Hariyali Teej, Know Story, Method and Complete Information
हरियाली तीज, जानें मुहूर्त, कथा, विधि और संपूर्ण जानकारी
शिव-शक्ति के मिलन का प्रतीक
हरियाली तीज सावन मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व हैं. महिलाएं इस दिन का पूरे वर्ष इंतजार करती हैं. हरियाली तीज सौंदर्य और प्रेम का पर्व हैं. यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं. यह पर्व प्रकृति से जुड़ने का पर्व हैं. हरियाली तीज का जब पर्व आता है तो हर तरफ हरियाली छा जाती हैं. पेड़ पौधे उजले उजले नजर आने लगते हैं.
हरियाली तीज का पर्व हर साल सावन / श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं. हरियाली तीज या श्रावणी तीज, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कहते हैं.
हरियाली तीज पर महिलाएं अपनी सखियों के साथ मिलकर पेड़ पर झूला डालती है और सावन के लोकगीत गाकर इस त्योहार की खुशियां मनाती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं और भगवान शंकर व माता पार्वती की पूजा करती है. कुछ स्थानों पर कुंवारी कन्याएं भी सुयोग्य वर पाने के लिए भी तीज का व्रत करती है. हरियाली तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी आयु की कामना के साथ महादेव और पार्वती का व्रत रखती हैं और विधि विधान से उनका पूजन करती हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से महादेव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं और महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देते हैं.
हरियाली तीज की परंपरा
हरियाली तीज के अवसर पर महिलाओं को ससुराल से मायके बुलाया जाता है. हरियाली तीज से एक दिन पूर्व सिंजारा मनाने की परम्परा है. इस दिन ससुराल पक्ष से नवविवाहित स्त्रियों को वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई आदि भेजी जाती है.
इस तीज के अवसर पर मेहंदी लगाना अत्यधिक शुभ माना जाता है. महिलाएं और युवतियां अपने हाथों पर मेहंदी लगाती हैं, साथ ही हरियाली तीज पर पैरों में आलता भी लगाया जाता है. यह सुहागिन महिलाओं की सुहाग की निशानी मानी गई है.
इस दिन महिलाओं को मायके से आने वाले वस्त्र ही धारण करने चाहिए, साथ ही मायके से आई हुई शृंगार की वस्तुओं का ही प्रयोग करना चाहिए.
हरियाली तीज के दिन सुहागिन स्त्रियां अपनी सास के पैर छूकर उन्हें सुहागी देती हैं. अगर सास नहीं हो तो सुहागा जेठानी या किसी अन्य वृद्धा को दिया जा सकता है. इस अवसर पर महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर श्रद्धा एवं भक्तिभाव से मां पार्वती की पूजा करती हैं.
हरियाली तीज के दिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं खेत या बाग में झूले झूलती हैं और लोक गीत पर नृत्य करती हैं. नवविवाहित स्त्रियों के लिए ये त्योहार अत्यंत विशेष माना गया है.
तीज के त्यौहार को साल में तीन बार मनाया जाता है जो इस प्रकार है: हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज.
* हरियाली तीज का पर्व मां पार्वती और भगवान शिव को समर्पित
हरियाली तीज का पर्व मां पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन हरी चूड़ियां और हरे रंग के कपड़े पहनने का विधान है. लेकिन अगर आप तीज के दिन अपनी राशि के अनुसार रंग के कपड़े पहनेंगी तो यह आपके लिए और आपके वैवाहिक जीवन के लिए बहुत भी शुभ रहेगा.
* हरियाली तीज व्रत का महत्
हरियाली तीज व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने महादेव को अपने पति के रूप में पाने के लिए किया था. हरियाली तीज का व्रत करने से पति की दीर्घायु के साथ-साथ संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूर्ण होती है. सुहागिनें इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती है.
* हरियाली तीज का व्रत अच्छे जीवनसाथी को पाने के लिए बहुत फलदायी माना गया है. इस दिन सुहागिनें व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार कर भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा कर अपने सुहाग की लंबी आयु और परिवार की सुख समृद्धि की कामना करती है.
* हरियाली तीज सावन मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व हैं. महिलाएं इस दिन का पूरे वर्ष इंतजार करती हैं. हरियाली तीज सौंदर्य और प्रेम का पर्व हैं. यह पर्व प्रकृति से जुड़ने का पर्व हैं. हरियाली तीज का जब पर्व आता है तो हर तरफ हरियाली छा जाती हैं. हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं. हरियाली तीज या श्रावणी तीज, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कहते हैं.
* हरियाली तीज की पूजा के दौरान माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करना चाहिए. माता पार्वती के ऊपर चढ़ाया सिंदूर अपनी मांग में अवश्य लगाएं. इससे अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है.
हरियाली तीज व्रत का महत्व -पति की लंबी उम्र के लिए खास है ये व्रत
हरियाली तीज सुहागिनों के लिए खासा महत्वपूर्ण पर्व है. हरियाली तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, यह वह दिन है जब देवी ने शिव की तपस्या में 107 जन्म बिताने के बाद पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. 108 जन्म भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. ऐसा भी कहा जाता है कि ये हरियाली तीज के दिन अर्थात श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हुआ था.
इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती के पूजन से सुहागिन स्त्रियों को सौभाग्यपूर्ण जीवन और उनके पतियों को लंबी आयु की प्राप्ति होती है. हरियाली तीज के दिन कुंवारी कन्याएं मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए व्रत करती है, वहीँ सुहागिन महिलाओं द्वारा निर्जला व्रत किया जाता है.
हरियाली तीज की पूजा विधि
* सोलह श्रृंगार करके पूरे दिन उपवास रखना चाहिए. 16 श्रृंगार में मेहंदी जरूर लगाएं और हरे रंग की चूड़ियां पहनें. शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. मंदिर में घी का बड़ा दीपक जलाएं. मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें. पूजा के बाद सुहागन और जरूरत स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करें और उनका आशीर्वाद लें.
* हरियाली तीज के दिन साफ-सफाई करके घर को तोरण और मंडप से सजाएं.
* एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, श्री गणेश, मां पार्वती की प्रतिमा रखें. माँ पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा का निर्माण करें.
* सभी देवी-देवताओं की मिट्टी की प्रतिमा बनाने के उपरांत सुहाग की समस्त सामग्री को एक थाली में एकत्रित करें और माता पार्वती को अर्पित करें.
माँ पार्वती के बाद भगवान शंकर को वस्त्र अर्पण करें,
* मां पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री, साड़ी, अक्षत्, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें.
* शिव जी को भांग, धतूरा, अक्षत, बेल पत्र, श्वेत फूल, गंध, धूप, वस्त्र आदि चढ़ाएं.
* मां पार्वती के बाद भगवान शंकर को वस्त्र अर्पण करें.
* इसके बाद देवताओं का ध्यान करते हुए पूजन करें षोडशोपचार पूजन करें.
* अंत में हरियाली तीज की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए. हरियाली तीज व्रत की पूजा पूरी रात चलती है.
* गणेश जी की पूजा करते हुए हरियाली तीज की कथा सुनें.
* भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें.
हरियाली तीज पर हरे रंग का करें इस्तेमाल
इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है इसलिए इस दिन हरी साड़ी के साथ हरी चूड़ियां भी पहनने का प्रचलन है. हरा रंग शिव को प्रिय है इससे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. इससे परिवार में खुशहाली आती है. हरियाली तीज का व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस पर्व को नाग पंचमी से दो तिथि पूर्व मनाया जाता है. हरियाली तीज के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता पार्वती के साथ गणेश जी और भगवान शिव की पूजा करती हैं.
हरियाली तीज आज, राशि के अनुसार करें ये उपाय
राशि अनुसार पूजा करने का महत्व
* मेष राशि के महिलाएं व्रत के दिन मंदिर में जाकर महादेव और माता पार्वती का पूजन करें. शिव जी को सफेद फूल अर्पित करें. साथ ही भगवान शिव और मां पार्वती को रेशमी वस्त्र अर्पित करें और उन्हें पंचामृत का भोग लगाएं. ब्राह्मण को केले का दान करें.
* वृषभ राशि के जातक करें ये उपाय
वृषभ राशि की महिलाएं भगवान शिव और मां पार्वती को लाल फूल चढ़ाएं. साथ ही माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें और चुनरी पहनाएं. पांच सुहागिनों को हरी चूड़ियों का दान करें.
* मिथुन राशि के जातक करें ये उपाय
तीज के दिन मिथुन राशि की महिलाएं माता पार्वती को हल्दी और शिव जी को सफेद चंदन अर्पित करें. पूजा करने के बाद बच्चों को खीर खिलाएं और किसी जरूरतमंद को भी खीर दान करें.
* कर्क राशि के जातक करें ये उपाय
कर्क राशि की महिलाएं व्रत के दिन माता पार्वती को इत्र और सफ़ेद फूल चढ़ाएं. तीज के दिन शिव जी और मां पार्वती को श्रृंगार भेंट करते हुए, “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें.
* सिंह राशि के जातक करें ये उपाय
सिंह राशि की महिलाएं व्रत के दिन शिवलिंग पर दूध, चीनी और कच्चे चावल अर्पित करें. अगर संभव हो तो यही चीजें दान भी करें.शिव जी और मां पार्वती को पीले फूल की माला अर्पित करें और स्वयं इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनें.
* कन्या राशि के जातक करें ये उपाय
तीज के दिन इस राशि के महिलाएं पति के साथ मिलकर रुद्राभिषेक करें. भगवान शिव और मां पार्वती को हल्दी मिला हुआ जल चढ़ाएं और मेहंदी भेट करें .
* तुला राशि के जातक करें ये उपाय
तीज के दिन तुला राशि की महिलाएं शिव जी को पंचामृत व मां पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें.माता पार्वती को हरे रंग की साड़ी अर्पित करें और बच्चों को हरे रंग के वस्त्र दान करें.
* वृश्चिक राशि के जातक करें ये उपाय
वृश्चिक राशि की महिलाएं तीज के दिन शिव जी को इत्र और जल अर्पित करें साथ ही मां पार्वती को पीले वस्त्र और पीली चूड़ियां भेट करें.
* धनु राशि के जातक करें ये उपाय
इस राशि की महिलाएं भगवान शिव-पार्वती को सुगन्धित पुष्प अर्पित करते हुए शिव चालीसा का पाठ करें. पूजा करने के बाद किसी अनाथालय में जाकर जरूरतमंद बच्चों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करें.
* मकर राशि के जातक करें ये उपाय
मकर राशि की महिलाएं शाम के समय चन्द्रमा को अर्घ्य दें व किसी भी मंदिर में शिव जी और मां पार्वती के समक्ष एक-एक घी का दीपक जलाएं. व्रत के दिन बुजुर्गों की सेवा करें और उन्हें फल और मिष्ठान दान करें और उनका आशीर्वाद लें.
* कुंभ राशि के जातक करें ये उपाय
इस राशि की महिलाएं व्रत के दिन शिव जी को सफेद पुष्प और मां पार्वती को गुलाबी वस्त्र भेट करें. पूजन के बाद किसी गरीब को हरी दाल और हरी सब्जियां दान करें.
* मीन राशि के जातक करें ये उपाय –
मीन राशि की महिलाएं भगवान शिव और पार्वती को पीले रंग के वस्त्र और श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं. इस दिन भगवान नारायण की भी पूजा करें और उन्हें पीले फूल चढ़ाएं.
हरियाली श्रावणी तीज की प्रामाणिक कथा
हरियाली तीज से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित है। एक समय की बात है माता पार्वती अपने पूर्वजन्म के बारे में याद करना चहती थीं लेकिन उन्हें कुछ याद नहीं आ रहा था। ऐसे में भोलेनाथ देवी पार्वती से कहते हैं कि हे पार्वती! तुमने मुझे प्राप्त करने के लिए 107 बार जन्म लिया था लेकिन तुम मुझे पति रूप में न पा सकीं। लेकिन 108वें जन्म में तुमने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया और मुझे वर रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की।
भगवान शिव कहते हैं कि हे पार्वती! तुमने अन्न-जल का त्यागकर पत्ते खाए और सर्दी-गर्मी एवं बरसात में हजारों कष्टकर सहकर भी अपने व्रत में लीन रही। तुम्हारे कष्टों को देखकर तुम्हारे पिताजी बहुत दुखी थे, तब नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और कहा कि मुझे भगवान विष्णु ने भेजा है। भगवान विष्णु आपकी कन्या से अत्यंत प्रसन्न हैं और वह उनसे विवाह करना चाहते हैं, मैं भगवान विष्णु का यही संदेश लेकर आपके पास आया हूं।
नारदजी के प्रस्ताव को सुनकर पार्वती के पिता खुशी से भगवान विष्णु के साथ विवाह के लिए तैयार हो गए। नारदमुनि ने भी भगवान विष्णु को यह शुभ संदेश सुना दिया। लेकिन जब यह बात पार्वती को पता चली तब वह बहुत दुखी हुईं। पार्वती ने अपने मन की बात अपनी सखी को सुनाई। तब सखी ने माता पार्वती को घने जंगल में छुपा दिया। जब पार्वती के गायब होने की खबर हिमालय को पता चली तब उन्होंने खोजने में धरती-पाताल एक कर दिया लेकिन पार्वती का कहीं पता नहीं चला। क्योंकि देवी पार्वती तो जंगल में एक गुफा के अंदर रेत से शिवलिंग बनाकर शिवजी की पूजा कर रही थी।
शिवजी ने कहा, हे पार्वती! इस प्रकार तुम्हारी पूजा से मैं बहुत प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरी की। जब हिमालयराज गुफा में पहुंचे तब तुमने अपने पिता को बताया कि मैंने शिवजी को पतिरूप में चयन कर लिया और उन्होंने मेरी मनोकामना पूरी कर दी है। शिवजी ने मेरा वरण कर लिया है। मैं आपके साथ केवल एक शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भोलेनाथ से करवाने के लिए तैयार हो जाएं। तब हे पार्वती! तुम्हारे पिताजी मान गए और विधि-विधान सहित हमारा विवाह हुआ। हे पार्वती! तुम्हारे कठोर तप और व्रत से ही हमारा विवाह हो सका।
भगवान शिव देवी पार्वती से कहते हैं, हे पार्वती! इस हरियाली तीज को जो भी निष्ठा के साथ करेगा, मैं उसको मनोवांधित फल प्रदान करूंगा। उसे तुम जैसा सुहाग मिलेगा। तबसे कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना हेतु यह व्रत रखती है। वहीं सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखती हैं। भविष्य पुराण में देवी पार्वती ने खुद बताया है कि हरियाली तीज का व्रत करने पर महिलाओं को सुहाग और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सावन महीने में तृतीया तिथि के दिन कई वर्षों की कठिन तपस्या के बाद देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने का वरदान प्राप्त किया था इसलिए इस व्रत का बड़ा ही महत्व है।