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गोवर्धन पूजा 2025 पर ये एक उपाय दिलाएगा हर समस्या से मुक्ति!

गोवर्धन पूजा 2025 का पर्व हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को यानी दीपावली के अगले दिन बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ एक धार्मिक परंपरा ही नहीं बल्कि प्रकृति, अन्न और भगवान श्री कृष्ण के प्रति आभार प्रकट करने का उत्सव है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब इंद्रदेव के प्रकोप से गोकुल वासी संकट में पड़ गए थे, तब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी की रक्षा की थी। तभी से  इस दिन गोवर्धन पर्वत और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। 

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इस अवसर पर लोग घर-घर में अन्नकूट को भोग लगाते हैं और गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा करते हैं। इस दिन को अलग-अलग जगहों पर अलग नामों से जाना जाता है, कहीं इसे अन्नकूट उत्सव कहा जाता है, तो कहीं गोवर्धन पूजा या गिरिराज पर्वत पूजा के नाम से प्रसिद्ध है।

अपने इस खास ब्लॉग में आज हम जानेंगे कि गोवर्धन पूजा इतनी महत्वपूर्ण क्यों होती है, इसकी विधि क्या होती है, और इस दिन पूजा करने से क्या कुछ लाभ मिलते हैं लेकिन आगे बढ़ने से पहले सबसे पहले जान लेते हैं वर्ष 2025 में गोवर्धन पूजा किस दिन मनाई जाएगी।

गोवर्धन पूजा 2025: तिथि और समय

गोवर्धन पूजा तिथि: 22 अक्टूबर 2025, बुधवार

गोवर्धन पूजा प्रात:काल मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 25 मिनट से सुबह 08 बजकर 41 मिनट तक

अवधि: 2 घंटे 15 मिनट

गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त: दोपहर 03 बजकर 29 मिनट से शाम 05 बजकर 45 मिनट तक

अवधि: 02 घंटे 15 मिनट

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गोवर्धन पूजा 2025 विधि और नियम

गोवर्धन पूजा का दिन केवल भगवान श्रीकृष्ण ही नहीं, बल्कि इंद्रदेव, वरुणदेव और अग्निदेव की आराधना का भी विधान है। इस अवसर पर गोवर्धन पर्वत, गौमाता और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विशेष रूप से की जाती है। यह पावन पर्व मानव जीवन को यह संदेश देता है कि हमारे अस्तित्व के लिए प्रकृति का सरंक्षण और उसका सम्मान सबसे जरूरी है।

इस दिन गोबर से गोवर्धन का स्वरूप तैयार किया जाता है।

इसके बाद उन पर धूप, दीप, नवैद्य, जल,फल और फूल अर्पित किए जाते हैं। इसी के साथ गाय, बैल और खेती किसानी में सहायक सभी पशुओं की पूजा भी परंपरा का हिस्सा है।

गोवर्धन जी को लेटे हुए पुरुष का स्वरूप दिया जाता है और उनकी नाभि पर एक छोटा मिट्टी का दीपक रखा जाता है।

इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद और बताशे डालकर बाद में उसे प्रसाद के रूप में सभी में बांटा जाता है।

पूजा संपन्न होने के बाद सात परिक्रमा करने का विधान है। परिक्रमा करते समय भक्त हाथ में जल से भरा लोटा रखते हैं और धीरे-धीरे जल अर्पित करते हुए साथ ही जौ बोते जाते हैं।

मान्यता है कि गोवर्धन पर्वत को स्वयं भगवान का स्वरूप माना जाता है और इस दिन की पूजा करने से घर में अन्न-धन, संतान सुख और गौ-समृद्धि बढ़ती है।

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गोवर्धन पूजा 2025 का महत्व

गोवर्धन पूजा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा किए गए उस दिव्य कार्य की याद दिलाता है, जब उन्होंने इंद्रदेव के क्रोध से ब्रजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाया था। इस घटना ने लोगों को यह संदेश दिया कि प्रकृति की पूजा करनी चाहिए, न कि अहंकार में डूबे देवताओं की।

इस दिन गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा की जाती है और अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें धरती, जल, वायु, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि यही हमारे जीवन का आधार हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गोवर्धन पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है, धन-धान्य की वृद्धि होती है और परिवार में सदैव खुशहाली बनी रहती है। साथ ही, यह पर्व हमें अहंकार छोड़कर विनम्रता और सेवा का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देता है।

गोवर्धन पूजा 2025 के लिए मंत्र

संकट मोचन मंत्र:

“ॐ गोवर्धनाय नमः”

अर्थ:

मैं गोवर्धन पर्वत को प्रणाम करता/करती हूं। यह मंत्र गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण के संरक्षण का स्मरण कराता है और जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा की कामना करता है।

अन्नकूट आराधना मंत्र

ऊं श्रीकृष्णाय गोवर्धनाय नमः

अर्थ:

मैं भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत को नमन करता/करती हूं। इस मंत्र से परिवार में खुशहाली, बच्चों के लिए स्वास्थ्य और दीर्घायु, और घर में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

मंत्र: गोवर्द्धनधराधार गोकुलत्राणकारक। विष्णुबाहुकृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रदो भव॥ या लक्ष्मीर्लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता। घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु॥ अग्रतः सन्तु मे गावो गावो मे सन्तु पृष्ठतः। गावो मे हृदये सन्तु गवां मध्ये वसाम्यहम् ॥

अर्थ: पृथ्वी को धारण करने वाले गोवर्धन आप गोकुल की रक्षा करने वाले हैं। भगवान विष्णु ने अपनी भुजाओं से आपको ऊंचा उठाया था। आप मुझे कोटी गोदान देने वाले हो लोकपालों की जो लक्ष्मी यहां धेनुरूप से विराज रही है और यज्ञ के लिए घृत का भार वहन करती है, वह मेरे पापों को दूर करें. गायें मेरे आगे हों, गायें मेरे पीछे हों, गायें मेरे हृदय में हों और मैं सदा गायों के मध्य में निवास करूं।

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गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा

बहुत समय पहले, ब्रज में लोग हर साल इंद्रदेव की पूजा करते थे ताकि वर्षा अच्छी हो और उनकी फसलें हरी-भरी रहें। लोग इंद्रदेव को भव्य भेंट और अनाज अर्पित करते थे। एक वर्ष भगवान श्रीकृष्ण ने देखा कि लोग गोवर्धन पर्वत और अपनी गायों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण की दीक्षा को भूलकर केवल इंद्रदेव की पूजा में व्यस्त हो गए हैं। उन्होंने ब्रजवासियों को समझाया कि असली पूजा प्रकृति और गोवर्धन पर्वत की करनी चाहिए, क्योंकि यही हमारी जीविका और जीवन का आधार हैं।

कृष्ण के उपदेश से नाराज होकर इंद्रदेव ने भारी वर्षा भेज दी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाया और सभी ब्रजवासियों और उनकी गायों को बारिश और तूफान से बचाया। यह घटना यह सिखाती है कि अहंकार छोड़कर सच्ची भक्ति और प्रकृति की पूजा करना चाहिए।

तब से हर साल कार्तिक मास की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन घर-घर में गोवर्धन का छोटा पर्वत बनाया जाता है, उसकी पूजा की जाती है और विविध प्रकार के पकवान अर्पित किए जाते हैं।

गोवर्धन पूजा 2025 के दिन क्या करें, क्या न करें

गोवर्धन पूजा 2025 पर क्या करें

 पूजा से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

 घर में मिट्टी या खाद से छोटा गोवर्धन पर्वत बनाएं।

फूल, दीपक, जल, दूध, गेहूं, चावल और मिठाई अर्पित करें।

विविध प्रकार के पकवान अन्नकूट के रूप में माता को अर्पित करें।

अहोई माता या गोवर्धन पूजा की कथा सुनें, इससे पूजा का पुण्य बढ़ता है।

अपने बच्चों के स्वास्थ्य, लंबी उम्र और सफलता के लिए विशेष ध्यान दें।

इस दिन गरीबों को भोजन, कपड़े या अनाज दान करना शुभ माना जाता है।

गोवर्धन पूजा 2025 पर क्या न करें

पूजा के दौरान अशुद्ध स्थान या गंदे कपड़े का प्रयोग न करें।

गोवर्धन पर्वत को बिना श्रद्धा या जल्दबाजी में न बनाएं।

पूजा के समय अश्लील बातें या झगड़े न करें।

अन्नकूट में रखा भोजन किसी तरह की बर्बादी न होने दें।

पूजा में दूसरों का अपमान या ताने देना वर्जित है।

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गोवर्धन पूजा 2025 के दिन करें ये ख़ास उपाय

सात नारियल अर्पित करें

पूजा में सात नारियल अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है। इसे करने से संतान का स्वास्थ्य मजबूत होता है, दीर्घायु बढ़ती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

गोवर्धन पूजा 2025 पर अन्नकूट भोग लगाएं

गेहूं, चावल, दाल, मिठाई, फल और अन्य अन्नकूट सामग्री माता को अर्पित करें। यह उपाय घर में सुख-समृद्धि लाता है, बच्चों की पढ़ाई, करियर और स्वास्थ्य में लाभ होता है।

संतान के नाम का दीपक जलाएं

दीपक हमेशा बच्चे के नाम पर जलाएं। यह संतान के जीवन को उज्जवल करता है, नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है और माता का आशीर्वाद लगातार प्राप्त होता है।

गोवर्धन पूजा 2025 पर सात मिट्टी के बर्तन दान करें

जरूरतमंदों को सात मिट्टी के बर्तन दान करना बहुत शुभ है। इससे संतान के अच्छे कर्म बनते हैं, भविष्य सुरक्षित रहता है और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा करें

मिट्टी या खाद से गोवर्धन पर्वत बनाएं और उसे फूल, दीपक और अन्नकूट से सजाकर पूजें। यह उपाय बच्चों की सुरक्षा और घर में समृद्धि लाने में अचूक माना जाता है।

गोवर्धन पूजा 2025 पर संतान के लिए विशेष प्रार्थना करें

पूजा के दौरान बच्चे की लंबी उम्र, सफलता और उज्ज्वल भविष्य के लिए हृदय से प्रार्थना करें। माता के प्रति भक्ति और श्रद्धा से यह टोटका और अधिक उपयोगी बन जाता है।

सप्ताह में एक बार दीपक जलाएं

गोवर्धन पूजा के दिन से ही हर शनिवार या व्रत वाले दिन बच्चे के नाम पर दीपक जलाने की आदत डालें। इससे संतान की पढ़ाई, करियर और स्वास्थ्य में निरंतर लाभ मिलता है।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

गोवर्धन पूजा कब मनाई जाती है?

गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा (अन्नकूट) को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को होगी।

गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है?

यह पूजा भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों और उनकी गायों को वर्षा और संकट से बचाने की घटना की याद में मनाई जाती है।

पूजा में क्या सामग्री चाहिए?

मिट्टी या खाद से बने गोवर्धन पर्वत, फूल, दीपक, जल, दूध, अन्नकूट (गेहूं, चावल, दाल, मिठाई), नारियल और बालक के लिए दीपक।

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