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सूर्य का तुला राशि में गोचर पर बनेगा बेहद शुभ योग, इन पर बरसेगा धन!

सूर्य का तुला राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज एआई हमेशा से अपने पाठकों को ज्योतिष की दुनिया में होने वाले परिवर्तनों से अवगत करवाता रहा है, ताकि आप ग्रहों की राशि, चाल और दशा में होने वाले बदलावों और उनका अपने जीवन पर प्रभाव जान सकें। इसी क्रम में, अब जल्द ही सूर्य देव का गोचर होने जा रहा है।

बता दें कि सूर्य देव को वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों के जनक माना जाता है और इन्हें जीवन का ग्रह भी कहा जाता है। वैसे तो सूर्य ग्रह का गोचर हर महीने होता है, लेकिन अब लगभग एक साल के बाद सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करने के लिए तैयार हैं जो राशि चक्र की कुछ राशियों के जीवन में बड़े परिवर्तन लेकर आ सकता है। ऐसे में, आत्मा के ग्रह सूर्य का तुला राशि में प्रवेश महत्वपूर्ण साबित होगा। 

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जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि सूर्य का यह गोचर तुला राशि में 365 दिनों के बाद होगा। इसके परिणामस्वरूप, सूर्य के इस गोचर का महत्व बढ़ जाता है क्योंकि यह सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन को गहराई से प्रभावित करेगा।

एक तरफ, कुछ राशियों को सूर्य गोचर से बहुत लाभ होगा जबकि कुछ राशियों के लिए यह अवधि समस्याओं से भरी रहेगी। साथ ही, इस दौरान सूर्य देव से शुभ परिणाम पाने के लिए हम आपको सरल एवं अचूक उपाय प्रदान करेंगे। इसके अलावा, देश-दुनिया और शेयर बाजार को भी सूर्य की यह स्थिति कैसे प्रभावित करेंगे, इससे भी रूबरू करवाएंगे। 

तो चलिए बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस लेख की और सबसे पहले जान लेते हैं सूर्य गोचर का समय। 

सूर्य का तुला राशि में गोचर: समय व तिथि

बता दें कि सूर्य का गोचर हर माह होता है और यह 30 दिन एक राशि में रहने के बाद दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। अब सूर्य देव 17 अक्टूबर 2025 की दोपहर 01 बजकर 36 मिनट पर तुला राशि में गोचर करने जा रहे है। ज्योतिष की मानें तो, तुला राशि के स्वामी शुक्र ग्रह हैं और इन्हें सूर्य देव के शत्रु माना जाता है।

इसके फलस्वरूप, सूर्य का यह गोचर आपकी शत्रु राशि में होगा इसलिए इसे ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता है। यह एक कमज़ोर स्थिति होगी इसलिए सूर्य सभी राशियों को सकारात्मक परिणाम देने में असमर्थ रह सकते हैं। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं सूर्य गोचर 2025 से बनने वाले योगों पर। 

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तुला राशि में सूर्य, बुध और मंगल की होगी युति 

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के राशि परिवर्तन से अनेक तरह के शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है। जहां शुभ योग जातकों के जीवन को धन-संपदा और सफलता से भर देते हैं, तो वहीं अशुभ योगों के प्रभाव से जातकों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

ऐसे में, अब सूर्य का तुला राशि में गोचर 13 सितंबर 2025 को होगा, उस समय वहां पहले से बुद्धि और वाणी के ग्रह बुध देव विराजमान होंगे। इस प्रकार, तुला राशि में सूर्य और बुध युति करेंगे, जिससे बुधादित्य योग का निर्माण होगा। 

हालांकि, यह योग सिर्फ़ आठ दिनों तक रहेगा, क्योंकि इसके बाद अर्थात 24 अक्टूबर 2025 को बुध ग्रह वृश्चिक राशि में गोचर कर जाएंगे। बता दें कि सूर्य और बुध के एक साथ एक राशि में होने पर बनने वाला बुधादित्य राजयोग बहुत शुभ माना जाता है।

यह योग जातकों के जीवन को धन-समृद्धि, आय में वृद्धि और सफलता का आशीर्वाद देता है। इसके अलावा, जब तुला राशि में सूर्य का गोचर होगा, उस समय वहां मंगल ग्रह भी मौजूद होंगे। 

इस प्रकार, शुक्र देव की राशि तुला में तीन बड़े ग्रह सूर्य, बुध और मंगल एक साथ बैठे होंगे। इन तीन ग्रहों की युति से त्रिग्रही योग का निर्माण होगा। हालांकि, तुला राशि में सूर्य नीच अवस्था में होंगे और ऐसे में, बुधादित्य योग और त्रिग्रही योग आपको अशुभ फल दे सकते हैं। इसके प्रभाव से जातकों के क्रोध में बढ़ोतरी होगी और बने-बनाए काम बिगड़ने लगेंगे। 

तुला राशि में सूर्य का प्रभाव 

ऐसे जातक जिनका जन्म तुला राशि में सूर्य के अंतर्गत होता है, उन जातकों को महत्वपूर्ण फैसले लेने में समस्या का सामना करना पड़ता है। सरल शब्दों में कहें, तो यह जातक कोई भी फैसला लेने में सामान्य से अधिक समय लेते हैं। 

सूर्य की तुला राशि में मौजूदगी से प्रभावित लोग हमेशा दूसरों को प्रसन्न करने के प्रयास में नज़र आते हैं। साथ ही, इन्हें अपने द्वारा किए गए वादों को पूरा करने में समस्याओं से जूझना पड़ता है। 

जिन जातकों के जन्म के समय सूर्य तुला राशि में बैठा होता है, उन्हें काम को टालते रहने की आदत होती है। 

कोई कार्य मन मुताबिक न होने पर यह स्वयं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं। उस समय इन्हें ऐसा लगता है कि इनकी दुनिया बिखर रही है और पूरा संसार इनके खिलाफ हैं। 

सूर्य के तुला राशि में होने से यह जातक बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देते हैं, जिससे इनके शब्द दूसरों के दिल को ठेस पहुंचा सकते हैं। 

इस राशि में सूर्य से प्रभावित लोग किस परिस्थिति से क्या लाभ होगा, इसके आधार पर ही चीज़ों का चुनाव करते हैं। साथ ही, यह थोड़े घमंडी स्वभाव होते है और दूसरों की राय को महत्व नहीं देते हैं।

 आइए अब आपको रूबरू करवाते हैं ज्योतिष में सूर्य ग्रह के महत्व से। 

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ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से सूर्य का महत्व 

वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को प्रमुख ग्रह का दर्जा प्राप्त है और जब यह किसी राशि में गोचर करते हैं, तो इस अवधि को धार्मिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। 

सूर्य गोचर के दौरान आत्म शांति के लिए अनेक तरह के धार्मिक कार्य किए जाते हैं। साथ ही, इस दिन सूर्य पूजा विशेष रूप से की जाती है। 

हिंदू पंचांग में जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे एक सौर माह कहा जाता है। 

राशि चक्र की 12 राशियों का एक चक्र पूरा करने में सूर्य देव को एक वर्ष का समय लगता है। बता दें कि सूर्य कभी भी अन्य ग्रहों की तरह वक्री, उदित और अस्त नहीं होते हैं। 

सूर्य देव व्यक्ति को आशा देते हैं और सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। यह हमें ऊर्जावान रहते हुए जीवन के लक्ष्य पाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

ज्योतिष में सूर्य ग्रह पिता के कारक माने गए हैं जबकि स्त्री की कुंडली में यह पति को दर्शाते हैं। 

सूर्य ग्रह सेवा क्षेत्र में उच्च, प्रशासनिक पद और समाज में मान-सम्मान को भी नियंत्रित करते हैं। यह लीडर पद के भी प्रतीक माने जाते हैं। 

अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य की महादशा चल रही होती है, तो रविवार के दिन जातक को शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है। 

सूर्य देव को राशि चक्र में सिंह राशि का स्वामित्व प्राप्त है और यह मेष राशि में उच्च अवस्था में होते हैं और तुला इनकी नीच राशि है। 

अब हम आपको बताने जा रहे हैं सूर्य ग्रह से निर्मित होने वाले शुभ योगों के बारे में। 

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कुंडली में सूर्य से बनने वाले शुभ योग 

ज्योतिष के अनुसार, जब कुंडली में एक राशि या एक भाव में दो या दो से ज्यादा ग्रह एक साथ मौजूद होते हैं, तो अनेक प्रकार के शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है। यह योग सकारात्मक और नकारात्मक रूप से जातकों के जीवन को प्रभावित करते हैं। लेकिन, यहां हम आपको सूर्य से बनने वाले शुभ योगों के बारे में बताने जा रहे हैं। 

बुधादित्य योग: वैदिक ज्योतिष में बुधादित्य योग की गिनती सबसे शुभ योगों में होती है। इस योग को निपुण योग भी कहा जाता है। ज्योतिष में सूर्य देव को सहनशीलता, जीवन शक्ति और ऊर्जा का कारक माना जाता है जबकि बुध ग्रह बुद्धि, वाणी, और तार्किक क्षमता के कारक हैं। ऐसे में, जब यह दोनों ग्रह एक राशि में विराजमान होते हैं, तब बुधादित्य योग का निर्माण होता है। कुंडली में बुधादित्य योग होने पर जातक बुद्धिमान और हर कार्य में  निपुण होता है।

वैशी योग: कुंडली में सूर्य से बनने वाला बेहद शुभ और दुर्लभ राजयोग होता है वेशी योग। इस योग का निर्माण उस समय होता है, जब राहुकेतु और चंद्रमा को छोड़कर कोई भी ग्रह सूर्य से अगले भाव में कोई भी ग्रह न बैठा हो। वेशी योग के प्रभाव से जातकों को बहुत शुभ फल प्राप्त होते हैं और इसके प्रभाव से जातक को धन-धान्यके साथ-साथ मधुर वाणी का आशीर्वाद मिलता है। 

कुंडली में कैसे पहचानें कमज़ोर और मज़बूत सूर्य को। 

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इन आदतों से पहचानें मज़बूत सूर्य को 

जिन लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रह मज़बूत होता है, वह बेहद ज्ञानी होते हैं और समाज में जो भी बोलते हैं, उनकी बात सुनी जाती है। साथ ही, वह मान-सम्मान प्राप्त करते हैं। ऐसे जातक वेदज्ञ, शिक्षक और सलाहकार होते हैं। 

कुंडली के लग्न भाव में सूर्य के बैठे होने पर जातक थोड़े अभिमानी स्वभाव के होते हैं और किसी भी तरह के नीच काम का करना पसंद नहीं करते हैं। साथ ही, इनमें नेतृत्व क्षमता कूट-कूट कर भरी होती है।

बलवान सूर्य के प्रभाव से जातकों के चेहरे पर एक अलग ही तेज देखने को मिलता है, जिसकी वजह से वह लोगों के बीच लोकप्रिय होते हैं। इनकी अपनी समाज में एक विशेष पहचान होती है।

आपके व्यक्तित्व पर सूर्य का अत्यधिक प्रभाव  होने के कारण आप स्पष्ट और साफ बोलना पसंद करते हैं। इन लोगों को समाज लो पहचान होती है इसलिए इनसे छलकपट करना आसान नहीं होता है।

सूर्य का तुला राशि में गोचर: कमज़ोर सूर्य का प्रभाव 

ऐसे जातक जिनकी कुंडली में सूर्य महाराज कमज़ोर अवस्था में होते हैं, उनके भीतर इच्छाशक्ति की कमी देखने को मिलती है। 

सूर्य की पीड़ित अवस्था का नकारात्मक असर आपके कार्यक्षेत्र को भी प्रभावित कर सकता है। कुंडली में कमजोर सूर्य होने पर आपके काम बने-बनाए बिगड़ने लगते हैं और उनमें आत्मविश्वास की भी कमी रहती है। 

यह लोग सूर्य के दुर्बल अवस्था में होने पर सही और गलत के बीच अंतर को समझ नहीं पाते हैं इसलिए इन्हें फैसला लेने में समस्या का अनुभव होता है। 

जिन जातकों का सूर्य अशुभ होता है, उनका रिश्ता पिता के साथ कमजोर हो जाता है और आपको उनके साथ मतभेदों का सामना करना पड़ता है। 

सूर्य देव के दुष्प्रभावों से आपको स्वास्थ्य समस्याएं घेर सकती हैं और मान-सम्मान की भी हानि हो सकती है।

सूर्य का तुला राशि में गोचर: इस दौरान करें ये सरल उपाय

सूर्य देव की कृपा पाने के लिए रविवार के दिन व्रत रखें।

नियमित रूप से सूर्य ग्रह के लिए “ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करें। 

रविवार को स्नान करने के बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्योदय के समय सूर्य देव को लाल चंदन, अक्षत और लाल फूल मिलाकर जल का अर्घ्य दें। 

रविवार के दिन सूर्य ग्रह को प्रसन्न के लिए नमक का सेवन न करें। संभव हो, तो भोजन में दूध, दलिया, दही, गेहूं की रोटी और चीनी का सेवन करें।

कुंडली में सूर्य देव को बलवान के लिए माणिक्य, तांबा, लाल या पीले रंग के वस्त्र, मसूर दाल, लाल कमल और गेहूं का दान करें।

सूर्य को बलवान करने के लिए आप माणिक्य रत्न भी धारण कर सकते हैं, लेकिन ऐसा किसी अनुभवी और विद्वान ज्योतिषी से सलाह लेने के बाद ही करें।   

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सूर्य का तुला राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

सूर्य आपकी कुंडली में पंचम भाव के स्वामी हैं और सूर्य का तुला राशि में गोचर … (विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

सूर्य आपकी कुंडली में चौथे भाव के स्वामी होते हैं तथा वर्तमान में ये… (विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

सूर्य आपकी कुंडली में तीसरे भाव के स्वामी होते हैं और सूर्य का तुला… (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

सूर्य आपकी कुंडली में धन भाव के स्वामी होकर नीच अवस्था में आपके… (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सूर्य आपके लग्न या राशि के स्वामी होते हैं तथा सूर्य का तुला राशि में … (विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

सूर्य आपकी कुंडली में द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और द्वादश भाव के… (विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

सूर्य आपके लाभेश होते हैं और नीच अवस्था में यह आपके पहले भाव… (विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

सूर्य आपके लिए दशम भाव के स्वामी होते हैं और नीच अवस्था में … (विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

भाग्य भाव के स्वामी होते हैं और नीच अवस्था में सूर्य आपके लाभ भाव… (विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

सूर्य आपके अष्टमेश होते हैं और सूर्य का तुला राशि में गोचर आपके दशम… (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

सप्तमेश सूर्य नीच अवस्था में आपके भाग्य भाव में जा रहे हैं। वैसे तो भाग्य… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

सूर्य आपके छठे भाव के स्वामी हैं सूर्य का तुला राशि में गोचर आपके… (विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. सूर्य का तुला राशि में गोचर कब होगा?

सूर्य देव 17 अक्टूबर 2025 को तुला राशि में गोचर करेंगे।

2. तुला राशि का स्वामी कौन है?

राशि चक्र की सातवीं राशि तुला के स्वामी शुक्र देव हैं।

3. सूर्य की तुला राशि में स्थिति कैसी होती है?

ज्योतिष में तुला राशि को सूर्य की नीच राशि माना जाता है इसलिए इस स्थिति को सूर्य देव के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता है।

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