 15 मार्च से 13 अप्रैल तक मीन राशि में रहने वाले हैं, इसलिए होलाष्टक समाप्त होने के बाद भी अगले एक महीने तक अंतिम संस्कार किये जा सकते हैं लेकिन इसके अतिरिक्त सभी मांगलिक कार्यों को वर्जित माना गया है। 

17 अप्रैल से आने वाले तीन महीनों तक विवाह मुहूर्त रहेंगे। जुलाई में देवशयन काल शुरू होने से फिर अगले चार महीनों तक विवाह मुहूर्त नहीं होंगे।

नये साल में करियर की कोई भी दुविधा कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट से करें दूर

खरमास और दान-पुण्य

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में किए गए किसी भी प्रकार के दान जैसे गरीबों का भोजन कराना, साधुओं की सेवा करना, किसी को शिक्षा का दान देना आदि करने से जातकों को तीर्थ स्थल पर दर्शन करने जितना पुण्य मिलता हैI जो जातक इस माह में सच्ची श्रध्दा से प्रभु भक्ति अथवा व्रत आदि करते हैं उनके सभी दोषों का नाश होता है एवम अक्षय फलों की प्राप्ति होती हैI ऐसा करने से यदि आपकी कुंडली में कोई अशुभ ग्रह मौजूद है तो उसके दुष्प्रभाव कम और खत्म होने लगते हैं।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

The post होलाष्टक के बाद भी मांगलिक कार्य नहीं! appeared first on AstroSage Blog.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *