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Pre-construction land house building foundation worship auspicious time, month , day, date

भूमि गृह भवन निर्माण पूर्व नींव यानि कि बुनियाद पूजन मुहूर्त, शुभ लग्न,महीने दिन, शुभ तिथियां

वास्तु पूजन और शिलान्यास क्यों जरूरी है?

भूमि का अर्थ है पृथ्वी और शिलान्यास का अर्थ है पहला पत्थर आपके भवन का। किसी जगह को अपना बसेरा बनाना चाह रहे हैं तो आपको देवताओं से आज्ञा लेने होते हैं। जिस भूमि के मालिक आप हैं वह भूमि लाखों साल से है। आज से 10000 साल पहले उस भूमि पर क्या था आपको पता है? यह भूमि शुभ है अशुभ है यह भी आपको नहीं पता। इसलिए उस भूमि का दोष मुक्त होना, कुलदेवता से से आज्ञा लेना, देवताओं को आवाहन करना, बहुत जरूरी होता है। देवी देवता, नवग्रह, कुलदेवता, ग्राम देवता, को सूचित करना जरूरी हो जाता है। और यही माध्यम है वास्तु पूजन का इसीलिए शुभ मुहूर्त निकाला जाता है ताकि शुभ मुहूर्त में ही देवी देवता आते हैं।

इसलिए पूजा पाठ का महत्व है और शिलान्यास का महत्व है। ताकि वह भूमि दोषमुक्त हो जाए और आपके रहने योग्य और घर बनाने योग्य हो जाए। इसलिए सही मुहूर्त में पूजा पाठ करके शिलान्यास करना, ईट रखना जरूरी होता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, भूमि पूजन, नीव पूजन, गृह निर्माण कब करने चाहिए?

भूमि पूजन के लिए शुभ दिन कौन सा होता है?
आप भूमि पूजन, नींव पूजन शिलान्यास, दिन सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार, को करना चाहिए।

घर निर्माण करने के कौन सी तिथि शुभ होती है भूमि पूजन नींव पूजन के लिए?
आप द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी, पूर्णिमा को भूमि पूजन नीव पूजन करें।

गृहारंभ के लिए शुभ किस नक्षत्र में भूमि पूजन शुभ माना जाता है?
भूमि पूजन के लिए जो सर्वश्रेष्ठ नक्षत्र होता है वह है, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढ़, स्वाति, धनिष्ठा, शतभिषा, चित्रा, हस्त, रोहिणी और रेवती।

भूमि पूजन के लिए शुभ लग्न नींव पूजन के लिए कौन सा होता है ?
शुभ लग्न: वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु, कुम्भ

कौन सा हिंदी महीना शुभ होता है नींव पूजन के लिए?

शुभ महीने: पौष, वैशाख, अग्रहायण, फाल्गुन, श्रावण, माघ, भाद्रपद

आषाढ़
जुलाई के महीने में शिलान्यास करने से बचें, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इससे व्यापार में नुकसान होता है।

श्रावण
यह अगस्त का महीना होता है और यह समय अनुकूल नहीं है, क्योंकि यह वित्तीय नुकसान ला सकता है।

भाद्रपद
अपने नए घर की नींव खोदने के लिए सितंबर माह से बचना चाहिए, क्योंकि इससे घर में झगड़े और तनाव हो सकते हैं।

अश्विन
वास्तु के अनुसार अपने नए घर की नींव रखने के लिए अक्टूबर महीने से बचना चाहिए।

माघ : जनवरी और फरवरी के महीनों में आता है। इस महीने में किया गया नींव पूजन, जिंदगी के सभी पहलुओं में सफलता और उपलब्धि सुनिश्चित करता है

फाल्गुन : मार्च और अप्रैल में आता है, इस महीने नींव पूजन करने से धन और समृद्धि आती है

वैसाख (बैसाख) : April -May – इस महीने में नींव पूजा करने से धन और समृद्धि आती है नए मकान में

कार्तिक : अक्टूबर और नवंबर महीना, इस महीने मुहूर्त करने से इन महीनों में घर बनाने से घर के मालिक को खुशी और प्रसन्नता मिलती है

चैत्र
यह मार्च से अप्रैल तक होता है। इस समय से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यह घर के मालिक के लिए मुश्किलें लेकर आता है।

ज्येष्ठ
यह जून का महीना होता है और ग्रह अनुकूल स्थिति में नहीं हैं।

भूमि पूजन के लिए इन तिथियों का चुनाव न करें
चौथी, नौवीं और चौदहवीं तिथि से बचना चाहिए, क्योंकि ये गृह निर्माण या भूमि पूजा के लिए शुभ नहीं मानी जाती हैं।

गृह निर्माण और नींव पूजन शुभ मुहूर्त का चुनाव कैसे करें?
जो आपके नाम राशि लग्न के अनुसार जन्मतिथि के अनुसार अति उत्तम मुहूर्त निकाल सके।

चंद्र नक्षत्रों का प्रभाव
यदि चंद्र दिवस महीने की पहली और सातवीं या 19 और 28 तारीख के बीच पड़ता है, तो भूमि पूजन करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। साथ ही 8 से 18 तारीख के बीच पड़ने वाले किसी भी चंद्र दिवस को भूमि पूजन के लिए शुभ माना जाता है।

निर्माण स्थल पर भूमि पूजा कहां करनी चाहिए?
भूमि पूजा निर्माण स्थल के उत्तर-पूर्व कोने में की जाती है, क्योंकि यह पूजनीय स्थान माना जाता है। साथ ही स्थल की खुदाई हमेशा उत्तर-पूर्व कोने से की जाती है, क्योंकि खुदाई की वजह से उत्तर-पूर्व नीचा और दक्षिण-पूर्व तुलनात्मक रूप से ऊंचा हो जाएगा, जो वास्तु के अनुसार अच्छे परिणाम देता है।

अब गृह निर्माण प्रारंभ करने से पूर्व किस दिशा में नींव खोदी , भूमि पूजा की जाना चाहिए यह देखने के लिए हमें सूर्य के गोचर पर ध्यान देना होगा। जिस दिन आप शुभ मुहूर्त देखकर गृह निर्माण प्रारंभ करने जा रहे हैं उस दिन सूर्य किस राशि में गोचर कर रहा है, उसी के अनुसार खात अर्थात् नींव खोदने के कोण भूमि पूजा का निर्धारण होता है। घर, मंदिर और जलाशय आदि निर्माण के लिए सूर्य की राशि से अलग-अलग दिशाएं आती हैं। गृहारंभ के लिए गृह निर्माण प्रारंभ करने वाले दिन सूर्य सिंह, कन्या या तुला राशि में हो तो आग्नेय कोण में नींव खोदना चाहिए। गृह निर्माण प्रारंभ करने वाले दिन सूर्य वृश्चिक, धनु या मकर राशि में हो तो ईशान कोण में नींव खोदना चाहिए। गृह निर्माण प्रारंभ करने वाले दिन सूर्य कुंभ, मीन या मेष राशि में हो तो वायव्य कोण में नींव खोदना चाहिए। गृह निर्माण प्रारंभ करने वाले दिन सूर्य वृषभ, मिथुन या कर्क राशि में हो तो नैऋत्य कोण में नींव खोदना चाहिए।

मंदिर निर्माण के लिए मंदिर निर्माण प्रारंभ करने वाले दिन सूर्य मीन, मेष या वृषभ राशि में हो तो आग्नेय कोण में नींव खोदना चाहिए। मंदिर निर्माण प्रारंभ करने वाले दिन सूर्य मिथुन, कर्क या सिंह राशि में हो तो ईशान कोण में नींव खोदना चाहिए। मंदिर निर्माण प्रारंभ करने वाले दिन सूर्य कन्या, तुला या वृश्चिक राशि में हो तो वायव्य कोण में नींव खोदना चाहिए। मंदिर निर्माण प्रारंभ करने वाले दिन सूर्य धनु, मकर या कुंभ राशि में हो तो नैऋत्य कोण में नींव खोदना चाहिए।

भूमि पूजन विधि: भूमि पूजन अनुष्ठान कैसे करना चाहिए?

घर खरीदने वाले अक्सर भूमि पूजा को पूरे विधि-विधान के साथ करना चाहते हैं। लेकिन इसके सभी नियमों को जानने के कारण अपने आसपास मौजूद अनुभवियों से बातचीत करते हैं। कई लोग इस बात अपने माता-पिता की मदद लेते हैं और कुछ लोग सीधे पुरोहित से बातचीत करते हैं। हमारा सुझाव है कि आप ऐसा करना जारी रखें। यहां कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताया जा रहा, भूमि पूजन से पहले इन बातों का भी ध्यान अवश्य रखें।

स्थान की पहचान: स्नान करने के बाद उस जगह को साफ करना चाहिए। स्थान को साफ करने और शुद्ध करने के लिए गंगाजल का उपयोग किया जाता है। निर्माण स्थल के उत्तर-पूर्व कोने में विभिन्न देवताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले 64-भाग का चित्र बनाएं।

भूमि पूजा किसे करनी चाहिए? भूमि पूजा पुजारी द्वारा की जानी चाहिए: एक योग्य पुजारी को अनुष्ठान करना चाहिए और वास्तु दोष और नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने के लिए उसकी उपस्थिति अनिवार्य होती है। गृह निर्माण या भूमि पूजा विधि परिवार के मुखिया को अपनी पत्नी के साथ करनी चाहिए। पूजा एक पुजारी की उपस्थिति में की जानी चाहिए और पूजा को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए उनके दिए गए मार्गदर्शन का अनुसरण किया जाना चाहिए।

वास्तु दिशा / उचित दिशा: भूमि पूजन करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। पुजारी का मुख आमतौर पर उत्तर दिशा की ओर होता है, जबकि पूजा का आयोजन करने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व की ओर होता है।

भगवान गणेश की पूजा: भूमि पूजन की शुरुआत बाधाओं को दूर करने वाले भगवान गणेश की पूजा से होती है। किसी भी बाधा से बचने के लिए भगवान गणेश जी की पूजा करके उनका आशीर्वाद मांगा जाता है।

देवताओं की मूर्ति नाग की मूर्ति:: तेल या घी का दीपक जलाया जाता है। भगवान गणेश की प्रार्थना के बाद नाग देवता की मूर्ति और कलश की पूजा की जाती है। चांदी के सांप की पूजा के पीछे तर्क यह है कि शेषनाग पृथ्वी पर शासन करता है और भगवान विष्णु का सेवक है। इसलिए आप भूमि पूजन के जरिए उनसे आशीर्वाद मांग रहे हैं और अपने घर की रक्षा करने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। सर्प भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए निर्माण कार्यों को शुरू करने के लिए उनकी स्वीकृति लेनी होती है। गणेश जी की पूजा करने के बाद नाग देवता की मूर्ति और कलश की पूजा करनी चाहिए। काम शुरू करने से पहले नाग देवता का आशीर्वाद लेना आवश्यक है। भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक मास में भवन निर्माण हो तो सर्प का मुख पर्व दिशा की ओर करना चाहिए। फाल्गुन, चैत्र और बैशाख मास में यदि भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ हो तो सर्प के मुख को पश्चिम दिशा की ओर करना चाहिए। ज्येष्ठ, अषाढ़ और श्रावण मास में यदि आप भवन का निर्माण करना चाहते हैं तो आपको सर्प का मुख उत्तर दिशा की ओर करना चाहिए। और यदि आप मार्गशीष, पौष और माघ मास में भवन का निर्माण कार्य शुरू करना चाहते हैं तो आपको सर्प के मुख को दक्षिण दिशा की ओर करना चाहिए।

कलश पूजा: कलश ब्रह्मांड का प्रतीक है। एक कलश में पानी भरा जाता है और उसके ऊपर आम या पान के पत्ते उलटे नारियल के साथ रखे जाते हैं। भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करने के लिए कलश में एक सिक्का और सुपारी रखा जाता है। कलश पूजा दैवीय ऊर्जा को प्रसारित करने और विशेष भूमि पर समृद्धि और सकारात्मकता को आकर्षित करने के लिए की जाती है।

नारियल: इसके पश्चात् आप लाल कपड़े से ढके नारियल को जमीन पर रखें। कुछ जगहों पर लोग कलश में पानी, घी, शहद, दही और दूध मिलाते हैं और इसे नाग देवता को चढ़ाते हैं। जबकि कुछ जगहों पर कलश को पानी से भरकर उस पर रखे नारियल को आम के पत्तों के साथ सजाया जाता है। यह देवी लक्ष्मी की पूजा होती है, जिन्हें समृद्धि की देवी कहा जाता है।

भूमि पूजा करें: भूमि पूजन के दिन मुख्य अनुष्ठान भगवान गणेश पूजा है, जो किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले की जाती है। इसके पश्चात् हवन किया जाता है।

खुदाई: जमीन के एक छोटे से हिस्से को खोदकर उस पर घर बनाने के लिए नींव का पत्थर या ईंट रखी जाती है।

नीबू रखें: पूजा हो जाने के बाद आप पांच नीबू में से चार को पूजन स्थल के चार कोनों तथा एक को बीच में रखकर कुचल दें।
जमीन खरीदने के बाद क्या करें और क्या न करें

प्रसाद: भूमि पूजा और पुजारी द्वारा मंत्र जाप के दौरान फूल, अगरबत्ती, कलावा, कच्चे चावल, चंदन, हल्दी, सिंदूर (रोली), सुपारी, फल और मिठाई सहित अन्य वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए।

नींव खुदाई की दिशा कौन सी होती है?
घर बनाने के लिए आपकी जमीन चाहे किसी भी दिशा में हो, लेकिन इस बात का ध्यान रखने है की नींव की खुदाई उत्तर पूर्व से शुरू करके उत्तर-पश्चिम और दक्षिण- पूर्व की तरफ लाएं। इसके बाद उत्तर- पश्चिम और दक्षिण- पूर्व से शुरू करके दक्षिण- पश्चिम तक साथ साथ करके खत्म करें। भूमि पूजन हमेशा उत्तर पूर्व दिशा में ही करें।

1. नींव रखते समय तांबे के गठवी में चावल भरकर तथा उसमें हल्दी और सरसों भरें। और उस गठवी को मौली या आम के पत्तों से बांध लें।

2. पंचरत्न और धार्मिक ग्रंथ भी बुनियाद के अंदर रखने चाहिए।
3. बुनियाद के अंदर एक नाग-नागिन का जोड़ा जोकि चांदी, तांबा अथवा सोने से निर्मित हो, वह भी रखना चाहिए।

4. एक श्रीफल, लाल वस्त्र, यज्ञोपवीत का जोड़ा भी नींव के अंदर रखना चाहिए।

इसके अलावा पांच कौड़ी, सिंदूर, सुपारी, एक नारियल, नाग देवता, तालाब के किनारे की घास तथा एक पाव कच्चा दूध, गंगाजल भी निर्माण कार्य कराने से पहले बुनियाद में रखकर विधि विधान से किसी कन्या या अपनी बहन के हाथों से नींव का पूजन कराएं, अगर आपकी बहन या कोई कन्या समय पर उपलब्ध ना हो तो किसी ब्राहमण या आर्चाय से विधि पूर्वक निर्माण कार्य कराने से पूर्व पूजन कराएं। .

नींव पूजन के लिए आवश्यक सामग्री
भूमि पूजन करने के लिए पूजा सामग्री

यहां भूमि पूजा करने के लिए आवश्यक वस्तुओं की सूची दी गई है। हालांकि, विभिन्न परंपराओं के अनुसार इसमें कुछ अंतर हो सकता है। लेकिन अधिकांश भूमि पूजा के लिए इन्हीं चीजों का उपयोग किया जाता हैं: आपके क्षेत्र के अनुसार, आप की परंपरा के अनुसा पूजन सामग्री में कुछ और भी चीजों को सम्मिलित किया जा सकता है।

पूजा करने के लिए आपको हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, कपूर, फल, 9 प्रकार के रत्न (नवरत्न), पुष्प, सूखे खजूर, 5 धातु (पंच लोहा, हरे नीबू, 9 प्रकार के बीज (नव धन्यम), चिराग, आधा मीटर सफेद कपड़ा, 5 ईंटें, कलश, 10 पंचपत्र, देवता का चित्र/मूर्ति, पान के पत्ते और मेवा, आम के पत्ते, मिश्री, हवन सामग्री, पूजा थाली, लोटा, आसन के लिए तख्ते की आवश्यकता होगी।

इस विधि से करें भूमि पूजन होगी सौभाग्य की प्राप्ति
शुभ मुहूर्त तथा सही विधि द्वारा भूमि पूजन करने से जातक को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक कैलेंडर तथा क्षेत्र के आधार पर भूमि पूजन विधि अलग- अलग हो सकती है। लेकिन लगभग हर जगह भूमि पूजन करने के लिए यही विधि अपनाई जाती हैं:

भूमि पूजन स्थल की सफाई: पहला और सबसे महत्त्वपूर्ण काम होता है उस जगह को साफ करना, जहां पर भूमि पूजन किया जाएगा। इसके लिए सुबह स्नान करने के पश्चात ही पूरी जगह को साफ करना चाहिए। भूमि पूजन की जगह से गंदगी और कूड़े को साफ करके, वहां गंगाजल का उपयोग पूजा स्थल की सफाई और शुद्धिकरण करने के लिए किया जाना चाहिए।

पूजा के लिए पुजारी: भूमि पूजन किसी पुजारी द्वारा किया जाना चाहिए, क्योंकि वह मंत्रों के ज़रिए भूमि पूजन करते है। इसके अलावा, केवल पुजारी ही निर्माण कार्य के दौरान बाधा उत्पन्न करने वाले किसी भी प्रकार के वास्तु दोष या नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने में सक्षम हैं।

परिसर की दीवार बनाना: घर बनाने से पहले आपको परिसर की दीवार का निर्माण जरूर करना चाहिए। साथ ही दीवार के दक्षिण- पश्चिम भाग की ऊंचाई घर की अन्य दीवारों की तुलना में अधिक होनी चाहिए। वहीं पूर्व और उत्तर की दीवारें दक्षिण और पश्चिम की दीवारों से छोटी होनी चाहिए।

पौधे लगाना: आप निर्माण स्थल पर पौधे लगा सकते हैं। साथ ही संपत्ति खरीदने के बाद जमीन पर पौधे जरूर उगाएं। भूमि पूजा से पहले, मृत पौधों की जड़ों सहित भूमि को साफ करना चाहिए।

गाय रखें: भूमि पर बछड़ा या गाय रखना शुभ होता है। भूमि पूजा करना जातक के लिए बहुत फलदायी होता है, क्योंकि इससे आपको खुशी मिलती है और व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है।

यदि आप किसी कारण की वजह से प्लॉट खरीदने के बाद निर्माण शुरू करने में असमर्थ हैं, तो भूखंड के मध्य भाग को अवश्य साफ करना चाहिए। साथ ही एक ढलान का निर्माण करें, जो उत्तर या पूर्व दिशा की ओर बढ़े। यदि घर की महिला गर्भवती है, तो आपको घर का निर्माण शुरू करने से बचना चाहिए।

भवन निर्माण में शेषनाग का विचार अवश्य करें ?
 
 
–एन्द्रियाम सिरों भाद्रपदः  त्रिमासे। याम्याम शिरो मार्ग शिरस्त्रयम च । फाल्गुनी  मासाद दिशि पश्चिमीयाम।ज्येष्ठात त्रिमासे च तिथोत्तरेशु ।।
—–{१}भाव -भाद्रपद ,आश्विन ,एवं कार्तिक {सितम्बर ,ओक्ट्बर ,नवम्बर }इन तीन महीनों में शेषनाग का सिर पूर्व दिशा में रहता है ।
—{२}-मार्गशीर्ष ,पौष ,एवं माघ {दिसंबर ,जनवरी ,फरवरी }इन तीन मासों में शेषनाग का सिर दक्षिण दिशा में रहता है ।।
—{३}-फाल्गुन ,चैत्र ,वैशाख { मार्च ,अप्रैल ,मई }-इन तीनों मासों में शेषनाग का सर पश्चिम दिशा  में रहता है ।
—-{४}-ज्येष्ठ ,आषाढ़ ,एवं श्रावण{जून ,जुलाई ,अगस्त }इन तीनों मासों में शेषनाग का सिर” उत्तर दिशा में रहता है ।।
—   “शिरः खनेत  मात्री पितरोश्चा हन्ता खनेत पृष्ठं भयरोग पीड़ा । तुछ्यम खनेत त्रिशु  गोत्र हानिः स्त्री पुत्र लाभों वाम कुक्षो ।
—अर्थात -जो कोई शेषनाग के सिर [मुख } पर से मकान की नीव रखकर चिनाई शुरू कर दे -तो उस मकान मालिक के माता पिता को हानी पहुँचती है । पीठ पर चिनाई करने से भय एवं रोग से पीड़ित रहते हैं भूमिपत्ति।पूंछ पर चिनाई करने से वंशावली दोष से पीड़ित हो जाते हैं मकान के स्वामी ।और खली जगह पर चिनाई करने से पत्नी को कष्ट होता है ,एवं पुत्र ,धन की भी हानी होती है ।।
अतः —-जब सूर्यदेव-सिंह ,कन्या,तुला राशि में हों तो–अग्नि दिशा में खोदें एवं चिनाई शुरू करें ।
——जब सूर्य देव -वृश्चिक ,धनु ,या  मकर राशि में हों तो -ईशान कोण में चिनाई शुरू करनी चाहिए ।
——-जब सूर्यदेव -कुम्भ ,मीन या मेष राशि में हों तो वायव्य कोण में चिनाई शुरू करनी चाहिए । 
  

भूमि पूजा क्यों करनी चाहिए?
भूमि पूजन या भूमि की पूजा धरती माता का आशीर्वाद लेने और प्रकृति के पांच तत्वों अर्थात् जल, पृथ्वी, आकाश, वायु व अग्नि को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। अगर जातक पूरे विधि- विधान के साथ भूमि पूजन करता है, तो उसे इस पूजा का लाभ भी मिलता है। साथ ही इस पूजा से जातक के नए घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति, खुशियां आदि बनी रहती है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त तथा देवी- देवताओं का आशीर्वाद लिया जाता है ताकि जातक का वह काम सफल रहें और उसके जीवन में कोई भी बाधा न आएं। इसलिए सभी शुभ काम को शुभ मुहूर्त के दौरान किया जाता है ताकि जातक को उस काम में कोई परेशानी न हो।

गृह निर्माण या भूमि पूजन विधि परिवार के मुखिया को अपनी पत्नी के साथ करना चाहिए। साथ ही पूजा एक पुजारी की उपस्थिति में की जानी चाहिए और पूजा को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए उनके बताए गए मार्गदर्शन का अनुसरण करें।

**भूमि पूजन का महत्व
भारत में पारंपरिक प्रथा के अनुसार किसी भी संरचना के निर्माण से पहले अन्य देवताओं के साथ भूमि या धरती माता की पूजा की जाती है। इस प्रथा को भूमि पूजन के नाम से जाना जाता है। अनुष्ठान में जमीन पर आधारशिला रखना और भगवान के आशीर्वाद का आह्वान करना शामिल है।

भूमि पूजन धरती माता या देवी देवताओं को प्रसन्न करने और प्रकृति के पांच तत्वों पृथ्वी, वायु, अग्नि, आकाश और जल को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।

भूमि पूजन करने से वास्तु दोष को दूर करने और भूमि को प्रभावित करने वाली किसी भी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद मिलती है।

यह अनुष्ठान भवन या भूमि और उसके सभी निवासियों को दुर्घटनाओं या इसी तरह की घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।

यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद करता है और नए घर के परिवार के सदस्यों के लिए सौभाग्य को आमंत्रित करते हुए जगह को शुद्ध करता है।

भूमि पूजा उन जीवित प्राणियों से क्षमा मांगने के लिए भी की जाती है, जो जमीन के नीचे रहते हैं और निर्माण गतिविधियों के दौरान अनजाने में उन्हें नुकसान पहुंचता है।
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भूमि पूजा करते समय जरूर करें इस मंत्र जप

बहुत से मंत्रों का जाप देवताओं के आशीर्वाद और अच्छी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किये जाते हैं। “ॐ वसुंधराया विद माहे भूताधात्राया धीमा ही तनु भूमि प्रचोदयात्” ये एक प्रसिद्ध मंत्र है, जो भूमि पूजन के दौरान जप करना चाहिए। साथ ही इस मंत्र का मतलब है कि भूमि देवी का मंत्र जाप करना सर्वोपरि है, आप हमें आशीर्वाद दे और हमारी अच्छी किस्मत बनाए। आप इस दौरान अन्य मंत्र का भी जाप कर सकते हैं, जैसे की गणेश मंत्र और गायत्री मंत्र, यह मंत्र बाधाएं और नकारात्मक ऊर्जा दूर करते हैं। साथ ही यह मंत्र जातक के जीवन में खुशियां लाते हैं।

जब हम मकान, दुकान आदि की नींव रखते हैं। तो आपको कुछ सामग्री नींव के अंदर रखनी चाहिए। अगर आप इन सामग्रियों को नींव में नहीं रखते हैं तो हो सकता है कि आपका मकान अशुभ हो या आपको किसी समस्या का सामना करना पड़े। इसलिए कोई भी निर्माण कार्य कराने से पहले नींव में कुछ सामग्री रखना अनिवार्य है।

राशि चक्र में सूर्य की स्थिति के आधार पर भूमि पूजा 

ज्योतिष विशेषज्ञों का सुझाव है कि विभिन्न राशियों के माध्यम से सूर्य की चाल के आधार पर चुने गए शुभ मुहूर्त पर घर का निर्माण शुरू करें।

राशि चक्र में सूर्य की स्थितिप्रभाव 
वृषभ धन और वित्तीय लाभ
मिथुन घर के मालिक के लिए समस्या
कर्क धन में बढ़ोतरी 
सिंह शोहरत और नौकरों की खुशी
कन्या बीमारियां 
तुला सकारात्मक प्रभाव 
वृश्चिकवित्तीय लाभ
धनुकाफी नुकसान और बर्बादी 
मकर संपत्ति में बढ़ोतरी और धन लाभ
कुंभ रत्न और धातु की प्राप्ति
मीन नुकसान 

नए घर का शिलान्यास करने के लिए अशुभ तिथियां

चैत्र

यह मार्च से अप्रैल तक है। इस समय से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यह घर के मालिक के लिए मुश्किलें लेकर आता है।

ज्येष्ठ

यह जून का महीना है और ग्रह अनुकूल स्थिति में नहीं हैं।

अशर्हो

नींव रखने के लिए जुलाई के महीने से बचें, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यह नुकसान लाता है, खासकर अगर मालिक के पास पशु स्टॉक या उससे संबंधित व्यवसाय है।

श्रावण

यह अगस्त का महीना है और यह समय अनुकूल नहीं है क्योंकि यह वित्तीय नुकसान ला सकता है।

भाद्रपदी

अपने नए घर की नींव खोदने के लिए सितंबर से बचें, क्योंकि इससे घर में झगड़े और तनाव हो सकता है।

अश्विन

घर में पारिवारिक विवाद से बचने के लिए वास्तु के अनुसार अक्टूबर में अपने नए घर की नींव रखने से बचें।

कार्तिक

यदि नवंबर के महीने में नींव रखी जाती है, तो आपको घर के नौकरों या अधीनस्थों की मदद का आनंद नहीं मिल सकता है।

माघ

यदि इस महीने में नींव रखी जाती है तो फरवरी किसी प्रकार का खतरा या खतरा ला सकता है।

भूमि पूजन के लिए किन पक्षों से बचना चाहिए?

हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, पक्ष का अर्थ है एक महीने में एक पखवाड़े या चंद्र चरण। भूमि पूजन करने के लिए दिवास्करमा, श्राद्ध और हडपक्षे से बचें।

किन तिथियों पर भूमि पूजन करने से बचें?

चौथी, नौवीं और चौदहवीं तिथि से बचें क्योंकि ये गृह निर्माण या भूमि पूजा के लिए शुभ नहीं मानी जाती हैं।

चंद्र नक्षत्रों का प्रभाव

यदि चंद्र दिवस महीने की पहली और सातवीं या 19 और 28 तारीख के बीच पड़ता है तो भूमि पूजन करने से बचें क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। 8 से 18 तारीख के बीच पड़ने वाले किसी भी चंद्र दिवस को भूमि पूजन के लिए शुभ माना जाता है।

 

भूमि पूजन विधि क्या है?

पहली बार घर खरीदने वाले अधिकतर लोग अक्सर भूमि पूजा अनुष्ठानों से जुड़ी पेचीदगियों का सामना करते हैं और उन्हें माता-पिता से और ज्योतिषों से मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है। हमारा सुझाव है कि आप ऐसा करना जारी रखें लेकिन कुछ अहम बातें भी याद रखें।

विस्तृत विधि विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग होती है। विधि में निम्नलिखित चरण होते हैं:

  • भूमि पूजन के लिए स्थान की पहचान। नहाने के बाद उस जगह को साफ करना चाहिए। गंगाजल का उपयोग स्थान को साफ करने और शुद्ध करने के लिए किया जाता है।
  • एक योग्य पुजारी को अनुष्ठान करना चाहिए और वास्तु दोष और नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने के लिए उसकी उपस्थिति अनिवार्य है। पुजारी आमतौर पर उत्तर दिशा का सामना करते हैं जबकि पूजा का आयोजन करने वाले व्यक्ति का मुंह पूर्व की ओर होता है।
  • भूमि पूजन करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। पुजारी का मुख आमतौर पर उत्तर दिशा की ओर होता है जबकि पूजा का आयोजन करने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व की ओर होना चाहिए।
  • भूमि पूजन की शुरुआत बाधाओं को दूर करने वाले भगवान गणेश की पूजा से होती है। किसी भी बाधा से बचने के लिए भगवान गणेश का आशीर्वाद मांगा जाता है जो परियोजना की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
  • तेल या घी का दीपक जलाया जाता है; भगवान गणेश की प्रार्थना के बाद नाग देवता की मूर्ति और कलश की पूजा की जाती है। चांदी के सांप की पूजा के पीछे तर्क यह है कि शेषनाग पृथ्वी पर शासन करता है और भगवान विष्णु का सेवक है। इसलिए, आप उनका आशीर्वाद मांग रहे होंगे, उनसे अपने घर की रक्षा करने के लिए कह रहे होंगे। दूसरी ओर कलश ब्रह्मांड का प्रतीक है। एक कलश में पानी भरा जाता है और उसके ऊपर आम या पान के पत्ते उलटे नारियल के साथ रखे जाते हैं। भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करने के लिए कलश में एक सिक्का और सुपारी रखा जाता है। कलश पूजा दैवीय ऊर्जा को प्रसारित करने और विशेष भूमि पर समृद्धि और सकारात्मकता को आकर्षित करने के लिए की जाती है। सर्प भगवान (जो पाताल लोक में रहते हैं) का आशीर्वाद लेने के लिए, निर्माण कार्यों को शुरू करने के लिए उनकी स्वीकृति लेनी होती है।
  • कलश पूजा: दूसरी ओर कलश ब्रह्मांड का प्रतीक है। एक कलश में पानी भरा जाता है और उसके ऊपर आम या पान के पत्ते उल्टे नारियल के साथ रखे जाते हैं। भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करने के लिए कलश में एक सिक्का और सुपारी रखा जाता है। कलश पूजा दिव्य ऊर्जा को सही दिशा देने और उस भूमि पर समृद्धि और सकारात्मकता को आकर्षित करने के लिए की जाती है।
  • भूमि पूजा: शुभ मुहूर्त पर गणेश पूजा सहित मुख्य अनुष्ठान किया जाता है, और उसके बाद हवन किया जाता है।

शेषनाग का आह्वान आमतौर पर मंत्रों का जाप करके और दूध, दही और घी डालकर किया जाता है। आप यह भी देखेंगे कि पुजारी कलश में एक सुपारी और एक सिक्का डालते हैं ताकि देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके। जैसे-जैसे पूजा आगे बढ़ती है, दिशाओं के देवता, दिक्पाल, नाग देवता या नाग और कुलदेवता के रूप में जाने जाने वाले कुल देवता की पूजा की जाती है। जब जमीन खोदी जाती है तो नाग मंत्र का जाप करके ऐसा किया जाता है। भूमि पूजा के लिए एकत्रित लोगों के बीच मिठाई या फल भी बांटना अच्छा है।

जमीन की खुदाई: जमीन के एक छोटे से हिस्से को खोदकर नींव का पत्थर या ईंट रखी जाती है।

पुजारी की दक्षिणा: भूमि पूजा और पुजारी द्वारा मंत्र जाप के दौरान, फूल, अगरबत्ती, कलावा, कच्चे चावल, चंदन, हल्दी, सिंदूर (रोली), सुपारी, फल और मिठाई सहित वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए।

 

भूमि पूजन मुहूर्त: सामग्री सामग्री सूची

जो पुजारी पूजन करेगा वो आपको सामान की पूरी सूची दे देगा. हालांकि जो इस्तेमाल होने वाली आम चीजें हैं वो हैं – 

  • चावल 
  • नारियल
  • सुपारी
  • फूल गुच्छा 
  • फल
  • प्रसाद
  • कपूर
  • अगरबत्ती
  • आरती के लिए कपास
  • तेल या घी
  • दीप या दीया
  • पानी
  • हल्दी पाउडर
  • कुमकुम
  • पेपर टॉवल
  • कुल्हाड़ी
  • क्वार्टर सिक्के
  • नवरत्न
  • पंचधातु 

आजकल लोग भूमि पूजन सामग्री किट ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं.

नए घर में मुख्य दरवाजे की चौखट लगाने से पहले इन चीजों को कंक्रीट स्लैब पर रखा जाता है:

  • मूल नवरत्न जिसमें मूल रत्न शामिल हैं।
  • शुद्ध धातुओं से बनाया गया मूल पंचलोहा
  • पीतल से बना वास्तु विग्रह
  • पीतल से बना वास्तु यंत्र
  • मरकरी बीड
  • तांबे का सिक्का
  • तांबे की कील

इन वस्तुओं को रखने से पृथ्वी की ऊर्जा को नए घर में ट्रासंफर करने में मदद मिलती है।