वृश्चिक राशि में मंगल-बुध की युति का 12 राशियों पर कैसा पड़ेगा प्रभाव? जानें!
वृश्चिक राशि में मंगल-बुध की युति: एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष लेख आपको ज्योतिष की दुनिया में होने वाली नवीनतम घटना की जानकारी प्रदान करेगा। इसी क्रम में, अब जल्द ही बुद्धि और वाणी के ग्रह बुध और साहस एवं पराक्रम के कारक मंगल देव वृश्चिक राशि में युति का निर्माण करने जा रहे हैं।
बता दें कि मंगल और बुध ग्रह की यह युति 27 अक्टूबर 2025 की दोपहर 02 बजकर 43 मिनट पर वृश्चिक राशि में होगी, जिसका प्रभाव संसार समेत सभी 12 राशियों को प्रभावित करेगी। तो आइए बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इन दोनों की युति के बारे में विस्तृत जानकारी।
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जब बुध ग्रह और मंगल देव किसी राशि में युति का निर्माण करते हैं, तो यह दोनों ग्रह बुद्धि और कर्म का विशेष संयोजन तैयार करते हैं। एक तरफ. बुध महाराज बुद्धि, वाणी, तर्क, संचार कौशल और विश्लेषण क्षमता का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि मंगल देव ऊर्जा, साहस, आक्रामकता और दृढ़ता को नियंत्रित करते हैं। हालांकि, बुध और मंगल ग्रह की यह युति आपको तेज़ बुद्धि, तुरंत निर्णय लेने की क्षमता और दूसरों को प्रेरित करने वाली वाणी प्रदान करेगी जो अक्सर व्यक्ति को निडर, साहसी और मजाकिया बनाने का काम करती है।
ऐसे जातक वाद-विवाद, लेखन रणनीति, कानून और तकनीक से जुड़े क्षेत्रों में महारत हासिल करते हैं। दूसरी तरफ, मंगल का यह गोचर आपको अधीर, आपके शब्दों और वाणी को कठोर, व्यर्थ की बहस या विवाद में फंसाने का काम कर सकता है जिसकी वजह आपका घमंड और कटु वचन हो सकते हैं। अगर बुध और मंगल की युति मज़बूत अवस्था में होती है, तो जातक को तेज़ बुद्धि, दृढ़ विश्वास, साहस और पूरे विश्वास के साथ अपने विचार और आइडिया रखने का साहस प्रदान करती है।
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वृश्चिक राशि में मंगल-बुध की युति: 12 राशियों पर प्रभाव
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए मंगल और बुध देव की युति का निर्माण आपके आठवें भाव में होगा इसलिए यह युति थोड़ी कठिन रह सकती है। आपके लग्न भाव के स्वामी और ऊर्जा के कारक ग्रह मंगल आपके तीसरे व छठे भाव के स्वामी बुध देव के साथ युति का निर्माण करेंगे जो रहस्य, अचानक से होने वाले बदलावों और गूढ़ विषयों का भाव होगा। इसके परिणामस्वरूप, यह जातक को तेज़ और चीज़ों की गहराई तक जाने वाली बुद्धि प्रदान करेंगे जिसे रिसर्च, मनोविज्ञान, ज्योतिष या गुप्त विज्ञान से जुड़े क्षेत्रों के लिए सकारात्मक कहा जाएगा। साथ ही, आपके भीतर जीवन की हर समस्या का सामना करना का साहस होगा। हालांकि, यह दोनों ग्रह आपको तार्किक, रहस्यमयी और अचानक से विवादों में फंसने वाला बना सकते हैं, विशेष रूप से ससुराल वालों, भाई-बहनों या पार्टनर के साथ।
इस अवधि में इन जातकों को आर्थिक जीवन में पैतृक संपत्ति, इंश्योरेंस या संयुक्त संपत्ति को लेकर उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, आपको किसी दुर्घटना, सर्जरी या तनाव की वजह से अपनी सेहत का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। मंगल और बुध की यह युति आपके रिश्ते में समस्याएं और चुनौतियों लेकर आ सकती हैं। दूसरी तरफ, अगर आप जीवन में संतुलन और अनुशासन बनाकर चलेंगे, तो आप आध्यात्मिक जीवन में प्रगति, परिवर्तन और ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों की कुंडली में मंगल और बुध की युति का निर्माण आपके सातवें भाव में होगा जो रिश्तों और पार्टनरशिप में समस्याएं पैदा करने का काम करेंगे। बता दें कि वृषभ राशि के जातकों के लिए कुंडली का सातवां भाव विवाह, बिज़नेस पार्टनरशिप और सामाजिक जीवन से संबंधित होता है। वहीं, सातवें और बारहवें भाव के स्वामी मंगल देव आपके जीवन में तुरंत कार्यवाही, जुनून और अचानक से होने वाले विवादों को जन्म दे सकते हैं। दूसरी तरफ, बुध महाराज आपके दूसरे और पांचवें के स्वामी हैं जो आपके जीवन में संचार कौशल, बुद्धिमानी और आर्थिक प्रचुरता लेकर आते हैं। बुध और मंगल की युति जातकों को पार्टनरशिप में बुद्धिमान, सोच-विचार कर कदम उठाने वाला और बेहतरीन रणनीति बनाने वाला बनाएगी और ऐसे में, आपकी तरफ कोई बुद्धिमान और ऊर्जावान व्यक्ति आकर्षित हो सकता है।
हालांकि, मंगल महाराज की आक्रामकता और बुध की तीखी वाणी के मिलने से आपके जीवन में यह बार-बार विवाद, अहंकार से होने वाला टकराव या वैवाहिक जीवन में साथी पर हावी होने की स्थिति को पैदा कर सकती है। बता दें कि इस राशि के जातकों को पार्टनरशिप और बिज़नेस डील्स के माध्यम से लाभ प्राप्त होगा। अगर हम मंगल-बुध की शुभ दृष्टि की बात करें, तो इन दोनों ग्रहों के प्रभाव से आपको एक ऐसा जीवनसाथी मिल सकता है जो बुद्धिमान और साहसी होगा जिसके साथ आपका रिश्ता मज़बूत और लंबे समय तक बना रहेगा। लेकिन, इस युति का कुंडली में अशुभ प्रभाव होने पर जातकों को निजी और पेशेवर जीवन की पार्टनरशिप में उतार-चढ़ाव, विवाद या कानूनी मतभेद का सामना करना पड़ सकता है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों की कुंडली में बुध और मंगल ग्रह की युति आपके छठे भाव में बनने जा रही है जो आपको बुद्धि, साहस के बल पर समस्याओं से लड़कर उनसे बाहर आने में समर्थ बनाएगी। बुध देव आपके लग्न और चौथे भाव के स्वामी हैं जिसका संबंध बुद्धि, संचार कौशल और व्यक्तिगत क्षमताओं से होता है जबकि छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी मंगल महाराज विवाद, सेवा, कर्ज़ और लाभ आदि को दर्शाते हैं। जब यह दोनों ग्रह आपके छठे भाव में एक साथ आएंगे, तो आपकी विश्लेषण क्षमता को मज़बूत बनाएंगे। साथ ही, आप अपने प्रतिद्वंदियों को कार्यों और नीतियों के माध्यम से पराजित करने में सक्षम होंगे।
वृश्चिक राशि में बुध और मंगल की युति करियर में कानून, चिकित्सा, रक्षा या विश्लेषण से जुड़े क्षेत्रों के लिए फलदायी साबित होगी क्योंकि इन क्षेत्रों में व्यक्ति को समस्या का समाधान ढूंढ़ने के साथ-साथ साहस की भी जरूरत होगी। हालांकि, कुंडली में बन रही यह स्थिति जातकों को तर्क-वितर्क करने वाला और बेचैन बना सकती है। साथ ही, आप अपने सहकर्मियों और वरिष्ठों के साथ विवाद में भी पड़ सकते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से, मंगल-बुध की इस युति के प्रभाव से आपको तंत्रिका तंत्र, तनाव, एसिडिटी या चोट लगने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जिसकी वजह आपके द्वारा हद से ज्यादा मेहनत करना हो सकता है। बात करें आर्थिक जीवन की, तो आपको यह युति सेवाओं, प्रतियोगिताओं और लगातार किए जा रहे प्रयासों के माध्यम से लाभ प्रदान करेगी। लेकिन, आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है जिसके चलते आप पर कर्ज़ बढ़ सकता है। अगर शुभ दृष्टि से देखें, तो मंगल-बुध की यह युति आपकी क्षमताओं में वृद्धि करवाएगी और ऐसे में, आप प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ-साथ अपने शत्रुओं पर विजय पाने में सक्षम होंगे, लेकिन इस युति के नकारात्मक प्रभाव से आपको विवाद, तनाव और काम के बोझ का सामना करना पड़ सकता है।
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कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों की कुंडली में वृश्चिक राशि में मंगल-बुध की युति आपके पांचवें भाव में निर्मित होने जा रही है। ऐसे में, जुनून, बुद्धि और रचनात्मकता का यह संयोजन आपके प्रेम जीवन, शिक्षा और संतान से जुड़े क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है। मंगल देव आपके पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं जो महत्वाकांक्षा, ऊर्जा और प्रतिस्पर्धा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि बुध महाराज आपके तीसरे और बारहवें भाव के अधिपति देव हैं और यह शानदार संचार कौशल, बेहतरीन विश्लेषण क्षमता तथा रचनात्मक विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में, जब यह दोनों ग्रह आपके पांचवें भाव में एक साथ बैठे होंगे, तब जातकों को तेज़ बुद्धि, तुरंत फैसले लेने की क्षमता और रचनात्मकता प्रदान करेंगे, लेकिन अपने शब्दों की वजह से आप दूसरों के साथ बहस में पड़ सकते हैं।
बुध और मंगल देव की यह युति आपको शिक्षा, सट्टेबाजी, राजनीति, शिक्षण के साथ-साथ ऐसे क्षेत्रों में सफलता प्रदान करेगी जहाँ तार्किक बुद्धि और साहस की आवश्यकता होगी। बात करें प्रेम जीवन की, तो इस अवधि में आपका प्रेम गहरा होगा, एक-दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ेगा और वाणी में भी मधुरता आएगी। संतान के संबंध में, मंगल और बुध की युति आपके मन में ख़ुशी और बेचैनी दोनों पैदा कर सकती है। इस दौरान आप अपने बच्चों को अनुशासन सिखाएंगे और कभी-कभी कठोरता के साथ उनका मार्गदर्शन भी कर सकते हैं। इन दोनों ग्रहों का शुभ प्रभाव होने पर आपको शिक्षा में नेतृत्व करने वाला, वाद-विवाद में माहिर और सट्टेबाजी में सफलता दिला सकती है। वहीं, यह युति अशुभ होने पर प्रेम जीवन, शिक्षा, संतान और निवेश से जुड़े क्षेत्रों में आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
सिंह राशि
सिंह राशि वालों के लिए मंगल और बुध की युति का निर्माण आपके चौथे भाव में होने जा रहा है जो आपके घर, पारिवारिक जीवन और आंतरिक शांति को प्रभावित करेगा। साथ ही, यह आपको बेचैन भी कर सकता है। आपके चौथे और नौवें भाव के स्वामी के रूप में मंगल ऊर्जा, भाग्य और किस्मत को दर्शाते हैं जबकि बुध देव आपके दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जिसका संबंध वाणी, धन और सामाजिक जीवन से है। अब वृश्चिक राशि में मंगल-बुध की युति आपके चौथे भाव में होने जा रही है जो आपको सुख-सुविधाओं से पूर्ण जीवन, संपत्ति और अपनी अलग पहचान बनाने को लेकर महत्वाकांक्षी बनाएगी। साथ ही, यह बुद्धि को तेज़ और आपको दृढ़ बनाने का काम करेगी।
मंगल और बुध की युति सिंह राशि के जातकों को रियल एस्टेट, शिक्षा, पब्लिक स्पीकर, जनता या देश से जुड़े करियर में सफलता प्रदान करेगी। बता दें कि इस दौरान आपकी वाणी कटु और कठोर हो सकती है जो परिवार के साथ बहस या मतभेद का कारण बन सकती है। साथ ही, परिवार को नियंत्रित करने का प्रयास करने या फिर संपत्ति से जुड़े विवाद के कारण आपके घर-परिवार में अशांति का माहौल बन सकता है। वृश्चिक राशि में मंगल-बुध की युति का शुभ प्रभाव होने से आपकी इच्छाशक्ति मज़बूत होगी और आप आर्थिक जीवन में प्रगति हासिल करेंगे। साथ ही, आप अपने बेहतरीन संचार कौशल के माध्यम से दूसरों को प्रभावित करने में भी सक्षम होंगे। लेकिन, इन दोनों ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव होने से आप भावनात्मक रूप से बैचैन नज़र आ सकते हैं और परिवार में भी समस्याएं जन्म ले सकती हैं।
कन्या राशि
कन्या राशि वालों की कुंडली में बुध देव आपके लग्न भाव और दसवें भाव के स्वामी हैं। वहीं, मंगल महाराज आपके तीसरे भाव तथा आठवें भाव के अधिपति देव हैं जो अब आपके साहस, पडोसी और भाई-बहन के भाव अर्थात तीसरे भाव में युति का निर्माण करेंगे। ऐसे में, यह दोनों ग्रह आपके व्यक्तित्व को निडर, तेज़ और तुरंत कदम उठाने वाला बनाएंगे। बुध और मंगल ग्रह का प्रभाव आपको साहसी, बुद्धिमान और बातचीत में माहिर बनाने का काम करेगा। बता दें कि कुंडली का तीसरा भाव साहस, भाई-बहन, संचार कौशल और प्रयासों को दर्शाता है और इस भाव में मंगल-बुध की युति का निर्माण होने से आप बेखौफ, वाणी से दूसरों को प्रभावित करने वाले और वाद-विवाद में निपुण बनेंगे।
इस राशि के जातकों का जुड़ाव लेखन, मीडिया, कानून या किसी ऐसे करियर से हो सकता है जहां आपको तेज़ बुद्धि और दृढ़ता की आवश्यकता होगी। हालांकि, आठवें भाव के स्वामी के रूप में मंगल देव आपको भाई-बहनों के साथ मतभेद दे सकते हैं या लगातार प्रयासों के बल पर आपको एकदम से परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं या यह आपकी वाणी को कठोर बना सकते हैं। सिंह राशि के जातक मेहनती और महत्त्वाकांक्षी होंगे, लेकिन कभी-कभी यह जल्दबाज़ी में निर्णय ले सकते हैं। हालांकि, मंगल और बुध का शुभ प्रभाव होने पर आप लक्ष्यों को पाने के लिए समर्पित रहेंगे और दृढ़ता के साथ आगे बढ़ेंगे। लेकिन, इस युति के अशुभ प्रभाव से आपको मतभेद, गलतफ़हमियों और रिश्तों में भी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।
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तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए बुध देव आपके नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं जबकि मंगल देव आपके दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं। ऐसे में, बुध और मंगल महाराज की युति आपके दूसरे भाव में होने जा रही है जिसका सीधा प्रभाव आपकी वाणी, धन और पारिवारिक जीवन पर पड़ेगा। साथ ही, आपकी वाणी तीखी होगी और आप बेबाक तरीके से अपनी राय रख सकेंगे। लेकिन, कभी-कभी आपके शब्द कठोर हो सकते हैं। आपको आर्थिक जीवन में बड़े फैसले लेने, बिज़नेस पार्टनरशिप या संचार से जुड़े क्षेत्रों में लाभ की प्राप्ति होगी।
हालांकि, तुला राशि में बुध और मंगल ग्रह की प्रवृति मारक होती है इसलिए यह युति परिवार में मतभेद, संपत्ति से जुड़े विवाद या फिर आर्थिक जीवन में अस्थिरता लेकर आ सकती है। इस युति के सकारात्मक पक्ष को देखें, तो यह जातक ज्ञानी, तार्किक और आर्थिक स्थिति मज़बूत बनाने को लेकर समर्पित रहेंगे। हालांकि, इन जातकों को कई समस्याओं के बाद सफलता की प्राप्ति होगी, लेकिन फिर भी आपको शब्दों का इस्तेमाल सोच-समझकर करना होगा और परिवार से जुड़े मामलों में धैर्य बनाकर रखना होगा। धन से जुड़ी योजनाओं का निर्माण भी सोच-समझकर करना होगा ताकि आप इस युति के दौरान संतुलन बना रहे।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों के लिए बुध देव आपके आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। वहीं, मंगल ग्रह आपके लग्न भाव और छठे भाव के स्वामी हैं। अब यह दोनों ग्रह आपके लग्न भाव में युति का निर्माण करने जा रहे हैं और ऐसे में, इस युति के प्रभाव से आपका व्यक्तित्व तीव्र, मज़बूत और तुरंत कार्य करने वाला बनेगा। साथ ही, आपकी इच्छाशक्ति और चीज़ों का विश्लेषण करने की क्षमता भी मज़बूत होगी। मंगल और बुध के प्रभाव से आप जीवन में निडरता के साथ आगे बढ़ेंगे। हालांकि, जब मंगल की उग्र ऊर्जा बुध देव के तर्क के साथ मिलेगी, तो यह दोनों ग्रह जातक को अधीर और दूसरों से बहस करने वाला बना सकती है या फिर आप हद से ज्यादा आलोचना करने वाले बन सकते हैं।
आठवें भाव पर बुध देव का प्रभाव होने से वृश्चिक राशि के जातकों का झुकाव गहराई से चीज़ों के बारे में जानने, जिज्ञासु, रिसर्च, और गूढ़ विज्ञान में होगा जबकि इनका ग्यारहवें भाव से संबंध आपको नेटवर्किंग और सामाजिक जीवन के माध्यम से लाभ प्रदान करेगा। स्वास्थ्य की बात करें तो, मंगल और बुध की यह युति कभी-कभी आपको तनाव या घबराहट देने का काम कर सकती है या फिर आप इस दौरान जल्दबाजी में कार्यों को कर सकते हैं जिससे स्वास्थ्य समस्याएं जन्म ले सकती हैं। वृश्चिक राशि में मंगल-बुध की युति का शुभ प्रभाव आपको समस्याओं का समाधान खोजने वाला, निडर लीडर और बुद्धिमानी से नीतियों का निर्माण करने वाला बनाएगा। लेकिन, इस युति का नकारात्मक प्रभाव होने पर आपको प्रेम जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, आप स्वभाव से बेचैन और आक्रामक हो सकते हैं।
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए बुध महाराज आपके सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। वहीं, मंगल देव आपके पांचवें और बारहवें भाव के अधिपति देव हैं। ऐसे में, वृश्चिक राशि में मंगल-बुध की युति आपके बारहवें भाव में हो रही है जो आपके जीवन में रिश्तों, करियर और आध्यात्मिक जीवन को प्रभावित करेगी। इस युति के प्रभाव से आपको मजबूत व्यक्तित्व और कल्पनाशील बुद्धि प्राप्त होगी जो उन लोगों के लिए मददगार साबित होगी जिनका संबंध रिसर्च और विदेश से है। यह जातक रणनीति, मेडिसिन, गूढ़ विज्ञान या तकनीक से जुड़े क्षेत्रों में करियर बनना पसंद करेंगे।
इस अवधि में आपके रिश्ते मज़बूत होंगे जो कि गुप्त और रहस्यमय हो सकते हैं। साथ ही, आपको अहंकार की वजह से वैवाहिक जीवन में समस्याओं और गलतफ़हमियों का सामना करना पड़ सकता है। आपके खर्चों में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है, विशेष रूप से पार्टनरशिप और सट्टेबाजी के माध्यम से। लेकिन, बारहवें भाव में पांचवें भाव की उपस्थिति आपको रचनात्मक और आध्यात्मिकता का आशीर्वाद देगी। कुंडली में मंगल और बुध की स्थिति के मज़बूत होने से आप गहराई से सोच-विचार करने वाले बनेगे और आप रिसर्च या आध्यात्मिक जीवन में प्रगति हासिल करेंगे। लेकिन, इस संयोजन के नकारात्मक प्रभाव से आप जल्दबाज़ी में निर्णय ले सकते हैं और आपको नींद न आना, अज्ञात शत्रुओं या शादी-विवाह में तनाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए बुध देव आपके छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं। वहीं, मंगल महाराज आपके चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। बता दें कि वृश्चिक राशि में मंगल-बुध की युति आपके ग्यारहवें भाव में होने जा रही है और ऐसे में, यह जातको को लाभ प्रदान करेगी, विशेष रूप से सामाजिक जीवन और महत्वाकांक्षाओं के संबंध में। यह युति जातक को अपने जीवन के रिश्तों, दोस्तों और पेशेवर जीवन में बुद्धिमान, निडर और प्रेरणादायक बनाएगी। इसके परिणामस्वरूप, आप अपने जीवन में बेहतरीन संचार कौशल, सोच-समझकर उठाए गए कदमों और साहसिक फैसलों के बल पर सफलता प्राप्त करेंगे। संभव है कि आपको प्रभावशाली लोगों के माध्यम से भी लाभ की प्राप्ति होगी।
नौवें भाव के स्वामी के रूप में बुध ग्रह आपके जीवन में लगातार किए जा रहे प्रयासों के माध्यम से सौभाग्य लेकर आएंगे, जबकि छठे भाव के स्वामी मंगल देव की उपस्थिति विवाद, प्रतिस्पर्धा, या सामाजिक जीवन में या दोस्तों के बीच गलतफ़हमियां पैदा कर सकती है। आर्थिक जीवन में इन दोनों ग्रहों की युति आपको अप्रत्याशित रूप से अच्छा-ख़ासा लाभ दिला सकती है। हालांकि, कभी-कभी आप दूसरों के साथ मतभेदों या विवाद में भी पड़ सकते हैं। वृश्चिक राशि में मंगल-बुध की युति कुंडली में मज़बूत होने पर जातक समाज या पेशेवर जीवन में नेतृत्व कर सकता है। ऐसे में, वह हर चुनौती को अवसर में बदलने में सक्षम होगा। लेकिन, इन दोनों ग्रहों के दुर्बल होने पर जातकों को दोस्ती में समस्या, अहंकार का टकराव या लक्ष्य पाने को लेकर अत्यधिक जुनूनी होना जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ सकता है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए बुध देव आपके पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं जबकि मंगल महाराज को तीसरे और दसवें भाव पर आधिपत्य प्राप्त हैं। इसी क्रम में, अब मंगल और बुध देव युति का निर्माण आपके दसवें भाव में कर रहे हैं जिसका प्रभाव आपके करियर, अधिकार और सामाजिक छवि पर नज़र आ सकता है। यह स्थिति आपको पेशेवर जीवन में तेज़ बुद्धि, साहसिक और निडर बनाएगी। इस युति के प्रभाव से जातक महत्वाकांक्षी, बेहतरीन रणनीति बनाने वाला और मेहनती बनेगा, विशेष रूप से वह उन क्षेत्रों में सफलता हासिल करेगा जिसमें विश्लेषण, तकनीकी ज्ञान, रिसर्च, मज़बूत संचार कौशल या नेतृत्व की क्षमता की आवश्यकता होगी।
पांचवें भाव के स्वामी बुध महाराज आपको करियर के क्षेत्र में रचनात्मकता और बुद्धिमानी का आशीर्वाद देंगे। वहीं, दसवें भाव के स्वामी मंगल ग्रह आपको मोटिवेशन, प्रगति और दृढ़ता प्रदान करेंगे। हालांकि, आठवें भाव से बुध का संबंध आपके जीवन में अचानक से उतार-चढ़ाव लेकर आ सकता है और ऐसे में, आपको कार्यक्षेत्र में राजनीति या फिर करियर में अचानक से बदलाव देखने को मिल सकता है। बुध और मंगल देव वृश्चिक राशि में बैठकर आपको वरिष्ठों और अधिकारियों के साथ वाद-विवाद करने वाला बना सकते हैं। साथ ही, आप इस दौरान समस्याओं का सामना डटकर करेंगे और हर चुनौती को अवसर में बदलने में सक्षम होंगे। इस युति का आप पर शुभ प्रभाव होने से आपको सरकार, तकनीक प्रबंधन या रणनीति से जुड़े क्षेत्रों में सफलता की प्राप्ति होगी। अगर इसका प्रभाव कमज़ोर हुआ तो आपको वरिष्ठों के साथ समस्याओं, कार्यक्षेत्र में तनाव या फिर आप जल्दबाज़ी में कुछ ऐसे फैसले ले सकते हैं जिनका असर आपके मान-सम्मान पर पड़ सकता है।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों की कुंडली में बुध देव आपके चौथे और सातवें भाव के अधिपति देव हैं, जबकि मंगल महाराज आपके दूसरे और नौवें भाव के स्वामी हैं। अब यह दोनों ग्रह वृश्चिक राशि में आपके नौवें भाव में युति करने जा रहे हैं जो आपके भाग्य, सीखने की क्षमता और दूर स्थान से जुड़े मामलों को गहराई से प्रभावित करेंगे। इस युति के प्रभाव से जातक तेज़ बुद्धि वाला, अपने विचारों को निडरता से रखने वाला, तार्किक और किसी बात की गहराई तक जाने वाला बनेगा। ऐसे में, इन लोगों का झुकाव लॉ, फिलॉसफी और अध्यात्म से जुड़े क्षेत्रों में बढ़ेगा। कुंडली में नौवें भाव का संबंध धर्म, पिता, टीचर और भाग्य से होता है और ऐसे में, इस भाव के स्वामी मंगल आपकी इच्छाशक्ति और दृढ़ता को मज़बूत बनाने का काम करेगा, तो दूसरी तरफ बुध देव आपकी तर्क, और वाद-विवाद की क्षमता में वृद्धि करवाएंगे।
ऐसा जातक पुराने समय से चली आ रही मान्यताओं या परंपराओं पर सवाल उठता हुआ नज़र आ सकता है और आध्यात्मिक क्षेत्र या फिर कुछ विषयों पर रिसर्च कर सकता है। साथ ही, आपको विदेश के माध्यम से लाभ प्राप्त होने की संभावना है। हालांकि, इन जातकों का पिता, गुरु या टीचर के साथ विवाद होने की आशंका है जिसकी वजह अहंकार का टकराव हो सकता है। इसके अलावा, ससुराल पक्ष और पति के साथ भी विचारों में भिन्नता होने के कारण आपको रिश्तों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। मंगल और बुध की युति का शुभ प्रभाव होने से तेज़ बुद्धि, साहस, शिक्षा में सफलता और साहसिक क़दमों के माध्यम से आपको लाभ की प्राप्ति होगी। दूसरी तरफ, इसका नकारात्मक असर होने पर आपको परंपराओं को लेकर विवाद या फिर उच्च शिक्षा में मार्ग में अचानक से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
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वृश्चिक राशि में मंगल-बुध की युति: सरल उपाय
प्रतिदिन “ॐ बुधाय नमः” का 108 बार जाप करें।
क्रोध और आक्रामकता से राहत पाने के लिए “ॐ अंगारकाय नमः” का जाप करें।
मंगल देव को शांत करने और क्रोध में कमी के लिए नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें।
मन को नियंत्रित करने के लिए ध्यान, प्राणायाम और योग का अभ्यास करें।
मन की शांति के लिए घर में तुलसी का पौधा रखें और रोज़ाना उसे जल अर्पित करें।
इस अवधि में कठोर वाणी बोलने से बचें और धैर्य बनाए रखें।
मंगल देव की ऊर्जा को खेलकूद, व्यायाम या मार्शल आर्ट में लगाएं।
बुध देव की ऊर्जा का उपयोग किसी से बहस करने के बजाय लेखन, डिबेट और रिसर्च में करें।
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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
वृश्चिक राशि में मंगल देव का गोचर होने से रूचक योग निर्मित होगा।
बुध देव द्वारा भद्रा योग का निर्माण होता है।
नहीं, मंगल और बुध दोनों एक-दूसरे के प्रति शत्रुता का भाव रखते हैं।
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