मंगल का वृश्चिक राशि में गोचर: देश-दुनिया और सभी राशियों को कैसे करेगा प्रभावित? जानें!
मंगल का वृश्चिक राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि आप ग्रहों-नक्षत्रों की चाल और दशा में होने वाले हर बदलाव के बारे में सबसे पहले जान सकें। बता दें कि मंगल देव को ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और इन्हें नौ ग्रहों के सेनापति माना गया है। मंगल को लाल ग्रह और युद्ध के देवता के नाम से भी जाना जाता है।
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में मंगल ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं क्योंकि इनका संबंध पराक्रम, जुनून और मनोकामनाओं आदि से है। ऐसे में, मंगल देव की स्थिति और राशि में होने वाला परिवर्तन विशेष महत्व रखता है जो अब जल्द ही वृश्चिक राशि में गोचर करने जा रहे हैं।
इसी क्रम में, एस्ट्रोसेज एआई “मंगल का वृश्चिक राशि में गोचर” आपके लिए ख़ासतौर पर लेकर आया है, जिसके अंतर्गत आपको मंगल गोचर से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, मंगल का यह गोचर सभी 12 राशियों को किस तरह के परिणाम देगा? किन जातकों को मिलेगा इस दौरान भाग्य का साथ और किन्हें करना होगा मुश्किलों का सामना? मंगल गोचर संसार के लिए शुभ या अशुभ कैसा रहेगा? इन सभी सवालों का जवाब पाने के लिए आपको यह लेख अंत तक पढ़ना होगा, इसलिए चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते हैं मंगल गोचर के इस विशेष लेख की।
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मंगल का वृश्चिक राशि में गोचर: तिथि और समय
पराक्रम और साहस के ग्रह के नाम से विख्यात मंगल देव को उग्र स्वभाव का ग्रह माना जाता है जो तकरीबन 45 दिनों तक एक राशि में रहते हैं। सरल शब्दों में कहें तो, यह लगभग डेढ़ महीने एक राशि में रहने के बाद दूसरी राशि में गोचर कर जाते है। ऐसे में, अब यह 27 अक्टूबर 2025 की दोपहर 02 बजकर 43 मिनट पर वृश्चिक राशि में गोचर करने जा रहे हैं।
शायद ही आप जानते होंगे कि मंगल के इस गोचर को काफ़ी हद तक अनुकूल कहा जाएगा क्योंकि वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल ही हैं अर्थात इनका यह गोचर अपनी ही राशि में होने जा रहा है। इस प्रकार, मंगल ग्रह कुछ राशियों को शुभ परिणाम दे सकते हैं। अब हम बात कर लेते हैं इस राशि में होने वाली युतियों की।
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वृश्चिक राशि में मंगल-बुध करेंगे युति
लाल ग्रह के नाम से प्रसिद्ध मंगल ग्रह 27 अक्टूबर को वृश्चिक राशि में गोचर कर जाएंगे, जो कि इनकी खुद की राशि है। जब मंगल ग्रह वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे, तब वहां पहले से बुद्धि, वाणी, व्यापार और संचार कौशल के ग्रह बुध देव बैठे होंगे। ऐसे में, वृश्चिक राशि में बुध ग्रह और मंगल देव युति का निर्माण करेंगे, जिसे एक अशुभ स्थिति कहा जाएगा, क्योंकि यह दोनों ग्रह एक-दूसरे के प्रति शत्रुता का भाव रखते हैं।
बता दें कि यह दोनों ग्रह इस राशि में लगभग एक माह तक साथ रहेंगे और इसके परिणामस्वरूप, संसार में तनाव बढ़ सकता है और लोगों के बीच वाद-विवाद एवं मतभेद बढ़ने की आशंका है, इसलिए इस दौरान आपको सावधान रहने की सलाह दी जाती है।
अब हम आपको रूबरू करवाते हैं मंगल ग्रह के धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व से।
मंगल ग्रह का ज्योतिषीय महत्व
वैदिक ज्योतिष में मंगल को पुरुष स्वभाव का उग्र ग्रह माना गया है, जिन्हें युद्ध के देवता भी कहा जाता है। यह सभी ग्रहों में अत्यंत शक्तिशाली हैं जो मनुष्य जीवन में सेना, ऊर्जा, भाई, पराक्रम, साहस, शक्ति और भूमि आदि क्षेत्रों को भी नियंत्रित करते हैं। वहीं, किसी व्यक्ति के भीतर मंगल देव जुनून, प्रेरणा और दृढ़ संकल्प का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इसके अलावा, कोई इंसान अपने जीवन में लक्ष्यों को कैसे हासिल करता है और अपने कार्यों को किस तरह से पूरा करता है? आप शारीरिक रूप से कितने ऊर्जावान हैं? इसका अंदाज़ा भी कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति को देखकर पता लगाया जा सकता है।
बात करें मंगल ग्रह की, तो राशि चक्र में मंगल महाराज को पहली राशि मेष और आठवीं राशि वृश्चिक पर आधिपत्य प्राप्त है। मंगल देव मकर राशि में उच्च के होते हैं जबकि कर्क राशि में यह नीच अवस्था में होते हैं। बात करें नक्षत्रों की, तो इन्हें 27 नक्षत्रों मे चित्रा, धनिष्ठा और मृगशिरा नक्षत्र के अधिपति देव हैं।
दूसरी तरफ़, मंगल ग्रह के प्रभाव से जातक के भीतर ऊर्जा में वृद्धि होती है और इनकी कृपा से इंसान अपने कार्यों को पूरी क्षमता और समर्पण के साथ करता है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल की स्थिति शुभ और बलवान होती है, वह साहसी, निडर और बहादुर होते हैं। साथ ही, वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। हालांकि, कुंडली में मंगल की गलत भावों में उपस्थिति मंगल दोष को जन्म देती है।
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धार्मिक दृष्टि से मंगल देव
ज्योतिष के साथ-साथ मंगल ग्रह का अपना धार्मिक महत्व भी है। बता दें कि सनातन धर्म में मंगल देव के नाम का अर्थ ‘पवित्र और शुभ’ से होता है। इन्हें सप्ताह के सात दिनों में मंगलवार का दिन समर्पित होता है इसलिए इस दिन नए काम का आरंभ करना बेहद शुभ माना जाता है। शायद ही आप जानते होंगे कि मंगल ग्रह के नाम पर ही मंगलवार का नाम पड़ा है जिसका अर्थ कुशल होता है।
धार्मिक दृष्टि से, भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी से भी मंगल देव संबंधित हैं। मान्यता है कि अगर किसी से मंगल कुपित होते हैं और नकारात्मक परिणाम देते हैं, तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा से वह प्रसन्न हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं में मंगल को पृथ्वी का पुत्र कहा गया है इसलिए इन्हें भौम पुत्र भी कहा जाता है। चलिए अब हम आपको अवगत करवाते हैं मंगल ग्रह की जन्म कथा से।
मंगल देव के जन्म की कथा
धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, प्राचीन समय में भगवान शिव का युद्ध अंधकासुर नामक असुर से हो रहा था और इस युद्ध के दौरान शिव जी के मस्तक से पसीने की कुछ बूँद भूमि पर जा गिरी। धरती पर पसीने की इन बूंदों के गिरने से भूमि के गर्भ से एक अंगार क्षीण लिंग अवतरित हुआ और उसमें से एक बालक प्रकट हुआ। इस बालक के द्वारा ही अंधकासुर का वध हुआ और इसके पश्चात, महादेव के आशीर्वाद से यह बालक अंतरिक्ष में ग्रह के रूप में स्थापित हुआ, जिसे मंगल ग्रह के नाम से जाना गया।
चलिए अब हम आपको रूबरू करवाते हैं मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों से।
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कुंडली में मंगल कमज़ोर होने के 9 संकेत
आत्मविश्वास में कमी
कुंडली में मंगल ग्रह की कमज़ोर अवस्था होने पर जातकों में आत्मविश्वास की कमी दिखाई देती है। इन लोगों को फैसले लेने में समस्या होती है और मन में एक तरह का डर बना रहता है।
विवाह में देरी
जातकों की कुंडली में मंगल दोष होने पर विवाह में देरी या फिर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
वैवाहिक जीवन में अशांति
दुर्बल मंगल का प्रभाव नकारात्मक रूप से आपके वैवाहिक जीवन को प्रभावित करता है और ऐसे में, व्यक्ति को जीवनसाथी के साथ तनाव और मतभेद से जूझना पड़ता है।
क्रोध का बढ़ना
अगर आपका मंगल पीड़ित या दुर्बल अवस्था में होता है, तो आपके भीतर गुस्से में बढ़ोतरी होती है। इन्हें छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आने लगता है।
कार्यक्षेत्र में परेशानी
यदि मंगल ग्रह आपसे अप्रसन्न होते हैं, तो इसका दुष्प्रभाव आपके करियर को भी प्रभावित करता है। ऐसे में, कार्यक्षेत्र में आपका सहकर्मियों से विवाद हो सकता है और मेहनत का फल भी देर से मिलता है।
दुर्घटनाएं होना
जिन लोगों को बार-बार चोट लग रही है या बार-बार उनका एक्सीडेंट हो रहा है, तो इसे भी मंगल ग्रह के कमज़ोर होने का संकेत माना जाता है।
आक्रामक या डरपोक होना
ऐसे जातक जिनका मंगल ग्रह अशुभ होता है, तो वह इनके प्रभाव से या तो अत्यधिक आक्रामक हो सकते हैं या फिर पूरी तरह से डरपोक बन सकते हैं।
रक्तचाप की समस्या
मंगल के पीड़ित होने पर व्यक्ति को ब्लड प्रेशर या खून से जुड़ी समस्याओं की शिकायत रहती हैं।
मतभेदों में वृद्धि
अशुभ मंगल की वजह से परिवार या समाज में लड़ाई-झगड़े की स्थिति बनने लगती है। साथ ही, आप कानूनी विवादों में भी फंस सकते हैं।
कुंडली में मंगल ग्रह नकारात्मक स्थिति में होने पर आप नीचे दिए गए उपायों को आज़मा सकते हैं।
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मंगल का वृश्चिक राशि में गोचर: सरल एवं अचूक उपाय
मंगलवार को हनुमान जी को लगाएं आम का भोग
मान्यताओं के अनुसार, जब हनुमान जी लंका गए थे, तो वहां पर अशोक वाटिका में उन्होंने आम का फल खाया था, जो उन्हें बहुत अच्छा लगा था। साथ ही, वह श्रीराम के लिए भी आम लेकर आए थे। ऐसे में, कुंडली में मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी को मंगलवार के दिन आम का भोग लगाएं और इस दिन स्वयं भी आम का सेवन करें।
मंगलवार को करें इन मंत्रों का जाप
मंगलवार के दिन मंगल ग्रह की कृपा पाने के लिए “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंत्र का जाप 108 बार करें। इस मंत्र का जाप करने के लिए सबसे पहले आप अपने घर के मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और उसके सामने तिल के तिल का दीपक जलाएं, फिर लाल आसन पर बैठकर मंत्र का जाप करें।
मंगल का वृश्चिक राशि में गोचर पर करें केले का दान
कुंडली में मंगल देव को मजबूत करने के लिए मंगलवार के दिन केले का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। साथ ही, इस दिन हनुमानजी के मंदिर में जाकर घी का एक दीपक जलाएं और हनुमान जी को केले अर्पित करें। संभव हो, तो लोगों को भी केले बांटे।
मंगल का वृश्चिक राशि में गोचर पर करें हनुमान चालीसा का पाठ
अगर आप मंगल ग्रह को बलवान करना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से पूर्व एक तांबे के लोटे में जल भरें और घी का दीपक जलाएं। इसके पश्चात, हनुमान चालीसा का पाठ करें।
मंगलवार को व्रत करें
मंगल देव से शुभ परिणाम पाने के लिए मंगलवार का व्रत करना फलदायी माना जाता है। इस उपाय को करने से मांगलिक दोष का प्रभाव कम हो जाता है। मंगलवार का व्रत करने वाले जातक को तामसिक भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए। मंगल ग्रह को बलवान करने के लिए कम से कम 21 या 45 मंगलवार का व्रत अवश्य करें।
मंगल का वृश्चिक राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मंगल आपकी कुंडली में लग्न या राशि के स्वामी ग्रह होने के साथ-साथ… (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
मंगल आपकी कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी होने के साथ-साथ द्वादश… (विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
मंगल आपकी कुंडली में छठे तथा लाभ भाव का स्वामी ग्रह होता है और वृश्चिक… (विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
मंगल आपकी कुंडली में पंचम तथा दशम भाव के स्वामी होते हैं और गोचर… (विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
मंगल आपकी कुंडली में चौथे तथा भाग्य भाव के स्वामी होते हैं। अर्थात इस कुंडली में… (विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
मंगल आपकी कुंडली में तीसरे तथा आठवें भाव के स्वामी होते हैं और मंगल का… (विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
मंगल आपकी कुंडली में दूसरे तथा सातवें भाव के स्वामी होते हैं और मंगल का… (विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
मंगल आपकी कुंडली में पहले तथा छठे भाव के स्वामी ग्रह होते हैं और मंगल का वृश्चिक…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
मंगल आपकी कुंडली में पंचम तथा द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और मंगल का… (विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मंगल आपकी कुंडली में चौथे तथा लाभ भाव के स्वामी होते हैं और मंगल का वृश्चिक… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
मंगल आपकी कुंडली में तीसरे तथा दशम भाव के स्वामी होते हैं और मंगल… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
मंगल आपकी कुंडली में दूसरे तथा भाग्य भाग के स्वामी होते हैं और मंगल… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मंगल देव 27 अक्टूबर 2025 को वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
राशि चक्र की आठवीं राशि वृश्चिक के अधिपति देव मंगल ग्रह हैं।
मंगल देव हर राशि में लगभग 45 दिनों तक रहते हैं और उसके बाद दूसरी राशि में प्रवेश कर लेते हैं।
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