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Gupt Navratri 2022: 2 फरवरी से शुरू है गुप्त नवरात्रि, मां को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों से करें पूजन

Magh Gupt Navratri 2022: हिंदू धर्म में नवरात्रि का खास महत्व होता है. बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में कुल  चार बार नवरात्रि (Navratri 2022) पड़ती हैं. इन चारों नवरात्रि का अपना एक खास महत्व भी होता है. जिनमें से दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं, जिनको हम सब धूमधाम से मनाते हैं, जो कि चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि होती हैं, इसके अलावा 2 बार और नवरात्रि पड़ती है, जिनको  गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2022) कहा जाता है. साल में दो बार आने वाले नवरात्रि में से एक माघ माह में आने वाली गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri special) हैं. इस बार माघ के माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी 2022 से है, जिसका समापन 11 फरवरी को होगा. आपको बता दें कि गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्या की साधना की जाती है. ऐसे में आज हम आपको गुप्त नवरात्रि की दस महाविद्याओं और उन देवियों के मंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं.

मां दुर्गा के नौ रूप 

मां दुर्गा के नौ रूप हैं इनमें शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री माता हैं.  चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में देवी के इन नौ रूपों की पूजा की जाती है, जबकि  गुप्त नवरात्रि में जिन दस महाविद्या देवियां की पूजा की जाती हैं वो तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, काली, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी हैं.

गुप्त नवरात्रि का क्या होता महत्व

आपको बता दें कि शुरू से ही गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना, जादू-टोना, वशीकरण आदि चीजों के लिए ही भक्तों के बीच विशेष महत्व रखता है. गुप्त नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा को कठिन भक्ति और तपस्या से खुश किया जाता है. निशा पूजा की रात्रि में खास रूप से तंत्र सिद्धि की पूजा की जाती है. इतना ही नहीं  भक्ति की सेवा से प्रसन्न होकर मां दुर्लभ और अतुल्य शक्ति का वरदान देती है. साथ ही सभी मनोरथ सिद्ध करती हैं.

जानें दस महाविद्याओं के लिए पूजा मंत्र:-

1. देवी काली:-

मंत्र – ‘ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहाः’

2. तारा देवी:-

मंत्र- ‘ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट’

3. त्रिपुर सुंदरी देवी:-

मंत्र – ‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः’

4. देवी भुवनेश्वरी:-

मंत्र – ‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमः’

5. देवी छिन्नमस्ता:-

मंत्र- ‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा:’

6. त्रिपुर भैरवी देवी:-

मंत्र- ‘ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा:’

7. धूमावती माता:-

मंत्र- ‘ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:’

8. बगलामुखी माता:-

मंत्र – ‘ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नम:’

9. मातंगी देवी:-

मंत्र- ‘ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:’

10. देवी कमला:-

मंत्र- ‘ॐ हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:’

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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