Sai Baba Worship Tips : साईं बाबा की पूजा के पांच बड़े उपाय, जिसे करते ही भक्तों की खुशियों से भर जाती है झोली
‘सबका मालिक एक है’ का संदेश देने वाले शिरडी (Shirdi) के साईं बाबा (Sai Baba) की पूजा के लिए गुरुवार का दिन अत्यंत ही शुभ माना गया है. साईं पर श्रद्धा और विश्वास रखने वालों का मानना है कि बाबा की देहरी पर जाने वाले व्यक्ति का कठिन से कठिन काम पलक झपकते पूरा हो जाता है. बाबा अपने हर भ्क्त पर पूरी कृपा बरसाते हैं. यही कारण कि साईं बाबा उन सभी भक्तों की आखिरी उम्मीद हैं, जिनका साथ उनकी किस्मत ने भी छोड़ दिया हो. आइए साईं बाबा की पूजा से जुड़े उन पांच उपायों के बारे में जानते हैं, जिसे करते ही दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है.
जिस तरह हिंदू धर्म में तमाम देवी-देवताओं की पूजा के लिए दिन विशेष की पूजा का विधान है, कुछ उसी तरह शिरडी साईं बाबा की पूजा के लिए गुरुवार का दिन सबसे उत्तम और शुभ माना गया है. मान्यता है कि गुरुवार के दिन विधि-विधान से साईं बाबा की पूजा एवं व्रत करने से उनकी कृपा जरूर बरसती है और उसे बाबा से मनचाहा आशीर्वाद मिलता है.
यदि आपको साईं बाबा की कृपा पानी है तो आपको गुरुवार के दिन साईं बाबा का व्रत विधि-विधान से रखना चाहिए. इसके लिए गुरुवार को स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले साईं पूजा और व्रत का संकल्प लेना चाहिए और उसके बाद साईं बाबा की पूजा करते हुए साईं कथा का पाठ करना चाहिए.
यदि आपको साईं बाबा की कृपा पानी है तो आप गुरुवार के दिन सरल हृदय और पूर्ण विश्वास के साथ बाबा के चित्र या मूर्ति के सामने एक दिया जलाकर उनके महामंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए. गुरुवार के दिन सच्चे मन से साईं बाबा का भजन और कीर्तन के द्वारा गुणगान करने पर भी बाबा की कृपा बरसती है.
मान्यता है कि किसी भी आराध्य देवता की पूजा बगैर प्रसाद के अधूरी होती है. ऐसे में गुरुवार के दिन साईं बाबा की प्रिय मानी जानी वाली खिचड़ी का भोग उन्हें जरूर लगाएं और उसे अधिक से अधिक लोगों को बांटें. विशेष रूप से गरीबों को बाबा का प्रसाद जरूर बांटें.
शिरडी वाले साईं बाबा के बारे में मान्यता है कि उनके दर्शन मात्र से सारे दु:ख, रोग और शोक दूर हो जाते हैं. ऐसे में हर साईं भक्त को गुरुवार के दिन बाबा के दरबार में जाकर हाजिरी जरूर लगानी चाहिए. मान्यता है कि बाबा के दरबार में कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं जाता है और उसकी झोली खुशियों से भर जाती है.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)