Admin+9759399575 ; Call आचार्य
शादी - विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश, काल सर्प दोष , मार्कण्डेय पूजा , गुरु चांडाल पूजा, पितृ दोष निवारण - पूजा , महाम्रत्युन्जय , गृह शांति , वास्तु दोष

Chanakya Niti : कभी कभी शर्म करने से होता है ऐसा नुकसान, जिसकी भरपाई भी मुश्किल होती है…

आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) का नाम सुनते ही दिमाग में एक कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, निपुण अर्थशास्त्री और प्रकांड विद्वान व्यक्ति की छवि सामने आती है. आचार्य को मौर्य समाज का संस्थापक कहा जाता है. आचार्य ने अपनी तीक्ष्ण बुद्धि, दूर​दर्शिता और अनुभवों की बदौलत पूरे नंद वंश का नाश कर दिया था. कहा जाता है कि आचार्य का जीवन बहुत निर्धनता और संघर्षों (Struggle) के बीच बीता था. लेकिन आचार्य ने अपने हर संघर्ष को जीवन की सीख (Lesson of Life) समझा और बड़ी से बड़ी चुनौतियां पार करते गए.

आचार्य ने तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की थी, वहीं पर रहकर उन्होंने कुछ समय तक शिक्षक कार्य भी किया और तमाम बच्चों के जीवन को संवारा. इस बीच आचार्य ने कई रचनाएं भी की थीं. नीति शास्त्र भी उन्हीं रचनाओं में से एक है, जिसे चाणक्य नीति के नाम से भी जाना जाता है. चाणक्य नीति में आचार्य की कही बातों को लाइफ मैनेजमेंट टिप्स के तौर पर पढ़ा जाता है. चाणक्य नीति में आचार्य ने ऐसी तीन चीजों का जिक्र किया है, जहां शर्म करने से व्यक्ति का अपना ही नुकसान होता है.

ज्ञान प्राप्त करने में

आचार्य ने अपने जीवन में शिक्षा को बहुत महत्व दिया है. आचार्य के मुताबिक शिक्षा व्यक्ति को मान, सम्मान और रोजगार सब कुछ दिलाती है. शिक्षित व्यक्ति जीवन में कभी खाली हाथ नहीं रहता. इसलिए जितना संभव हो ज्ञान प्राप्त करना चाहिए. गुरु से अपनी जिज्ञासा को जाहिर करने में संकोच कभी न करें. गुरु से ज्ञान प्राप्त करने में जो व्यक्ति शर्म करता है, वो अपना इतना बड़ा नुकसान करता है कि ताउम्र उस नुकसान की कभी भरपाई नहीं कर पाता.

उधार दिया धन

आचार्य चाणक्य का कहना था कि अगर आपने वक्त पर किसी की मदद करने के इरादे से उसे धन उधार दिया है, तो समय आने पर अपने धन को मांगने में कोई शर्म न करें. जो लोग अपने ही धन को वापस मांगने में शर्म करते हैं, वो अपना एक बार नहीं बल्कि बार बार नुकसान करते हैं. इससे धन तो जाता ही है, और रिश्ता भी खराब हो जाता है. इसलिए धन के मामले में स्पष्ट रवैया रखिए.

भोजन करने में

कहीं भोजन करने बैठे हैं, तो खाने में कोई संकोच न करें. भरपेट भोजन करें. आधे पेट भोजन करने से आप किसी की बहुत बचत नहीं कर देंगे, बल्कि अपना ही नुकसान कर बैठेंगे. इसलिए भोजन हमेशा जरूरत के अनुसार ग्रहण करने के बाद ही उठना चाहिए.

 

यह भी पढ़ें – Chanakya Niti : ऐसे लोग दर-दर भटकते हैं, लेकिन इनके हाथ कभी कुछ नहीं लगता

यह भी पढ़ें – Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य की ये बातें समझ लीं तो बड़े से बड़ा संकट भी आसानी से पार हो जाएगा…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *