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Griha Pravesh

कितने प्रकार का होता है गृह प्रवेश

शास्त्रों के अनुसार गृह प्रवेश तीन प्रकार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार है।

अपूर्व गृह प्रवेश – जब पहली बार बनाये गये नये घर में प्रवेश किया जाता है तो वह अपूर्व ग्रह प्रवेश कहलाता है।

सपूर्व गृह प्रवेश – जब किसी कारण से व्यक्ति अपने परिवार सहित प्रवास पर होता है और अपने घर को कुछ समय के लिये खाली छोड़ देते हैं तब दुबारा वहां रहने के लिये जब जाया जाता है तो उसे सपूर्व गृह प्रवेश कहा जाता है।

द्वान्धव गृह प्रवेश – जब किसी परेशानी या किसी आपदा के चलते घर को छोड़ना पड़ता है और कुछ समय पश्चात दोबारा उस घर में प्रवेश किया जाता है तो वह द्वान्धव गृह प्रवेश कहलाता है।

उपरोक्त तीनों ही स्थितियों में गृह प्रवेश पूजा का विधान धर्म ग्रंथों में मिलता है। माना जाता है कि इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।

 

इन बातों का रखें ध्यान

माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ माह को गृह प्रवेश के लिये सबसे सही समय बताया गया है। आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष इसके लिहाज से शुभ नहीं माने गए हैं। मंगलवार के दिन भी गृह प्रवेश नहीं किया जाता विशेष परिस्थितियों में रविवार और शनिवार के दिन भी गृह प्रवेश वर्जित माना गाया है। सप्ताह के बाकि दिनों में से किसी भी दिन गृह प्रवेश किया जा सकता है। अमावस्या व पूर्णिमा को छोड़कर शुक्लपक्ष 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, और 13 तिथियां प्रवेश के लिये बहुत शुभ मानी जाती हैं।

 

गृह प्रवेश करते समय भी इन बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है।  

1) जानिए गृह प्रवेश के लिए शुभ नक्षत्र, तिथि, वार और लग्न…

शुभ नक्षत्र- उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा एवं रेवती नक्षत्र गृह प्रवेश के लिए शुभ हैं।

शुभ तिथि- शुक्लपक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, दशमी, एकादशी व त्रयोदशी तिथियां भी गृह प्रवेश के लिए शुभ मानी गई हैं।

शुभ वार- गृह प्रवेश के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार व शुक्रवार शुभ हैं।

शुभ लग्न- वृष, सिंह, वृश्चिक व कुंभ राशि का लग्न उत्तम है। मिथुन, कन्या, धनु व मीन राशि का लग्न मध्यम है। लग्नेश बली, केंद्र-त्रिकोण में शुभ ग्रह और 3, 6, 10 व 11वें भाव में पाप ग्रह होने चाहिए। 

रिक्ता तिथि (चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी) और शनिवार को गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।

गृहप्रवेश के लिए माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ का महीना उत्तम होता है, जबकि आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष शुभ नहीं माने जाते।

रविवार और शनिवार के दिन दिन भी गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।

मंगल कलश के साथ पति-पत्नी को साथ में गृह प्रवेश करना चाहिए।

गृह प्रवेश करने से पहले वास्तु पूजन जरूर करवानी चाहिए। 

वास्तु पूजन के बाद ब्राह्मण भोज करवाना चाहिए।

नए घर में तुलसी का पौधा लगाना अच्छा होता है। इससे शुभ फल मिलते हैं। 

घर के मुख्य दरवाजे के आस-पास शुभ चिह्न जैसे- ऊं, स्वस्तिक भी बनवाना चाहिए।

शुभ मुहूर्त में सपरिवार व परिजनों के साथ मंगलगान करते हुए शंख बजाते हुए गृह प्रवेश करना चाहिए।

गृह प्रवेश पूजा में नारियल तोड़ना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है

गृह प्रवेश पूजा में फर्श को साफ करने के लिए नमक व पानी का प्रयोग करें

गृह प्रवेश के लिए प्रवेश द्वार को सजाएं

गृह प्रवेश पूजा के लिए रंगीन मयूर रंगोली डिजाइनरंगोली डिजाइन गृह प्रवेश पूजा का आवश्यक हिस्सा है।

गृह प्रवेश के लिए मंडल बनाएं

गृह प्रवेश में सभी देवताओं और ग्रहों का स्वागत करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए मंडल चित्र बनाना चाहिए।

घर में प्रवेश करने से पहले प्रवेश द्वार पर नारियल तोड़ें; ऐसा माना जाता है कि नारियल तोड़ने की विधि घर को पवित्र करती है और आपकी यात्रा के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करती है।

गृह प्रवेश पूजा से पहले घर को साफ करें

घर में प्रवेश करते समय समृद्धि और सौभाग्य के लिए सबसे पहले दाहिने पैर रखना चाहिए। इसलिए जब भी आप पहली बार गृह प्रवेश पूजा के दिन घर में प्रवेश करते हैं, तो इस सरल गृहप्रवेश सुझाव को ध्यान में रखें।

गृह प्रवेश पूजा (Griha Pravesh pooja) के दौरान आम के पत्तों और नींबू से बनी माला को प्रवेश द्वार पर लटकाएं। आम के पत्तों का उपयोग किया जाता है क्योंकि वे नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं।

गृह प्रवेश पूजा (Griha Pravesh pooja) के दिन अपने घर में मंदिर बनाएं। वास्तु के अनुसार, मंदिर घर के उत्तर पूर्व क्षेत्र में होना चाहिए, और घर की पूर्व दिशा में देवताओं की तस्वीरें और मूर्तियां रखनी चाहिए।

पूजा की रस्मों के दौरान, शंख पूरे उत्साह के साथ बजाना चाहिए क्योंकि इससे कष्टों को दूर करने वाली ध्वनि निकलती है।

गृह प्रवेश पूजा के लिए पूजा थालीशंख, अगरबत्ती, मिठाई और फूलों से गृह प्रवेश पूजा की थाली बनाएं

नए घर में रहना शुरु करने से पहले हवन करें, उसके बाद गणेश पूजा, वास्तु दोष पूजा और नवग्रह शांति पूजा करें क्योंकि यह ऊर्जा को शुद्ध करता है और घर को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। हवन कुंड या हवन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला बर्तन प्रत्येक कमरे में ले जाएं; हवन के धुएं में कई गुण होते हैं जो बुरी ऊर्जा को खत्म करते हैं।

गृह प्रवेश पूजा के दिन दूध उबालना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पूजा के दिन दूध उबालने से घर में सुख-समृद्धि आती है। घर की महिला को दूध को नए घर की रसोई में उबालना चाहिए, वह भी नए बर्तन में। फिर इस उबलते दूध में चावल डालकर मीठा चावल का प्रसाद बनाया जाता है, जिसे पूजा में अनुष्ठान के दौरान चढ़ाया जाता है और फिर सभी को दिया जाता है।

गृहप्रवेश पूजा होने के बाद, पुजारी को अच्छी तरह से खाना खिलाना चाहिए, उनका आशीर्वाद लेना चाहिए और सभी को भोजन भी देना चाहिए और उनकी शुभकामनाएँ लेनी चाहिए।

गृह प्रवेश समारोह : गृह प्रवेश पूजा क्या न करें
1. होली के दौरान घर का गृह प्रवेश न कराएं।

2. गृहप्रवेश पूजा के दिन घर रात भर बंद नहीं रहना चाहिए। दिव्य शक्ति को आकर्षित करने के लिए आपको दीपक जलाना चाहिए।

3. घर को खाली न छोड़ें, और गृह प्रवेश पूजा (Griha Pravesh pooja) के तीन दिनों के भीतर, घर में सभी आवश्यक वस्तुएं रख दें।

4. परिवार में गर्भवती महिलाओं के मामले में या परिवार के किसी सदस्य या करीबी रिश्तेदार के निधन पर शोक मनाने की स्थिति में गृह प्रवेश करने से बचना चाहिए।

जिस दिन आपका गृहप्रवेश हो उसी दिनभगवान गणेश की मूर्ति, दक्षिणावर्ती शंख, श्री यंत्र को घर में ले जाना चाहिए।

पुरुष पहले दाहिना पैर और महिला को अपना बायां पैर घर में सर्वप्रथम रखना चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रों के साथ घर के ईशान कोण में या फिर पूजा घर में कलश की स्थापना करें।
गृह प्रवेश पूजा के साथ ही रसोई घर में भी पूजा भी करनी चाहिए। चूल्हे, पानी रखने के स्थान और स्टोर आदि में धूप, दीपक के साथ कुमकुम, हल्दी, चावल आदि से पूजन कर स्वास्तिक चिन्ह बनाना चाहिए।  रसोई में पहले दिन कुछ मीठा बनाना चाहिए। घर में बने भोजन से सबसे पहले भगवान को भोग लगाएं। इसके बाद गाय, कौआ, कुत्ता, चींटी आदि के निमित्त भोजन निकालना चाहिए।
ब्राह्मण को भोजन कराने के साथ गरीबों को दान करना चाहिए।
घर में प्रवेश के नियम हमेशा याद रखें। गृह प्रवेश की ये विधि आपके घर में सुख और सौभाग्य ले कर आएगी।

 

  • कलश – 1
  • मिट्टी के बड़ी दीया – 1
  • श्री फल या नारियल – 1
  • साबुत चावल – 1 किलो 250 ग्राम
  • पंच मेवा – 250 ग्राम
  • पंच मिठाई – 500 ग्राम
  • पांच ऋतू फल – श्रद्धा अनुशार
  • शक्कर (गुर) – 250 ग्राम
  • आटा – 250 ग्राम
  • देशी घी – 1 किलोग्राम
  • गंगा जल – 1 लीटर
  • पान के पत्ते – 7
  • आम या अशोक के पत्ते – 11 पत्ते
  • आम की लकड़ियाँ – 2 किलोग्राम
  • लकड़ी की चौकी – 1
  • लाल कपड़ा – 250 मीटर
  • पीला कपड़ा – 250 मीटर
  • हवन कुंड – 1
  • हवन सामग्री – 1 किलो ग्राम
  • धूप – 1 पैकेट
  • अगरबत्ती – 1 पैकेट
  • काले तिल – 250 ग्राम
  • जौ – 250
  • फूल माला और फूल – 5
  • रोली या कुमकुम – 1 पैकेट
  • साबुत हल्दी – 100 ग्राम
  • लौंग – 10 ग्राम
  • इलाइची – 10 ग्राम
  • सुपारी – 11
  • मौली – 1 गोली
  • जनेऊ – 7
  • दही – 100 ग्राम
  • कच्चा दूध – 100 ग्राम
  • शहद – 250 ग्राम
  • रुई – 1 पैकेट
  • कपूर – 11 टिक्की
  • दोने – 1 पैकेट

गृह प्रवेश की पूजा सामग्री में कलश, नारियल, दीपक, फूल शुद्ध जल, कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, धूपबत्ती, पांच शुभ मांगलिक वस्तुएं, आम या अशोक के पत्ते, पीली हल्दी, गुड़, चावल, दूध आदि जरूर होना चाहिए।