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शारदीय नवरात्रि 2025 सातवां दिन: सप्तमी i शनि की महादशा से छुटकारा दिलाएगा ये एक उपाय!

शारदीय नवरात्रि 2025 सातवां दिन, जिसे महासप्तमी भी कहा जाता है, मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की उपासना को समर्पित होता है। मां कालरात्रि को संहारक शक्ति और भय का नाश करने वाली देवी माना गया है।

मान्यता है कि इनकी साधना से साधक के जीवन से हर प्रकार के भय, संकट और शत्रु का अंत होता है। ख़ास बात यह है कि महासप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से ग्रह दोष भी शांत होते हैं और शनि देव की कुप्रभावित दशा से राहत मिलती है। 

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महासप्तमी 2025 का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह दिन शनि दोष निवारण का विशेष अवसर लेकर आता है। कहा जाता है कि इस दिन किया गया एक सरल उपाय व्यक्ति के जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानियों को दूर कर सकता है। न केवल शनि से जुड़ी बाधाएं शांत होती हैं, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि, आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है। 

अगर आप भी लंबे समय से शनि महादशा या शनि की कड़ी स्थितियों से परेशान हैं, तो शारदीय नवरात्रि की महासप्तमी आपके लिए वरदान साबित हो सकती है।

मां कालरात्रि की विशेष कृपा पाने और शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए कौन सा उपाय करना चाहिए, इसकी जानकारी जानना बेहद जरूरी है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं शारदीय नवरात्रि 2025 के सातवें दिन के बारे में विशेष बातें।

शारदीय नवरात्रि 2025 सातवां दिन: शुरुआत

वर्ष 2025 में नवरात्रि के सातवें दिन की शुरुआत 28 सितंबर 2025 रविवार को हो रही है। इस दिन माता के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाएगी। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो इस दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक होगी।

शारदीय नवरात्रि 2025 सातवां दिन: मां कालरात्रि का स्वरूप

मां दुर्गा का सातवां रूप मां कालरात्रि कहलाता है। इन्हें संहार और शक्ति की देवी माना जाता है। इनका स्वरूप अत्यंत भयानक और उग्र है, लेकिन यह रूप केवल दुष्टों और राक्षसों के लिए है, अपने भक्तों के लिए मां कालरात्रि सदैव मंगल दायिनी और कल्याणकारी रहती हैं।

इनका पूरा शरीर गहरे काले रंग का है, जिस कारण इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। इनके घने और बिखरे हुए बाल इनकी प्रचंड शक्ति का प्रतीक हैं।

मां के तीन नेत्र हैं, जो भूत, वर्तमान और भविष्य को प्रकाशित करते हैं। इनके गले से निकली गर्जना सुनकर दुष्ट भय से कांप उठते हैं। मां कालरात्रि के चार हाथ हैं। इनके एक हाथ में वज्र यानी गदा और दूसरे में लोहे का कांटा या तलवार होती है।

शेष दो हाथों में से एक वरमुद्रा में रहता है, जिससे मां अपने भक्तों को वरदान देती हैं, जबकि दूसरा हाथ अभयमुद्रा में रहता है, जो भक्तों को निर्भय बनाता है और हर प्रकार का भय दूर करता है।

मां का वाहन गदा है, जो सादगी और सहनशीलता का प्रतीक है। यद्यपि मां का स्वरूप देखने में भयानक है, परंतु वे सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। मान्यता है कि मां कालरात्रि की उपासना करने से शनि दोष, नकारात्मक ऊर्जा और हर प्रकार का भय समाप्त हो जाता है।

मां का यह स्वरूप साधक को शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है। यही कारण है कि शारदीय नवरात्रि की महासप्तमी पर मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व माना गया है।

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शारदीय नवरात्रि 2025 सातवां दिन: पूजन विधि

महासप्तमी के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर के पूजा स्थान या किसी पवित्र स्थल पर मां कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

पूजा से पहले पूजा स्थल को गंगाजल या शुद्ध जल से पवित्र करें।

सबसे पहले मां दुर्गा के समस्त रूपों का ध्यान कर कलश स्थापना करें। 

इसके बाद मां कालरात्रि का स्मरण कर दीप प्रज्वलित करें। फिर धूप, फूल, अक्षत, रोली, चंदन और सुगंधित पुष्प अर्पित करें। मां को लाल या गहरे नीले फूल चढ़ाना विशेष शुभ माना जाता है।

गुड़, हल्दी, तेल और काले तिल भी अर्पित करना चाहिए, क्योंकि ये माँ कालरात्रि और शनि दोनों को प्रसन्न करने वाले माने जाते हैं।

पूजन के समय मां कालरात्रि का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का जाप करें “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः”।

पूजा पूर्ण होने के बाद आरती करें और अंत में शनि दोष निवारण हेतु विशेष प्रार्थना करें कि मां आपके जीवन से कष्ट, भय और शनि की बाधाओं को दूर करें।

शारदीय नवरात्रि 2025 सातवां दिन: कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब असुरों का अत्याचार पृथ्वी पर असहनीय हो गया था और देवताओं तक को सताने लगे थे, तब देवताओं ने मां दुर्गा की आराधना की। असुरों में रक्तबीज नामक राक्षस अत्यधिक बलशाली था।

उसकी विशेषता यह थी कि उसके शरीर से निकली एक-एक बूंद रक्त से एक नया राक्षस उत्पन्न हो जाता था। इस कारण देवता उसे पराजित नहीं कर पा रहे थे। मां दुर्गा ने इस समस्या का समाधान करने के लिए अपने उग्र स्वरूप को प्रकट किया। उसी उग्र और संहारक स्वरूप को मां कालरात्रि कहा जाता है। 

मां का रूप अत्यंत भयावह था, उनका शरीर काला था, बिखरे बाल, प्रचंड तेज और तीन नेत्रों से अग्नि की ज्वालाएं निकल रही थीं।  माँ के इस भयानक स्वरूप को देखकर दुष्ट राक्षस भय से कांप उठे। जब युद्ध में रक्तबीज का सामना हुआ, तो माँ कालरात्रि ने उसकी सेना का संहार करना प्रारंभ कर दिया। लेकिन जैसे ही उसके शरीर से रक्त की बूंदें गिरीं वैसे ही असंख्य राक्षस उत्पन्न हो गए।

तब मां ने अपने विशाल मुख का विस्तार कर लिया और जैसे ही रक्तबीज का रक्त धरती पर गिरता, मां उसे तुरंत पी जातीं। इस प्रकार कोई नई सेना उत्पन्न नहीं हो पाई। मां कालरात्रि ने आखिरी में रक्तबीज का वध कर ब्रह्मांड को उसके आतंक से मुक्त कराया।

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शारदीय नवरात्रि 2025 सातवां दिन: पूजा मंत्र- भोग- और शुभ रंग

मां कालरात्रि पूजा मंत्र

महासप्तमी पर मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।

बीज मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ कालरात्र्यै नमः

ध्यान मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णि तैलाभ्यक्त शरीरिणी।।

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।

वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी।।

साधारण पूजन मंत्र

ॐ देवी कालरात्र्यै नमः (108 बार जप करें)

प्रिय भोग

मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बने व्यंजन अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। इसके अलावा, नारियल और हलवे का भोग भी प्रिय है। भोग में काले चने का विशेष महत्व है, इन्हें प्रसाद के रूप में चढ़ाकर बाद में बांटा जाता है।

प्रिय रंग

मां कालरात्रि का स्वरूप गहरा काला है और शनि ग्रह से इनकी विशेष संबंध माना जाता है। इसलिए महासप्तमी के दिन नीला और काला रंग शुभ माना गया है। इस दिन भक्त नीले, काले या गहरे रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करें तो मां की कृपा जल्द प्राप्त होती है।

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शारदीय नवरात्रि 2025 सातवां दिन: शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए राशि अनुसार उपाय

मेष राशि

मेष राशि वालों को इस दिन लाल फूल और गुड़ चढ़ाना चाहिए। साथ ही, ॐ कालरात्र्यै नमः मंत्र का 11 बार जप करना चाहिए। इससे कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होंगी।

वृषभ राशि

इस राशि के जातकों को मां को सफेद पुष्प और मिश्री का भोग लगाना चाहिए। पूजा के बाद गरीब कन्या को वस्त्र दान करना चाहिए। शनि दोष से राहत मिलेगी और पारिवारिक सुख बढ़ेगा।

मिथुन राशि

मिथुन राशि वाले हरे रंग के वस्त्र पहनकर मां की पूजा करें और नारियल का भोग लगाएं। यह उपाय आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा और मानसिक शांति देगा।

कर्क राशि

इस राशि के जातकों को महासप्तमी पर दूध से बनी मिठाई अर्पित करनी चाहिए। साथ ही, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करें। इससे घर में सुख-शांति बढ़ेगी।

सिंह राशि

सिंह राशि वालों को लाल फूल और गुड़ चना का भोग मां को चढ़ाना चाहिए। पूजा के बाद किसी गरीब को भोजन कराएं। इससे शत्रु शांत होंगे और यश-प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

कन्या राशि

कन्या राशि वाले इस दिन पीले वस्त्र पहनें और माँ को हलवा व फल अर्पित करें। पूजा के बाद गरीब विद्यार्थियों को किताबें दान करें। इससे करियर और पढ़ाई में सफलता मिलेगी।

तुला राशि

तुला राशि वालों को सफेद वस्त्र पहनकर माँ को केसर और दूध से बने व्यंजन अर्पित करने चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन और रिश्तों में मधुरता आएगी।

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वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातक लाल वस्त्र पहनें और गुड़ चना का भोग लगाएं। पूजा के बाद किसी गरीब को गुड़ दान करें। इससे शनि का प्रभाव कम होगा और साहस बढ़ेगा।

धनु राशि

धनु राशि वालों को महासप्तमी पर पीले वस्त्र पहनकर बेसन के लड्डू अर्पित करने चाहिए। इससे भाग्य का साथ मिलेगा और रुके हुए कार्य पूरे होंगे।

मकर राशि

मकर राशि के जातकों को इस दिन काले वस्त्र पहनकर काले तिल और तेल अर्पित करना चाहिए। यह उपाय विशेष रूप से शनि दोष निवारण में फलदायी है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों को नीले वस्त्र पहनने चाहिए और मां को मूंग की दाल या उड़द दाल से बना प्रसाद अर्पित करना चाहिए। इससे धन संबंधी परेशानियां दूर होंगे।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों को महासप्तमी पर पीले या हल्के हरे वस्त्र पहनकर खीर का भोग लगाना चाहिए। पूजा के बाद प्रसाद बच्चों में बांटना शुभ होता है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मां कालरात्रि की पूजा कब की जाती है?

मां कालरात्रि की पूजा शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन यानी महासप्तमी को होती है।

2. मां कालरात्रि का स्वरूप कैसा है?

इनका शरीर गहरे काले रंग का है, बाल बिखरे हुए रहते हैं, तीन नेत्र हैं और चार हाथों में गदा, तलवार, वरमुद्रा और अभयमुद्रा होती है। इनका वाहन गधा (गर्दभ) है।

3. मां कालरात्रि की पूजा से क्या लाभ मिलता है?

मां कालरात्रि की पूजा करने से भय, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। साथ ही शनि दोष, साढ़ेसाती और महादशा का प्रभाव भी कम होता है।

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