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Shree Parsuram Puja

श्री परशुराम पूजा सामग्री || Shri Parshuram Puja 

भगवान परशुराम जी की मूर्ति या प्रतिमा, चौकी या लकड़ी का पटरा, धूपबत्ती, शुद्ध घी का दीपक, नैवेद्य, अखंडित अक्षत, चंदन, वस्त्र, कपूर, पुष्प, पुष्पमाला, शुद्ध जल से भरा एक लोटा, मिठाई,फल, प्रसाद.

भगवान परशुराम की सेवा-साधना करने वाले भक्त भूमि, धन, ज्ञान, अभीष्ट सिद्धि, दारिद्रय से मुक्ति, शत्रु नाश, संतान प्राप्ति, विवाह, वर्षा, वाक् सिद्धि इत्यादि पाते हैं। महामारी से रक्षा कर सकते हैं। भगवान परशुराम भगवान विष्णु के दशावतार में छठे अवतार माने जाते हैं। भगवान शिव ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया जिससे वे परशुराम कहलाए। शस्त्र और शास्त्र के ज्ञाता सिर्फ और सिर्फ भगवान परशुराम ही माने जाते हैं। 

 

श्री परशुराम भगवान की पूजा करें

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इस दिन प्रातः काल ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया कर्म से निवृत्त होकर साफ और स्वच्छ कपड़े पहन कर गंगाजल से मंदिर को शुद्ध करें. इसके बाद  चौकी पर साफ-सूथरे पीला कपड़ा बिछाकर  भगवान परशुराम और विष्णु जी मूर्ति स्थापित करें. अब आप इन्हें पुष्प मिष्ठान्न अर्पित करते हुए विधि विधान से पूजा करें. भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है. इसलिए ऐसी मान्यता है कि इस दिन इनकी पूजा करने से भगवान श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. परशुराम जी का स्मरण करते हुए श्रीहरि को पीले फूल, पीले वस्त्र, मिठाई, भोग में तुलसी डालकर अर्पित करें. इसके साथ ही मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है. परशुराम द्वादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर निराहार व्रत का संकल्प लें. अब हाथ में अक्षत, जल, एक सिक्का तथा पुष्प लेकर नीचे बताये गए निम्न मंत्र के द्वारा व्रत का संकल्प करें :

“ मम ब्रह्मत्व प्राप्तिकामनया परशुराम पूजनमहं करिष्ये ”

 

 परशुराम जी की कथा का श्रवण करें.

 

इसके बाद हाथ के सिक्का, पुष्प तथा अक्षत को श्री परशुराम जी के चरणों में अर्पित कर दें। उसके बाद षोडशोपचार विधि से पूजन करके नैवेद्य अर्पित करें ।

गुरु वंदना , गणेश वंदना , मंगलाचरण

कर्म पत्र पूजा

आचमन

प्राणायाम या न्यास

पवित्रीकरण

विनियोग

पृथ्वी पवित्रकर्ण

पृथ्वी जल सिंचान

पृथ्वी पूजन

शंख पूजा

दीपक पूजन

दिशा रक्षण

मलयारपन

घंटा पूजा

गंधर्व धूप पूजा

और फिर धूपबत्ती और शुद्ध घी का दीपक जलाये

आह्वान देव

गणेश और गौरी पूजा

पंच देव पूजन

नवग्रह पूजन

निम्न मंत्र के द्वारा श्री परशुराम जी को अर्घ्य अर्पित करें

जमदग्निसुतो वीर क्षत्रियान्तकर प्रभो।

गृहाणार्घ्य मया दत्तं कृपया परमेश्वर

भगवान परशुराम के गायत्री मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार हैं- इस मंत्र का 108 बार जाप करें.

ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।
जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।
रां रां रां रां परशुहस्ताय नम:।।

               जप-ध्यान कर दशांस हवन करें तथा हर प्रकार की समस्याएं दूर करें।

परशुराम द्वादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का , श्री परशुराम जी की कथा सुने और चालीसा जप करना शुभ माना जाता है.

  आरती कर दान दें.

 शाम को ya अगले दिन स्नान आदि कर भगवान् परशुराम का पूजन करें फिर से फूल अर्पित कर श्री परशुराम जी की कथा सुने और चालीसा और आरती करने के बाद फलाहार ग्रहण करें और ब्राह्मण, ज़रुरत मंद, को दान दक्षिणा देने के पश्चात अपने उपवास का पारण करें|