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Mahashivratri 2022 : सिर्फ गणेश और कार्तिकेय ही नहीं शिव-पार्वती की और भी हैं संतान, जानें पूरा शिव परिवार

महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का नाम आते ही शिव धक का मन देवों के देव महादेव की साधना-आराधना की ओर बरबस खिंचने लगता है. शिव, शंकर, रूद्र, महाकाल, महादेव (Mahadev), भोलेनाथ, औढरदानी, आदियोगी और न जाने ही कितने नाम से पुकारे जाने वाले भ​गवान शिव (Lord Shiva) अनेकों रूप में पूजे जाते हैं. हर शिव साधक उन्हें अपनी-अपनी मनोकामना के अनुसार पूजता है. भगवान शिव की पूजा के लिए शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष कि चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, लेकिन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. महाशिवरात्रि पर सिर्फ भगवान शिव ही नहीं बल्कि उनके परिवार की पूजा होती है. अभी तक आप भगवान शिव और माता पार्वती की दो संतान भगवान गणेश और कार्तिकेय की ही कथा सुनते आए होंगे, लेकिन ऐसा नहीं भगवान शिव और भी संतान हैं, आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं.

गणेश

मान्यता है कि ऋद्धि सिद्धि के दाता भगवान गणेश की उत्पत्ति माता पार्वती ने अपने उपटन और चन्दन के मिश्रण से की थी और ऐसा करने के बाद उन्होंने उन्हें आदेश दिया कि वह स्नान करने जा रही हैं और वह किसी को घर में प्रवेश न करने दें. माता पार्वती के जाते ही कुछ देर बाद भगवान् शिव आये जिन्हें गणपति ने घर के भीतर जाने से रोक दिया. इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने भगवान गणेश का सर धढ़ से अलग कर दिया. जब माता पार्वती को यह बात पता चली तो वह अपने पुत्र की मृत्यु से बहुत नाराज़ हुई. तब भगवान शिव ने कटे सर की जगह हाथी के बच्चे का सर लगा कर गणेश को दोबारा किया. भगवान शिव की दो बहुएं यानि श्री गणेश जी की पत्नी रिद्धि और सिद्धि और उनके दो पुत्र क्षेम और लाभ हैं।

कार्तिकेय

मान्यता है कि सती की मृत्यु के बाद भगवान् शिव जब दु:खी हो कर लम्बी तपस्या में बैठ गए तो पूरी दुनिया में दैत्यों का आतंक बढ़ गया, जिससे परेशान होकर सभी देवता भगवान् ब्रह्मा के पास इस संकट का समाधान खोजने गए. तब ब्रह्मा जी ने उन्हें आश्वासन दिया कि शीघ्र ही शिव और पार्वती से जन्मा पुत्र इस संकट का समाधान करेगा. इसके बाद शिव-पार्वती के विवाह के बाद भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ.

सुकेश

सुकेश को शिव-पार्वती का तीसरा पुत्र माना जाता है, जो कि वास्तव में विदुय्त्केश और सालकंठकटा का पुत्र था. जिसे दोनों ने लावारिस छोड़ दिया था. भगवान् शिव और पार्वती ने जब इस बालक को असुरक्षित पाया तो अपने पास रख लिया और उसका पालन-पोषण किया था.

जलंधर

जलंधर को भगवान् शिव का चौथा माना जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव ने एक बार अपना तेज समुद्र में फेंक दिया था, जिससे जलंधर का जन्म हुआ था. जलंधर में भगवान शिव के समान ही शक्ति थी. मान्यता है कि वह अपनी पत्नी वृंदा के पतिव्रता धर्म के कारण वह इतना शक्तिशाली हो गया था कि उसने देवताओं के राजा इंद्र को पराजित करके तीनों लोकों पर अपना कब्ज़ा जमा लिया था. मान्यता है कि जब जलंधर कैलाश को जीतने की इच्छा से आगे बढ़ा तो भगवान् शिव और जलंधर के बीच जब कर युद्ध हुआ लेकिन इस युद्ध में जब उस पर किसी तरह के वार का असर नहीं हो रहा था तब भगवान विष्णु ने जलंधर की पत्नी वृंदा का पतिव्रत धर्म तोड़ कर उसकी मृत्यु सुनिश्चित की थी.

अयप्पा

शिव परिवार का सदस्य अयप्पा भगवान शिव और मोहिनी का रूप धारण किये भगवान विष्णु का पुत्र था. मान्यता है कि जब जब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था तो उसे आकर्षित होकर भगवान शिव का वीर्यपात हो गया था, जिससे अयप्पा का जन्म हुआ था. दक्षिण भारत में भगवान अयप्पा की अधिक पूजा होती है. अयप्पा को ‘हरीहर पुत्र’ के नाम से भी जाना जाता हैं.

भूमा

मान्यता है कि एक बार भगवान शिव जब तप कर रहे थे तो उनके शरीर से कुछ बूंदे पसीने की पृथ्वी पर गिरी थीं, जिससे पृथ्वी ने एक चार भुजाओं वाले बालक का जन्म दिया था. जिसे कालांतर में भूमा के नाम से जाना गया.

अशोक सुंदरी

मान्यता है कि माता पार्वती ने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए कल्प वृक्ष से कन्या प्राप्ति का वरदान मांगा था. जिसके फलस्वरूप का जन्म हुआ. अशोक सुंदरी का विवाह राजा नहुष से हुआ था.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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