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3 दिन में गुरु का दूसरा महत्वपूर्ण परिवर्तन इन राशियों के जीवन में लाएगा भूचाल- रहें सावधान!

बृहस्पति ग्रह को ज्योतिष में महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना गया है। बृहस्पति एक शुभ ग्रह है। इसके अलावा इसे देवताओं का गुरु या शिक्षक भी कहते हैं। गुरु ग्रह (अर्थात बृहस्पति) मनुष्य के जीवन में भाग्य, सौभाग्य देने वाला ग्रह है। इतने सारे महत्व होने की वजह से ही जब भी बृहस्पति ग्रह से जुड़ा कोई भी परिवर्तन होता है तो इसे खास मानते हैं। ऐसे में बात करें मई के महीने की तो जहां 1 मई को गुरु ग्रह अर्थात बृहस्पति का वृषभ राशि में गोचर हुआ वहीं ठीक इसके दो दिन बाद अर्थात 3 मई को बृहस्पति वृषभ राशि में ही अस्त होने जा रहे हैं। 

अपने इस खास ब्लॉग में आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे और जानेंगे अस्त गुरु का सभी राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, वृषभ राशि में अस्त गुरु का क्या प्रभाव होता है, साथ ही बृहस्पति ग्रह से जुड़ी कुछ अन्य दिलचस्प बातों की जानकारी भी आपके यहां प्रदान की जाएगी। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा यह खास ब्लॉग और सबसे पहले बात कर लेते हैं अस्त गुरु के समय की।  

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मई में गुरु अस्त: क्या रहेगा समय? 

सबसे पहले बात करें समय की तो 3 मई 2024 को रात्रि 22:08 पर देवगुरु बृहस्पति अस्त होने जा रहे हैं। इसे ज्योतिष की भाषा में बृहस्पति तारा डूबना या गुरु तारा डूबना भी कहा जाता है। इसके बाद तकरीबन 1 महीने की अवधि के बाद ठीक 3 जून 2024 को प्रातः 3:21 मिनट पर यह अपनी अस्त अवस्था से निकलकर उदित अवस्था में आ जाएंगे। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें जब भी गुरु अस्त होते हैं तो इस दौरान सनातन धर्म में शुभ और मांगलिक कार्य जैसे विवाह आदि नहीं किए जाते हैं। ऐसे में 3 मई से लेकर 3 जून तक हर तरह के शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। 3 जून के बाद दोबारा से शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। वृषभ राशि में गुरु इसके बाद 9 अक्टूबर तक रहेंगे।

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ज्योतिष में गुरु ग्रह 

ज्योतिष में गुरु ग्रह को एक महत्वपूर्ण ग्रह का दर्जा दिया गया है। यह मंगल और शुक्र को छोड़कर अन्य ग्रहों की तुलना में सबसे अधिक चमकीला ग्रह माना जाता है। इसके अलावा कहते हैं कि बृहस्पति ग्रह को नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। 

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार बृहस्पति ग्रह को गुरु और देव गुरु नाम से भी जाना जाता है। बृहस्पति भगवान दक्षिणा मूर्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं और यह व्यक्ति के जीवन से अज्ञानता और अंधकार को दूर करते हैं। जहां एक तरफ शैव लोग बृहस्पति को दक्षिणामूर्ति मानते हैं वहीं वैष्णव लोग इन्हें नारायण मानते हैं। 

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बृहस्पति ग्रह के स्वभाव की बात करें तो, यह एक उग्र, फलदाई, परोपकारी, मर्दाना, आशावादी, विशाल, सकारात्मक और प्रतिष्ठित ग्रह होता है। बृहस्पति ग्रह भाग्य, धन, प्रसिद्धि, किस्मत, नैतिकता का कारक ग्रह है। अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में केंद्र भाव या त्रिकोण भाव में गुरु मौजूद हो तो यह अच्छा प्रदर्शन करते हैं। बृहस्पति की प्रकृति कफ है। 

राशियों में बात करें तो धनु और मीन राशि का स्वामित्व गुरु अर्थात बृहस्पति ग्रह को प्राप्त है। जहां कर्क राशि में 5 डिग्री पर यह उच्च का हो जाता है वहीं मकर राशि में 5 डिग्री पर यह नीच का हो जाता है। 

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बृहस्पति ग्रह से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें 

शरीर के अंगों में लिवर, ट्यूमर, धमनियों में रक्त परिसंचरण और शरीर में वसा पर गुरु का शासन होता है।  जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह का प्रभाव होता है यह ऐसे लोग सुगठित मोटे, विशाल पेट वाले होते हैं। हालांकि रोग की बात करें तो पीड़ित या कमजोर गुरु के प्रभाव से व्यक्ति को जिगर की शिकायतें, अपच, पेट फूलना, पीलिया, फोड़ा, हर्निया, त्वचा की परेशानी आदि हो सकती है। अगर जन्म कुंडली में बृहस्पति शुभ है तो ऐसे व्यक्ति सज्जनता और उदारता, खुशी, उल्लास प्रदान करते हैं। व्यवसाय की बात करें तो लाभकारी गुरु सूर्य और चंद्रमा के साथ अच्छी दृष्टि बनाएं तो ऐसे व्यक्ति राष्ट्रपति, महापौर, सांसद, विधायक, परामर्शदाता आदि बन सकते हैं।

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धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से बृहस्पति ग्रह का महत्व 

सनातन धर्म के अनुसार बृहस्पति ग्रह को देवताओं का गुरु माना जाता है। सप्ताह में बृहस्पतिवार का दिन गुरु को समर्पित है। ऐसे में इस दिन गुरु की आराधना की जाती है। हिंदू धर्म में केले के वृक्ष को गुरु के रूप में पूजा जाता है। गुरु का वर्ण पीला है और शास्त्रों में गुरु कौशल और धर्म का अवतार माना जाता है। 

खगोल विज्ञान के अनुसार बृहस्पति की बात करें तो यह सौरमंडल का सबसे विशालकाय ग्रह माना जाता है। इसका तापमान – 145 डिग्री सेल्सियस होता है इसलिए यह बहुत ही ठंडा ग्रह है। अंग्रेजी में इसे जुपिटर कहते हैं। यहां हीलियम और हाइड्रोजन गैस भारी मात्रा में मौजूद होती है। इस ग्रह को सौरमंडल का वैक्यूम क्लीनर भी कहा जाता है। यह पृथ्वी को किसी भी तरह के विनाशकारी हमले से बचाता है। खगोल विज्ञान के अनुसार बृहस्पति के 64 प्राकृतिक उपग्रह भी हैं और इसका चुंबकीय क्षेत्र सभी ग्रहों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली होता है।

तमाम विशेषताओं वाला ग्रह गुरु स्वाभाविक है कि शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को सफलता दिलाता है। हालांकि अगर यह किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ या मजबूत स्थिति में नहीं है तो ऐसी स्थिति में ज्योतिष के जानकार गुरु से संबन्धित उपाय करने की सलाह देते हैं। क्या कुछ हैं ये उपाय चलिए जान लेते हैं और इसके बाद जानेंगे अस्त गुरु का राशि अनुसार प्रभाव और उपाय।

गुरु को इन ज्योतिषीय उपायों से करें मजबूत 

गुरु, ब्राह्मण और अपने से बड़े लोगों का हमेशा सम्मान करें।   अपने बच्चे और बड़े भाई से अच्छे संबंध बनाकर रखें। किसी से झूठ ना बोलें। जितना हो सके ज्ञान बांटें।भगवान शिव की पूजा करें। शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत का जाप करें। मुमकिन हो तो बृहस्पतिवार के दिन व्रत करें। बृहस्पति की शांति के लिए आप केसरिया रंग, हल्दी, सोना, चने की दाल, पीला वस्त्र, कच्चा नमक, शुद्ध घी, पीले फूल, पुखराज, किताब आदि दान कर सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो पुखराज रत्न धारण भी कर सकते हैं। हालांकि कोई भी रत्न धारण करने से पहले हमेशा विद्वान पंडितों से परामर्श अवश्य ले लें।इसके अलावा आप चाहे तो अपने घर या कार्य क्षेत्र में गुरु यंत्र की स्थापना कर सकते हैं। 

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आइए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं 3 मई से अस्त होने वाला गुरु ग्रह आपकी राशि को किस तरह से प्रभावित करेगा। 

गुरु वृषभ राशि में अस्त: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि 

राशि चक्र की पहली राशि मेष एक उग्र और मर्दाना राशि मानी जाती है। मेष राशि के जातकों के…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें) 

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति अष्टम और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और अब आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति सप्तम और दशम भाव का स्वामी है और आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए बृहस्पति छठे और नवम भाव का स्वामी है और आप आपके 11वें भाव में अस्त होने…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पंचम और अष्टम भाव का स्वामी है और अब आपके दसवें घर…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए बृहस्पति सप्तम और चतुर्थ भाव का स्वामी है और अब आपके..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और छठे घर का स्वामी है और अब आपके अष्टम भाव…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बृहस्पति दूसरे और पंचम भाव का स्वामी है और अब आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पहले और चतुर्थ घर का स्वामी है और अब आपके छठे घर में अस्त होने जा …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और 12वें घर का स्वामी है और आपके पांचवे घर…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति दूसरे और ग्यारहवें घर का स्वामी है और अब आपके चौथे घर …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पहले और दसवें घर का स्वामी है और आपके तीसरे घर में …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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