भूमिहार एक भारतीय जाति है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड तथा थोड़ी संख्या में अन्य प्रदेशों में निवास करती है। भूमिहार का अर्थ होता है “भूमिपति” , “भूमिवाला” या भूमि से आहार अर्जित करने वाला (कृषक) भूमिहार ब्राह्मण भी कहा जाता है। बिहार में, उन्हें बाभन और जमींदारी के कारण उन्हें बाबूसाहेब भी कहा जाता है।
सबसे प्रसिद्ध अवधारणा के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम ने क्षत्रियों को पराजित किया और उनसे जीते हुये राज्य एवं भूमि ब्राह्मणों को दान कर दी। परशुराम से दान में प्राप्त राज्य / भूमि के बाद उन ब्राह्मणों ने पूजा की अपनी वांशिक / पारंपरिक प्रथा को त्याग कर जमींदारी और खेती शुरू कर दी और बाद में वे युद्दों में भी शामिल हुए। इन ब्राह्मणों को ही भूमिहार ब्राह्मण कहा जाता है।
गौड़ ब्राह्मणों का नाम एक प्राचीन प्रांत के नाम पर पड़ा है। यह प्रांत अब गौड़ नगर है, जो चिरकाल तक बिहार और बंगाल की राजधानी रहा है। गौड़ ब्राहमण के पाँच भेदों में से एक खास गौड़ ब्राह्मण भी कहा गया है | जिसे आदि गौड़ भी कहते हैं | गौड़ देश में निवेश करने वाले ब्राह्मण कहलाये | जाति भास्कर मैं लिखा है कि बंगदेश से लेकर अमरनाथ तक गौड़ देश स्थित है | ब्रह्मोत्पत्ति निबन्ध के निर्णय अध्याय मैं लिखा है कि जो वेदपाठी , तपस्वी ब्राह्मण सर्वप्रथम ब्रह्मक्षेत्र मैं पैदा हुए थे , वेद के धारण करने वाले तथा सदाचार प्रवर्तक थे | इन्ही ब्राह्मणो को आदि गौड़ मानना चाहिए | गौड़ ब्राह्मणों की उप-शाखाएं काफ़ी संख्या में हैं। उनमें से सर्वाधिक इस प्रकार हैं- गौड़ | आदि-गौड़ | श्री-गौड़ | आदि-श्री गौड़ | गुर्जर गौड़
Address: Aligarh, Uttar Pradesh, India
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