कब मनाई जाएगी दिवाली 2025? नोट करें सही डेट और पूजा का समय!
दिवाली 2025 सनातन धर्म का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को यह पर्व मनाया जाता है और पांच दिनों तक चलने वाला यह त्योहार केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीयों द्वारा भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
दिवाली का प्रमुख आकर्षण देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा है, जिनमें मां लक्ष्मी से धन-समृद्धि और भगवान गणेश से बुद्धि व विवेक की कामना की जाती है। इस दिन दीप जलाने का विशेष महत्व है, क्योंकि दीपक अंधकार पर प्रकाश और नकारात्मकता पर सकारात्मकता की विजय का प्रतीक है।
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दिवाली से जुड़े धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक पहलू इसे और भी खास बना देता है। एक ओर यह त्योहार भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर इसे मां लक्ष्मी के प्रकट होने का दिन भी माना जाता है। दिवाली का हर दिन विशेष महत्व रखता है, धनतेरस से शुरुआत होती है, उसके बाद नरक चतुर्दशी , मुख्य दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज आते हैं।
आज इस ब्लॉग में हम आपको दिवाली 2025 की सही तिथि, पूजा विधि, दिवाली का महत्व, इस दिन किए जाने वाले अचूक उपाय आदि के बारे में जानकारी देंगे तो बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं विस्तार से।
दिवाली 2025 के विशेष मुहूर्त
साल 2025 में कार्तिक माह की अमावस्या तिथि अक्टूबर 20, 2025 की दोपहर 03 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी और अक्टूबर 21, 2025 की शाम 05 बजकर 56 मिनट तक समाप्त होगी। ऐसे में दिवाली 2025 का त्योहार 21 अक्टूबर 2025 मंगलवार के दिन मनाया जाएगा।
लक्ष्मी-गणेश पूजन का समय: 21 अक्टूबर की शाम 05 बजकर 50 मिनट से 05 बजकर 56 मिनट तक।
अवधि :0 घंटे 5 मिनट
प्रदोष काल मुहूर्त: शाम 05 बजकर 50 मिनट से 08 बजकर 18 मिनट तक
महानिशीथ काल :23:36:12 से 24:25:32 तक
सिंह काल : 25:45:12 से 27:52:10 तक
दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातःकाल मुहूर्त (चल, लाभ, अमृत): 09:05:40 से 13:28:14 तक
अपराह्न मुहूर्त (शुभ):14:55:46 से 16:23:17 तक
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दिवाली 2025 का महत्व
दिवाली केवल रोशनी का त्योहार नहीं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर प्रकाश की विजय और घर-घर में सुख-समृद्धि के आगमन का प्रतीक है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयां क्यों न आएं अंत में जीत सच्चाई और प्रकाश की ही होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, दिवाली उस खुशी का दिन है, जब भगवान श्री राम 14 वर्षों का वनवास पूरा करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे।
अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया और तभी से दीपावली को दीपों का त्योहार कहा जाने लगा। इसी दिन समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी का प्रकट होनी भी माना जाता है इसलिए दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, दरवाजों और आंगन को दीपों और रंगोलियों से सजाते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं और मिठाई व उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं।
व्यापारी वर्ग के लिए यह नया वित्तीय वर्ष आरंभ करने का शुभ समय होता है। आध्यात्मिक दृष्टि से यह पर्व हमें अपने भीतर के अंधकार जैसे जैसे क्रोध, लोभ, ईर्ष्या और नकारात्मकता को दूर करके प्रेम, करुणा, ज्ञान और सकारात्मक ऊर्जा को अपनाने का संदेश देता है।
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दिवाली 2025 के दिन इस विधि से करें पूजन
दिवाली से पहले पूरे घर की अच्छे से सफाई करें और घर को दीपक, झालर और रंगोली से सजाएं।
पूजा करने के लिए घर के उत्तर पूर्व दिशा में साफ-सुथरा स्थान चुनें। लकड़ी की चौकी या पटरे पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
एक तांबे या मिट्टी के कलश में पानी भरें, उस पर आम के पत्ते रखें और नारियल रखकर कलश को चौकी पर रखें। इस समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
पूजा के लिए थाली में हल्दी, रोली, कुमकुम, चावल, मिठाई, फूल, दीपक और अगरबत्ती रखें।
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें चंदन, फूल, धूप, दीप, मिठाई और मोदक अर्पित करें।
इसके बाद मां लक्ष्मी की पूजा करें। उन्हें कमल का फूल, मिठाई, हल्दी-कुमकुम और दीप अर्पित करें।
लक्ष्मी जी को सिक्के और नोट अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। इस दौरान लक्ष्मी जी के 108 नामों या श्री सूक्त का पाठ करना उत्तम है।
दीप जलाना और आरती पूजन के बाद पूरे घर में दीप जलाएं और मां लक्ष्मी गणेश की आरती करें। घर के मुख्य द्वार पर चारों ओर दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है।
व्यापारिक खाते की पूजा व्यापारी वर्ग इस दिन नए बही खाते की पूजा करता है और भगवान गणेश व मां लक्ष्मी से नए वर्ष में व्यापार में उन्नति की कामना करता है।
प्रसाद वितरण अंत में प्रसाद बांटें और घर के सभी सदस्य आरती में शामिल हों।
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दिवाली 2025: पौराणिक कथा
दीपावली या दिवाली भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय और अंधकार पर प्रकाश के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इसकी पौराणिक कथाएं कई रूपों में प्रचलित हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान राम से जुड़ी हुई है।
रामायण के अनुसार, जब भगवान राम ने 14 वर्ष का वनवास पूरी किया और माता सीता व भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, तब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। उस रात अमावस्या थी और दीपों की रोशनी से पूरा नगर जगमगा उठा।
तभी से हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा। एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी समुद्र से प्रकट हुई थीं। इसलिए दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। लोग मानते हैं कि इस दिन मां लक्ष्मी घर-घर आती हैं और जिन घरों में साफ-सफाई व प्रकाश होता है, वहां स्थायी रूप से सुख-समृद्धि का वास होता है।
इसके अलावा, कुछ मान्यताओं में यह भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने राक्षस राजा बलि को पाताल लोक भेजकर देवताओं और मनुष्यों को अत्याचार से मुक्त कराया। इन सभी कथाओं में एक बात समान है कि दिवाली का पर्व आशा, प्रकाश, समृद्धि और नई शुरुआत का संदेश देता है। इसलिए लोग इस दिन दीपक जलाते हैं, घरों को सजाते हैं, लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं और बुराइयों को छोड़कर जीवन में सकारात्मकता अपनाने का संकल्प लेते हैं।
दिवाली 2025 के दिन अपनाएं ये अचूक टोटके
माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए
दिवाली की रात पहला दीपक घर के मंदिर या तिजोरी के पास जलाएं। मान्यता है कि इससे लक्ष्मी माता घर में स्थायी रूप से वास करती हैं।
घर में सुख-शांति के लिए
मुख्य दरवाजे पर सरसों के तेल और काले तिल का दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति आती है।
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दिवाली 2025 पर दरिद्रता दूर करने के लिए
दिवाली के दिन नया झाड़ू खरीदकर उसे घर में रखना शुभ माना जाता है। यह घर से दरिद्रता दूर कर लक्ष्मी कृपा बढ़ाता है।
धन-वृद्धि के लिए
धनतेरस या दिवाली की रात तिजोरी या पैसे रखने की जगह पर कुबेर भगवान की पूजा करें और तांबे के पात्र में चांदी का सिक्का रखकर पूजन करें। यह धन वृद्धि के लिए अचूक उपाय माना जाता है।
दिवाली 2025 पर अच्छे स्वास्थ्य के लिए
दिवाली की रात दूध से भरा दीपक जलाकर पीपल के पेड़ के नीचे रखने से व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के लिए
लक्ष्मी पूजन से पहले पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव करें। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मकता का वास होता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
घर को साफ-सुथरा कर के सजाएं, चौक-रंगोली बनाकर दीप जलाएं। फिर लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को स्थापित कर धूप-दीप, पुष्प, मिठाई और विशेष मंत्रों से पूजा करें।
दिवाली की रात पहला दीपक तिजोरी के पास जलाना चाहिहए, दरवाजे पर सरसों तेल का दीपक लगाना और नया झाड़ू खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।
इस दिन कर्ज देना-लेना, झाड़ू-पोंछा करना और घर को गंदा रखना अशुभ माना जाता है।
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