बुध का कन्या राशि में उदय: इन राशियों को कर देंगे मालामाल!
बुध का कन्या राशि में उदय: ज्योतिष की दुनिया में हर ग्रह के गोचर को महत्वपूर्ण माना जाता है, विशेष रूप से नवग्रहों के जनक सूर्य, युद्ध के देवता मंगल और ग्रहों के राजकुमार बुध देव के गोचर को।
ग्रहों के युवराज होने के नाते बुध ग्रह को अत्यधिक महत्व दिया जाता है जो लगभग हर माह अपनी राशि या दशा में परिवर्तन करते हैं। अब इसी क्रम में, बुध महाराज जल्द ही कन्या राशि में उदित होने जा रहे हैं जिसका असर संसार और राशियों पर नज़र आ सकता है।
बता दें कि बुध देव का उदित होना आपके जीवन में बड़े बदलाव लेकर आने में सक्षम होगा, क्योंकि इस ग्रह की स्थिति में होने वाला छोटे से छोटा बदलाव भी व्यक्ति के जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित करने की क्षमता रखता है। एस्ट्रोसेज एआई का यह लेख आपको “बुध का कन्या राशि में उदय” के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।
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हमारे इस लेख में आप बुध उदित की तिथि और समय के बारे में जान सकेंगे। जब बुध देव अपनी अस्त अवस्था से बाहर आएंगे, तो किन राशियों को शुभ परिणाम देंगे और किन राशियों की मुसीबतों को बढ़ाएंगे? इस बारे में चर्चा करेंगे। साथ ही, बुध के उदित होने से सभी 12 राशियों पर किस तरह का प्रभाव नज़र आएगा? देश-दुनिया में किस तरह के सकारात्मक और नकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे? इससे भी हम आपको अवगत करवाएंगे। साथ ही, बुध उदित के दौरान किए जाने वाले आसान उपाय भी प्रदान करेंगे।
तो चलिए अब हम आगे बढ़ने हैं और शुरुआत करते हैं इस लेख की और सबसे पहले जानते हैं बुध का कन्या राशि में उदय का समय।
बुध का कन्या राशि में उदय: समय व तिथि
वैदिक ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह एक निश्चित अवधि के बाद अपना गोचर करता है यानी कि एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। शायद ही आप जानते होंगे कि बुध महाराज 23 से 27 दिन में अपना राशि परिवर्तन करते हैं और इस दौरान वह उदित, अस्त, वक्री और मार्गी होते हैं।
इसी क्रम में, बुध महाराज अब 02 अक्टूबर 2025 की शाम 05 बजकर 25 मिनट पर कन्या राशि में उदित होने जा रहे हैं।
बता दें कि बुध महाराज बीते 29 अगस्त 2025 को कर्क राशि में अस्त हो गए थे और अब यह लगभग एक महीने बाद पुनः उदित हो रहे हैं। बुध उदित होकर कैसे परिणाम देंगे, इससे पहले जान लेते हैं कि क्या होता है बुध का उदय और अस्त होना।
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क्या होता है बुध ग्रह का उदय और अस्त होना?
हम आपको अपने पिछले लेखों में बताते आए हैं कि ज्योतिष में हर ग्रह की दशा और राशि में होने वाले परिवर्तन का असर मनुष्य जीवन पर गहराई से पड़ता है। ऐसे में, बुद्धि, तर्क, वाणी, शिक्षा, गणना, संचार और व्यापार के कारक ग्रह बुध के अस्त और उदित को अत्यधिक विशेष माना जाता है।
जब बुध ग्रह अपने परिक्रमा पथ पर चलते हुए सूर्य के बहुत निकट चले जाते हैं, तो वह सूर्य के तीव्र प्रभाव से कमज़ोर हो जाता है और अपनी शक्तियां खो बैठता है, इसे ही बुध ग्रह का अस्त होना कहा जाता है। इस अवस्था में बुध ग्रह दुर्बल होता है और पूरी क्षमता से परिणाम देने में सक्षम नहीं होता है। बुध ग्रह जब अस्त होता है, तो वह जातकों को नकारात्मक परिणाम देता है और वाणी में कड़वाहट और गलतफ़हमियों में वृद्धि होती है।
बात करें बुध ग्रह के उदित होने की, तो जब बुध ग्रह अपनी अस्त अवस्था में परिक्रमा करते हुए सूर्य से एक निश्चित दूरी पर आ जाते हैं और अपनी शक्तियां पुनः प्राप्त कर लेते हैं, इसे ही बुध ग्रह का उदित होना कहते हैं।
उदित होकर बुध महाराज दोबारा अपनी पूरी क्षमता से परिणाम देने लगते हैं और फिर से, जातकों को अपना शुभ प्रभाव देना शुरू कर देते हैं, विशेष रूप से उन जातकों को जिनकी कुंडली में बुध देव मज़बूत स्थिति में होते हैं। इस अवधि में बातचीत में सुधार होता है और संचार कौशल मज़बूत होता है। साथ ही, यह समय व्यापार के लिए शुभ माना जाता है।
आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको रूबरू करवाते हैं ज्योतिष में बुध ग्रह के महत्व से।
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बुध का कन्या राशि में उदय: ज्योतिषीय दृष्टि से बुध ग्रह
बुध ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में युवराज का पद प्राप्त है और इन्हें एक शुभ ग्रह माना जाता है।
हालांकि, यह दोहरे स्वभाव के ग्रह हैं जो कुंडली में जिस भी ग्रह के साथ बैठे होते हैं, वैसे ही आपको परिणाम देते हैं।
सरल शब्दों में कहें तो, अगर बुध ग्रह अशुभ या पापी ग्रहों के साथ बैठे होते हैं, तो जातक को जीवन में नकारात्मक परिणाम प्रदान करते हैं। वहीं, शुभ ग्रह जैसे गुरु ग्रह के साथ बैठे होने पर सकारात्मक परिणाम देते हैं।
बता दें कि राशि चक्र में बुध ग्रह कन्या और मिथुन राशि के अधिपति देव हैं।
बुध महाराज की उच्च राशि कन्या है और यह गुरु ग्रह की राशि मीन में नीच अवस्था में होते हैं।
बात करें मित्र और शत्रु ग्रहों की तो, सूर्य और शुक्र ग्रह से बुध के मित्रवत संबंध हैं जबकि चंद्रमा और मंगल के प्रति यह शत्रुता के भाव रखते हैं।
लाभकारी ग्रह के रूप में बुध ग्रह को सभी 27 नक्षत्रों में से ज्येष्ठा ,रेवती और अश्लेषा नक्षत्र पर स्वामित्व प्राप्त हैं।
बुध देव को बुद्धि, मित्र, व्यापार और ज्ञान के कारक ग्रह माना जाता है। इनका कुंडली में शुभ प्रभाव होने पर जातक अच्छा वक्त बनता है। साथ ही, राजनीति और कूटनीति का ज्ञानी होता है। कुंडली में बुध देव की स्थिति शुभ होने पर जातक व्यापार के क्षेत्र में कामयाबी हासिल करता है।
बुध का कन्या राशि में उदय: धार्मिक दृष्टि से बुध ग्रह
ज्योतिष की तरह ही बुध ग्रह का धार्मिक महत्व भी है। बता दें कि सनातन धर्म में बुध देव भगवान विष्णु के प्रतीक माने जाते हैं, जिन्हें संसार के पालनहार कहा जाता है।
संतुलन और धैर्य के प्रतीक विष्णु जी के समान ही बुध महाराज भी व्यक्ति के जीवन में विवेक, समझदारी, और संतुलन लेकर आते हैं।
कुंडली में बुध ग्रह का शुभ प्रभाव व्यक्ति को धर्म-कर्म की तरफ आकर्षित करता है और उसे जीवन में सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देता है।
ऐसे जातकों का झुकाव धार्मिक ग्रंथों और वेदों, शास्त्रों के अध्ययन में होता है। धार्मिक गुरुओं और प्रचारकों के लिए बुध देव की स्थिति विशेष मायने रखती है, क्योंकि इनके मज़बूत अवस्था में होने पर ही वह अपने विचारों को उपदेशों के माध्यम से दुनिया के सामने रख पाते हैं।
बुध देव को हरा रंग बेहद प्रिय है इसलिए हरी रंग की वस्तुओं का दान करने से इनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर बुध ग्रह का प्रभाव
बुध को तेज़ गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है इसलिए इनकी चाल, दशा और राशि में जल्दी-जल्दी बदलाव होता है। यह परिवर्तन मनुष्य जीवन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं, कैसे आइए जानते हैं।
बुध का कन्या राशि में उदय: करियर पर प्रभाव
किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति आपके सोचने-विचारने, व्यापार करने और खुद को दूसरों के सामने रखने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करती है। बुध महाराज की मज़बूत स्थिति जातक को बुद्धिमान बनाती है और वह नेटवर्किंग, डेटा और लेखन के क्षेत्र में सफलता हासिल करता है।
बुध का आर्थिक जीवन पर प्रभाव
आर्थिक जीवन में बुध की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, विशेष रूप से धन से जुड़े फैसले लेने में। कुंडली में बुध महाराज कागजी कार्रवाई और लेने-देन को नियंत्रित करते हैं। जब बुध ग्रह वक्री अवस्था में होता है, उस समय जातकों को आर्थिक जीवन से जुड़े फैसले लेने से बचना चाहिए। साथ ही, फ़िज़ूलख़र्ची भी नहीं करनी चाहिए। साथ ही, धन संबंधित मामलों में छलकपट से बचें।
बुध का कन्या राशि में उदय: प्रेम जीवन पर प्रभाव
बुध देव संचार कौशल के ग्रह हैं इसलिए इनकी स्थिति रिश्तों में संचार को सीधे रूप से प्रभावित करती है। शुभ बुध के प्रभाव से आपका रिश्ते साथी के साथ हंसी-मजाक, खुलकर बात करना और एक-दूसरे के प्रति सम्मान से परिपूर्ण होता है। लेकिन, इनकी वक्री अवस्था आपके और साथी के रिश्ते में बहस और विवाद बढ़ाने का काम करती है।
बुध का वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
जब बुध महाराज वक्री होते हैं, उस समय विवाह बंधन में बंधने के इच्छुक जातकों को विवाह में देरी का सामना करना पड़ता है। हालांकि, जो जातक पहले से विवाहित होते हैं, तो बुध ग्रह उनके और साथी के बीच संचार को दर्शाते हैं और इनके आशीर्वाद से जीवनसाथी एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।
बुध का कन्या राशि में उदय: व्यक्तित्व पर प्रभाव
बुध ग्रह किसी व्यक्ति के जीवन में उसके संचार कौशल, वाणी और विचारों को गहराई से प्रभावित करते हैं। ऐसे में, जब बुध ग्रह शुभ होता है, तो जातक का संचार कौशल बेहतरीन होता है और वाणी मधुर होती है। साथ ही, जातक बेहद रचनात्मक होता है। व्यक्ति हंसी-मज़ाक करने वाला होता है और उसकी सोच तार्किक हो सकती है। वहीं, कमज़ोर बुध वाले लोग शर्मीले होते हैं।
बुध का स्वास्थ्य पर प्रभाव
जब बात आती है स्वास्थ्य की, तो बुध ग्रह सीधे तौर पर किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं कर सकता है क्योंकि यह निर्भर करता है कि बुध देव किस ग्रह पर दृष्टि डाल रहे हैं या किस ग्रह के साथ युति कर रहे हैं। मित्र ग्रहों के साथ बुध के बैठे होने पर आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और वहीं, पापी ग्रहों के साथ होने पर आपकी वाणी पर असर नज़र आ सकता है।
चलिए अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि कुंडली में बुध ग्रह कमज़ोर होने पर आप कैसे जान सकते हैं।
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कमज़ोर बुध ग्रह के संकेत
याददाश्त का कमज़ोर होना: ऐसे जातक जिनकी कुंडली में बुध ग्रह अशुभ होते हैं, तो इसका प्रभाव आपकी याददाश्त पर पड़ता है और आप बातों के साथ-साथ कामों को याद नहीं रख पाते हैं।
व्यापार में नुकसान: बुध देव को व्यापार के कारक माना जाता है और इनके पीड़ित होने पर जातक को व्यापार में हानि या नुकसान झेलना पड़ता है।
गलत फैसले लेना: कुंडली में बुध महाराज के दुर्बल होने पर जातक को सही निर्णय लेने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है और वह गलत फैसले ले सकता है।
वाणी में समस्या: बुध अगर अशुभ होता है, तो जातक को वाणी से जुड़ी समस्या दे सकता है और ऐसे में, जातक हकलाने लगता है और अपने विचार दूसरों के सामने नहीं रख पाता है।
त्वचा और नस से जुड़ी समस्या: बुध ग्रह के नकारात्मक प्रभाव की वजह से जातक को त्वचा से जुड़ी समस्याएं जैसे एलर्जी और हाथ-पैर सुन्न होना आदि परेशान कर सकती हैं।
चिंता में डूबना: बुध ग्रह के पीड़ित होने पर जातक हमेशा किसी न किसी बात को लेकर तनावया चिंता में डूबा रह सकता है।
अब हम आपको बताने जा रहे हैं बुध ग्रह को मज़बूत करने के उपाय
बुध का कन्या राशि में उदय: सरल एवं अचूक उपाय
रत्न: ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह का अपना कोई न कोई रत्न है और ऐसे में, अगर आप बुध ग्रह से शुभ फल पाना चाहते है, तो आप पन्ना रत्न पहन सकते हैं। लेकिन,किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेने के सलाह लेने के बाद ही आप ऐसा करें।
पौधे: यदि आपकी कुंडली में बुध दोष या बुध कमज़ोर अवस्था में होता है, तो जातक को घर पर चौड़ी पत्तियों वाले पौधे लगाने चाहिए। इसके अलावा, आप घर की चौखट पर पंचपल्लव का तोरण लगाएं जिसमें गूलर, पीपल, आम, वट और अशोक वृक्ष की पत्तियां हों।
गणेश जी की पूजा: बुधवार का दिन प्रथम पूज्य भगवान गणेश को समर्पित है इसलिए इस दिन बुध देव को प्रसन्न करने के लिए बुधवार का व्रत और श्रीगणेश की विधि-विधान से पूजा करें।
हरा रंग: बुध महाराज को हरा रंग अतिप्रिय है इसलिए बुध देव की कृपा पाने के लिए हरे रंग के वस्त्र ज्यादा से ज्यादा धारण करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
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बुध का कन्या राशि में उदय: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस साल बुध का कन्या राशि में उदय 02 अक्टूबर 2025 को होगा।
राशि चक्र की छठी राशि कन्या के अधिपति देव बुध ग्रह हैं।
ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह का हर गोचर 23 से 27 दिनों में होता है।
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